लाल किला ब्लास्ट : कश्मीर के डॉक्टर निसार-उल-हसन पर जांच एजेंसियों की नजर क्यों?
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल द्वारा बर्खास्त किए गए और अब लाल किले विस्फोट मामले में जांच के दायरे में आए इस डॉक्टर पर पहले भी आतंकवाद से जुड़े आरोप लगे थे। 2023 में बर्खास्त किए गए डॉ. निसार-उल-हसन 10 नवंबर को हुए ब्लास्ट के बाद लापता हो गए। आरोप है कि साजिश के मास्टरमाइंड बताए जा रहे डॉ. उमर नबी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में उन्हीं के अधीन काम करते थे।
दिल्ली के लाल किले के बाहर हुए कार बम विस्फोट की जांच में एक आतंकवादी मॉड्यूल सामने आया है, जिसमें कई डॉक्टर शामिल बताए जा रहे हैं। इसी कड़ी में जांचकर्ता एक और कश्मीरी डॉक्टर निसार-उल-हसन तक पहुंचे हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 2023 में बर्खास्त किया था।
SMHS अस्पताल, श्रीनगर में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत डॉ. हसन को संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत आतंकवाद से जुड़े आरोपों पर बर्खास्त किया गया था। इसके बाद उन्होंने reportedly फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर के रूप में काम करना शुरू कर दिया।
10 नवंबर को कार बम विस्फोट के बाद वह भूमिगत हो गए और उनकी अचानक गुमशुदगी ने उनके इस मॉड्यूल से संभावित संबंधों पर संदेह बढ़ा दिया है।
सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में क्यों आए?
डॉ. निसार-उल-हसन पर कश्मीरी अलगाववादी राजनीति के प्रति सहानुभूति रखने के आरोप लगे थे। उनकी विचारधारा, डॉक्टर एसोसिएशन ऑफ कश्मीर (DAK) में सक्रियता और उनके बेबाक बयानों के कारण वे सुरक्षा एजेंसियों की नजर में थे।
इतना तक कहा गया कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने कथित तौर पर उन्हें एक बार “टिक–टिक करती टाइम बम” कहा था।
डॉक्टर एसोसिएशन में विवाद
डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में हसन कई बार सरकार से भिड़ते रहे:
मई 2013: नकली दवाओं के घोटाले के बाद उन्होंने हड़ताल का आह्वान किया, जिसे हुर्रियत जैसे अलगाववादी संगठनों का समर्थन मिला।
मई 2014: ओमर अब्दुल्ला सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया क्योंकि उन्होंने सरकारी कर्मचारियों से टैक्स न देने, चुनाव ड्यूटी का बहिष्कार करने और “आज़ादी संस्थानों” को मजबूत करने की अपील की थी।
अगस्त 2018: राज्यपाल शासन के दौरान उन्हें चार साल बाद बहाल किया गया।
2018 से 2023: उन्होंने लो प्रोफाइल रखा, लेकिन उनका पुराना रिकॉर्ड फिर उभरा और उन्हें 2023 में सेवा से हटा दिया गया।
सोपोर के निवासी
डॉ. निसार-उल-हसन कश्मीर के सोपोर के अछाबल गांव के रहने वाले हैं — यह इलाका कभी उग्रवाद का गढ़ रहा है। उन्होंने 1991 में GMC श्रीनगर से MBBS और 2001 में SKIMS से MD पूरा किया।
डॉ. उमर नबी से संबंध
सुरक्षा एजेंसियां अब यह जांच रही हैं कि उनका संबंध डॉ. मोहम्मद उमर नबी से क्या था, जिन्हें लाल किला विस्फोट का कथित मास्टरमाइंड बताया जा रहा है और कार विस्फोट के समय वही ड्राइवर थे।
उमर नबी ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी में एक साल से अधिक समय तक डॉ. हसन के अधीन काम किया। जांचकर्ता यह जानने की कोशिश में हैं कि क्या हसन इस साजिश का हिस्सा थे।
पत्नी ने ‘फरार होने’ के आरोप खारिज किए
डॉ. हसन की पत्नी डॉ. सुरैया ने कहा कि उनके पति फरार नहीं हैं, बल्कि NIA द्वारा “औपचारिक रूप से हिरासत में लेकर पूछताछ” की जा रही है, जैसा कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कई छात्रों और शिक्षकों के साथ हुआ है।
डॉ. सुरैया ने इंडिया टुडे को बताया कि उनके पति का उमर नबी से संबंध तनावपूर्ण था। उन्होंने दावा किया कि हसन उमर नबी की बार-बार गैर-हाजिरी से नाराज थे, जिसकी वजह से नबी को दूसरे वार्ड में भेज दिया गया था।