अग्निपथ का मकसद सेना को युवा बनाना, कारगिल में विपक्ष पर जमकर भड़के पीएम
कारगिल विजय दिवस पर पीएम नरेंद्र मोदी खुद कारगिल पहुंचे और भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि भारत के वीर सपूतों ने साबित कर दिया कि वो क्यों सर्वश्रेष्ठ हैं।
Kargil Vijay Diwas: कारगिल विजय दिवस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर पीएम मोदी ने अग्निपथ स्कीन का जिक्र करते हुए विपक्ष पर जमकर भड़के। उन्होंने कहा कि अग्निपथ स्कीम का मकसद सेना को युवा बनाना है. विपक्ष इस मुद्दे पर सिर्फ और सिर्फ राजनीति कर रहा है.जो लोग देश के युवाओं को गुमराह कर रहे हैं।उनका इतिहास साक्षी है कि उन्हें सैनिकों की कोई परवाह नहीं है।ये वही लोग हैं, जिन्होंने 500 करोड़ की मामूली रकम दिखाकर OROP पर झूठ बोला।ये हमारी सरकार है, जिसने आरोप लागू किया।पूर्व सैनिकों को 1.25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दिए गए।
सच्चाई ये है कि अग्निपथ योजना से देश की ताकत बढ़ेगी और देश का सामर्थ्यवान युवा भी मातृभूमि की सेवा के लिए आगे आएगा।प्राइवेट सेक्टर और पैरा मिलिट्री फोर्सेस में भी अग्निवीरों को प्राथमिकता देने की घोषणाएं की गई हैं। दुर्भाग्य से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इतने संवेदनशील विषय को कुछ लोगों ने राजनीति का विषय बना दिया है।कुछ लोग सेना के इस reform पर भी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए झूठ की राजनीति कर रहे हैं।ये वही लोग हैं, जिन्होंने सेनाओं में हजारों-करोड़ के घोटाले करके हमारी सेनाओं को कमजोर किया।ये वही लोग हैं, जो चाहते थे कि एयरफोर्स को कभी आधुनिक फाइटर जेट न मिल पाएं।ये वही लोग हैं, जिन्होंने तेजस फाइटर प्लेन को भी डिब्बे में बंद करने की तैयारी कर ली थी।
हमारे लिए सेना मतलब - 140 करोड़ देशवासियों की आस्था। हमारे लिए सेना मतलब - 140 करोड़ देशवासियों की शांति की गारंटी। हमारे लिए सेना मतलब - देश की सीमाओं की सुरक्षा की गारंटी।
दिन, महीनें, वर्ष, सदियां गुजर जाती हैं। लेकिन राष्ट्र की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वालों के नाम अमिट रहते हैं।ये देश हमारी सेना के पराक्रमी महानायकों का सदा-सर्वदा ऋणी है।ये देश उनके प्रति कृतज्ञ है।
पीएम ने दी श्रद्धांजलि
81 दिन तक चली थी लड़ाई
कारगिल युद्ध में भारतीय फौज की दिलेरी और शौर्य के अनगिनत किस्से और कहानियां हैं लेकिन हम यहां वीरता का सबसे बड़ा पदक परमवीर चक्र अपने नाम करने वाले जवानों की वीरगाथा बताएंगे जिन्होंने अपने साहस से दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए...ऐसा पराक्रम दिखाया कि उनकी रूह कांप गई। इसमें सबसे पहला नाम कैप्टन विक्रम बत्रा का है।
कैप्टन विक्रम बत्रा भारतीय सेना की 13वीं बटालियन, जम्मू और कश्मीर राइफल्स के ऑफिसर थे। कारगिल युद्ध की जीत में विक्रम बत्रा ने अहम भूमिका निभाई। एक चोटी पर जीत के बाद इन्होंने कहा था 'ये दिल मांगे मोर'। जीत की ऐसी भू्ख लिए कैप्टन बत्रा दुश्मनों के लिए काल बन गए थे। अपनी बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए इन्होंने द्रास सेक्टर में प्वाइंट 5140 पर दोबारा कब्जा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक अन्य चोटी पर दुश्मनों से वीरता पूर्वक लड़ते हुए शहादत को प्राप्त हुए। कैप्टन विक्रम बत्रा को असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
मनोज पांडे
शौर्य की इबारत लिखने वाले लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे की वीरता सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। गोरखा रेजिमेंट के कैप्टन मनोज पांडे के सर्वोच्च बलिदान ने कारगिल युद्ध की दिशा बदल दी। शहीद होने से पहले उन्होंने दुश्मन के तीन बंकरों को ध्वस्त कर दिया था। खालूबार की चोटी पर भारत का झंडा लहराने वाले मनोज कुमार पांडे को मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया।
राइफलमैन संजय कुमार