शशि थरूर लगातार तीसरी बार कांग्रेस की अहम बैठक से नदारद
राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक से गैरहाज़िर रहने पर अटकलें तेज़, पार्टी सूत्रों का कहना—उन्होंने नेतृत्व को पहले ही सूचित किया था
कांग्रेस के सांसद शशि थरूर लगातार तीसरी बार लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई अहम बैठक से गैरहाज़िर रहे, जिससे उनके पार्टी से संबंधों को लेकर अटकलें तेज़ हो गई हैं। यह बैठक शुक्रवार (12 दिसंबर) को आयोजित की गई।
हालाँकि, ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि थरूर ने बैठक में शामिल न हो पाने की जानकारी पार्टी नेतृत्व को पहले ही दे दी थी।
एक अन्य कांग्रेस सांसद, मनीष तिवारी भी बैठक में शामिल नहीं हुए।
कोलकाता में थे थरूर
हाल के सप्ताहों में कांग्रेस की महत्वपूर्ण चर्चाओं से शशि थरूर की अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी हुई है। नवंबर में हुई दो बैठकों से भी तिरुवनंतपुरम के सांसद गैरहाज़िर थे।
पहला मामला 30 नवंबर का है, जब सोनिया गांधी की अध्यक्षता में एक रणनीतिक बैठक हुई थी। यह बैठक इसलिए भी अहम मानी गई थी क्योंकि थरूर और कुछ अन्य नेताओं ने 2020 में ‘विद्रोही’ समूह के रूप में सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे।
उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठने के बाद थरूर ने मीडिया से कहा, “मैंने बैठक नहीं छोड़ी थी; मैं केरल से दिल्ली आने वाली फ्लाइट में था।”
इसके बाद उनके कार्यालय की ओर से बताया गया कि वे अपनी 90 वर्षीय मां के साथ एक री-शेड्यूल्ड फ्लाइट से दिल्ली आ रहे थे, इसलिए बैठक में शामिल होना संभव नहीं था।
उसी दिन वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल भी बैठक में शामिल नहीं हो पाए थे।
दूसरी अनुपस्थित बैठक 18 नवंबर को हुई थी, जब पार्टी ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर अपनी कड़ी आपत्ति पर चर्चा की। इस बातचीत की अध्यक्षता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संयुक्त रूप से की थी।
थरूर इस बैठक में भी नहीं आए। इस बार उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया, जिसे पार्टी ने स्वीकार भी किया, हालांकि उनकी लगातार अनुपस्थिति आंतरिक चिंता का विषय बनी रही।
कांग्रेस की नसीहत
थरूर को हाल ही में आलोचना का सामना भी करना पड़ा था, जब वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति द्वारा आयोजित राज्य भोज में आमंत्रित किए गए एकमात्र कांग्रेस नेता थे।
कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा से इस बारे में पूछा गया कि थरूर को राज्य भोज का निमंत्रण क्यों मिला और उन्होंने जाने का निर्णय क्यों लिया। जवाब में उन्होंने कहा कि इस पर पहले थरूर को ही स्पष्टीकरण देना चाहिए।
खेड़ा ने कहा, “श्री थरूर से पूछिए… पार्टी में हम सभी को यह सोचना चाहिए कि किन परिस्थितियों में हम आधिकारिक निमंत्रण स्वीकार करते हैं।”
उन्होंने जोड़ा, “अगर पार्टी के शीर्ष नेता नहीं बुलाए जाते और हमें बुलाया जाता है, तो हमें अपनी अंतरात्मा से सवाल करना चाहिए।”
खेड़ा ने यह भी कहा कि किसे बुलाया जाता है और किसे नहीं, इस राजनीति पर भी गंभीर सवाल उठते हैं।
थरूर ने क्या कहा
थरूर ने याद दिलाया कि पहले एक परंपरा थी जिसमें विदेश मामलों की समिति के चेयरपर्सन को ऐसे आयोजनों में आमंत्रित किया जाता था, लेकिन यह प्रथा हाल के वर्षों में रुक गई थी, “जिसे अब फिर शुरू किया गया है।”
उन्होंने पुष्टि की, “यह परंपरा फिर शुरू हुई है… मुझे निमंत्रण मिला है, हाँ। मैं निश्चित रूप से जाऊँगा।”
जब उनसे पूछा गया कि वरिष्ठ विपक्षी नेताओं को क्यों नहीं बुलाया गया, तो थरूर ने कहा कि वे इस पर कुछ नहीं कह सकते।
उन्होंने कहा,“मुझे नहीं पता किस आधार पर निमंत्रण भेजे गए… मैं सिर्फ इतना कह सकता हूँ कि मुझे सम्मानित महसूस हो रहा है। और हाँ, मैं अवश्य जाऊँगा।”