भारत-रूस रक्षा सहयोग: अब महज खरीदार-विक्रेता नहीं, तकनीक और उत्पादन पर फोकस
Modi-Putin Summit: मोदी–पुतिन शिखर वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि यह परिवर्तन भारत की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की नीति के अनुरूप है।
India-Russia Defence Partnership: भारत और रूस के बीच लंबे समय से चली आ रही व्यापक रक्षा साझेदारी अब पूरी तरह नया स्वरूप लेने जा रही है। दोनों देशों ने इस सहयोग को पारंपरिक खरीदार-विक्रेता संबंध से आगे बढ़ाकर संयुक्त अनुसंधान (R&D), सह-विकास और उन्नत सैन्य तकनीकों एवं प्रणालियों के सह-उत्पादन की दिशा में ले जाने पर सहमति जताई है।
मोदी–पुतिन शिखर वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि यह परिवर्तन भारत की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की नीति के अनुरूप है। दोनों देशों ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत रूसी मूल के हथियारों और रक्षा प्रणालियों के रखरखाव के लिए आवश्यक स्पेयर पार्ट्स, कॉम्पोनेंट्स और अन्य उत्पादों के संयुक्त निर्माण और तकनीक हस्तांतरण को बढ़ावा देने पर भी सहमति व्यक्त की।
निर्यात के लिए संयुक्त उद्यम
संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों देश ऐसे संयुक्त उद्यम स्थापित करने पर भी काम करेंगे, जिनमें भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतें पूरी की जाएं और बाद में इन्हें “मैत्रीपूर्ण तृतीय देशों” को भी निर्यात किया जा सके। हालांकि इस शिखर बैठक के दौरान कोई नया रक्षा समझौता नहीं हुआ, लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलोउसॉव के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में भारत की एस-400 ‘त्रायम्फ’ वायु रक्षा प्रणाली की पांच और स्क्वाड्रन खरीदने की योजना पर चर्चा हुई। साथ ही, मौजूदा यूनिटों के लिए लगभग 10,000 करोड़ रुपये मूल्य के सरफेस-टू-एयर मिसाइलों की खरीद पर भी बात हुई, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था।
ब्रह्मोस-एनजी पर बातचीत
भारत कम दूरी की पैंत्सिर और वर्बा मैन-पोर्टेबल सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों को हासिल करने पर भी विचार कर रहा है। इसके अलावा, 200 किमी से अधिक मारक क्षमता वाली R-37 एयर-टू-एयर मिसाइल और उसकी उन्नत संस्करण RVV-BD को भी IAF के उन्नत सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों पर तैनात करने की योजना है। अत्याधुनिक और हल्के संस्करणों वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों के संयुक्त उत्पादन का मुद्दा भी वार्ता में शामिल रहा। ब्रह्मोस-एनजी मिसाइलें हल्के लड़ाकू विमानों पर भी तैनात की जा सकेंगी, जबकि वर्तमान ब्रह्मोस केवल भारी सुखोई-30MKI विमान वहन कर सकते हैं।
सैन्य आदान-प्रदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दोनों देशों के बीच नियमित सैन्य संपर्कों और ‘इंद्र’ संयुक्त सैन्य अभ्यासों की सराहना की। दोनों नेताओं ने सैन्य सहयोग की गति बनाए रखने और सैन्य प्रतिनिधि मंडलों के आदान-प्रदान को बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
आतंकवाद के खिलाफ मजबूत रुख
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने आतंकवाद को हर रूप में रोकने और उससे निपटने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें सीमा पार आतंकवाद, आतंकवादी फंडिंग नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों का मुद्दा भी शामिल है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस दशकों से आतंकवाद के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं। चाहे पहलगाम का हमला हो या क्रोकस सिटी हॉल पर कायराना हमला — इन सभी घटनाओं की जड़ एक ही है। भारत मानता है कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा आक्रमण है और इसके खिलाफ वैश्विक एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने सभी प्रकार के आतंकवाद को “अपराध और किसी भी धार्मिक या वैचारिक बहाने से पूरी तरह अक्षम्य” बताया। दोनों देशों ने अल-कायदा, ISIS/दाएश और उनके सहयोगी गुटों सहित सभी संयुक्त राष्ट्र सूचीबद्ध आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने पर जोर दिया।