सप्ताह में चार दिन काम का फॉर्मूला: श्रम मंत्रालय ने बताई पूरी तस्वीर

नए लेबर कोड्स के तहत 4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी का विकल्प है, लेकिन हफ्ते के 48 घंटे काम की शर्त बनी रहेगी, वेतन और ओवरटाइम नियम भी लागू होंगे।

Update: 2025-12-15 17:58 GMT
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New Labour Codes : भारत में चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी का विचार एक बार फिर चर्चा में है। इसकी वजह श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की हालिया सफाई है, जिसमें कहा गया है कि नए लेबर कोड्स काम के घंटों में लचीलापन तो देते हैं, लेकिन कुल काम के घंटे कम नहीं करते।

कई कर्मचारियों के मन में सवाल है कि क्या अब भारत में सिर्फ चार दिन काम करके पूरे हफ्ते की सैलरी मिल सकती है? जवाब है—हां, लेकिन कुछ तय शर्तों के साथ।


लेबर मंत्रालय ने क्या कहा?

श्रम मंत्रालय ने X पर पोस्ट कर बताया कि “लेबर कोड्स के तहत 4 कार्यदिवसों के लिए प्रतिदिन अधिकतम 12 घंटे काम किया जा सकता है। बाकी 3 दिन सवैतनिक अवकाश होंगे। हालांकि साप्ताहिक कार्य समय 48 घंटे से ज्यादा नहीं हो सकता।”

यानी कर्मचारी चार दिन तक रोज 12 घंटे काम कर सकता है और तीन दिन की पेड छुट्टी ले सकता है। लेकिन पूरे हफ्ते का कुल काम 48 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

12 घंटे मतलब लगातार काम नहीं

मंत्रालय ने यह भी साफ किया कि 12 घंटे का मतलब बिना रुके काम नहीं है।
इसमें शामिल हैं

लंच ब्रेक

आराम का समय

शिफ्ट के बीच का अंतर

काम की प्रकृति के अनुसार यह समय अलग-अलग हो सकता है।

ओवरटाइम पर क्या नियम होंगे?

अगर कोई कर्मचारी दिन में 12 घंटे से ज्यादा काम करता है, तो अतिरिक्त समय को ओवरटाइम माना जाएगा।
इसके लिए कर्मचारी को सामान्य वेतन का दोगुना भुगतान करना अनिवार्य होगा।

क्या 4-दिवसीय वर्क वीक अनिवार्य है?

नहीं। लेबर कोड्स चार दिन का वर्क वीक लागू नहीं करते, बल्कि इसे एक विकल्प के रूप में रखते हैं। कुछ कंपनियां 5 या 6 दिन का सिस्टम जारी रख सकती हैं। 
कुछ कंपनियां 4 दिन के लंबे वर्क शेड्यूल को अपना सकती हैं। अंतिम फैसला कंपनी नीति, राज्य सरकार के नियम और काम के स्वरूप पर निर्भर करेगा।

किन क्षेत्रों में मुश्किल?

हर सेक्टर के लिए 12 घंटे का वर्क डे संभव नहीं है।
खासकर 

24x7 सेवाएं

मैन्युफैक्चरिंग

हेल्थ और इमरजेंसी सेवाएं

इन क्षेत्रों में शिफ्ट आधारित काम जारी रह सकता है।

नए लेबर कोड्स क्या हैं?

21 नवंबर 2025 को सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों की जगह 4 नए लेबर कोड्स लागू किए 

वेतन संहिता, 2019

औद्योगिक संबंध संहिता, 2020

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020

व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य परिस्थितियां संहिता, 2020

इनका उद्देश्य श्रम कानूनों को सरल, एकरूप और प्रभावी बनाना है।

कर्मचारियों को क्या फायदे?

फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को अब स्थायी कर्मचारियों जैसे ही लाभ

एक साल में ही ग्रेच्युटी का अधिकार

गीग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार कानूनी पहचान

आधार से जुड़ा यूनिवर्सल अकाउंट नंबर, जिससे सोशल सिक्योरिटी लाभ पोर्टेबल होंगे

विशेषज्ञों का कहना है कि “चार कोड्स में 29 कानूनों को समेटने से न सिर्फ भ्रम कम हुआ है, बल्कि कंपनियों के लिए अनुपालन भी आसान हो गया है।” उनका कहना है कि यह बदलाव वर्कफोर्स प्लानिंग और सोशल सिक्योरिटी के लिहाज से अहम है।

फिलहाल यह स्पष्ट है कि भारत में काम के घंटे कम नहीं हुए हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने का तरीका ज्यादा लचीला हो गया है।
आने वाले समय में 4-दिवसीय वर्क वीक कितना लोकप्रिय होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनियां और कर्मचारी इस विकल्प का कैसे इस्तेमाल करते हैं।


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