हाथरस भगदड़ कांड का बाबा गाँव वालो के लिए नहीं है किसी भगवान से कम

अब भी ऐसे लोग हैं जो साकार नारायण हरि भोले को किसी भगवान से कम नहीं समझते हैं. क्या है इस बाबा के गाँव( कासगंज जिले का बहादुर नगर ) वालों का कहना जानते हैं, उन्हीं की ज़ुबानी

Update: 2024-07-03 13:59 GMT

Hathras Stampede: हाथरस भगदड़ कांड के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में जो नाम है, वो है बाबा नारायण साकार हरि उर्फ़ साकार नारायण हरि भोले बाबा. हर कोई सिर्फ इसी एक नाम की चर्चा कर रहा है, जिसके सत्संग में ढाई लाख से ज्यादा लोग सामिल हुए और फिर ऐसा हादसा हुआ कि उसमें 121 लोगों की मौत हो गयी. इस सबके बीच अब भी ऐसे लोग हैं जो साकार नारायण हरि भोले को किसी भगवान से कम नहीं समझते हैं. क्या है इस बाबा के गाँव( कासगंज जिले का बहादुर नगर ) वालों का कहना जानते हैं, उन्हीं की ज़ुबानी.

प्रचार करने के लिए नौकरी छोड़ी

कासगंज जिले के गाँव बहादुर नगर गाँव के लोगों का कहना है कि उन्होंने ( बाबा ) कभी किसी से कोई दान या "चढ़ावा" (प्रसाद) नहीं मांगा. इतना ही नहीं उन्होंने इस धार्मिक काम के लिए नौकरी तक छोड़ दी. लोगों का कहना है कि बाबा पहले पुलिस विभाग में काम करते थे. हालाँकि, जब उन्होंने देखा कि लोग उनके विचारों से जुड़ रहे हैं और उनके सत्संग (धार्मिक समागम) के लिए एकत्रित हो रहे हैं, तो उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और धार्मिक उपदेशक बन गए. इससे पहले वो पटियाली तहसील के अंतर्गत अपने गांव धाम में ही सत्संग करते थे, लेकिन जब कार्यक्रमों में भीड़ बढ़ने लगी और गरीब किसानों की फसलें बर्बाद होने लगीं तो उन्होंने ये बंद कर दिया.

'कभी दान नहीं मांगा'

उनके गांव के निवासियों ने बताया कि धर्मगुरु ने कभी किसी से दान या 'चढ़ावा' नहीं मांगा. जब न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने पूछा कि बाबा ने 'भव्य धाम' कैसे बनाया, तो ग्रामीणों ने कहा कि ये भक्तों से प्राप्त दान से बनाया गया है, और उन्होंने उनसे कुछ भी नहीं मांगा है.

गांव की महिलाओं ने बताया कि बाबा का आचरण बहुत अच्छा था और वो केवल भगवान से संबंधित बातें ही करते हैं.

गाँव में ही रहने वाले धन सिंह और मोहित कुमार ने बताया कि बाबा आश्रम के पास ही रहते हैं. एक अन्य ग्रामीण जय कुमार ने बाबा की खूब प्रशंसा की और कहा कि वे और अन्य लोग अक्सर बाबा के सत्संग में आते हैं.

जिन्दा होने की आस में दो दिनों तक बेटी का शव रखा था

गाँव के कुछ लोगों ने ये दावा किया कि बाबा की उम्र 60 वर्ष से अधिक है और उनकी कोई संतान नहीं है. उन्होंने बताया कि उन्होंने एक लड़की को गोद लिया था, जो करीब 16-17 साल पहले मर गई थी. बाबा ने दो दिन तक उसका शव अपने घर पर ही रखा था, इस उम्मीद में को फिर से जिंदा हो जाएगी.

स्थानीय लोगों ने ये भी बताया कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और उसके बाद में लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

बाबा के बारे में कहा जाता है कि वे मैनपुरी में एक आश्रम चलाते हैं. हाथरस जिले में उनके सत्संग में मची भगदड़ के एक दिन बाद आश्रम के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई और 31 लोग घायल हो गए.

हालांकि, जब अधिकारियों से पूछा गया कि क्या बाबा आश्रम के अंदर हैं, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. वहीँ पुलिस सूत्रों ने बताया कि बाबा आश्रम के अंदर ही था. यहां बिछावन स्थित आश्रम के बाहर कई पुलिस थानों से पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है ताकि कोई भी अंदर न जा सके. मीडिया को भी आश्रम के अन्दर जाने से रोका जा रहा है. 

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