आरजी कर रेप - हत्या मामला: सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई में उठाए गए 10 प्रमुख बिंदु

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एक अहम टिप्पणी की है कि वे सीबीआई के अब तक के निष्कर्षों से 'परेशान' हैं। आज की सुनवाई में उठाए गए अन्य महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं

Update: 2024-09-17 11:08 GMT

Kolkata Rape Cum Murder Case : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के अन्दर ट्रेनी महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ मंगलवार को सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में किये गए खुलासे को परेशां करने वाला बताया. साथ ही साथ महिलाओं को रात्रि पाली में काम करने से रोकने संबंधी अधिसूचना को रद्द करने और विकिपीडिया को अपने पृष्ठों से आरजी कर पीड़िता की पहचान हटाने के लिए कहने जैसे कुछ महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए.


आज की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच द्वारा जो 10 शीर्ष बिंदु उठाये गए वो इस प्रकार है:

1 - जल्दबाजी न करे सीबीआई
सीजेआई द्वारा की गई महत्वपूर्ण टिप्पणियों में से एक यह है कि आरजी कर अस्पताल में बलात्कार और हत्या मामले की जांच कर रही सीबीआई को इस संवेदनशील मामले में चार्जशीट दाखिल करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. सीजेआई ने कहा कि सीबीआई को जांच पूरी करने के लिए और समय दिया जाना चाहिए क्योंकि वे कई सुरागों का पीछा कर रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, "हमें सीबीआई को पर्याप्त समय देना होगा, वे सो नहीं रहे हैं. उन्हें सच्चाई सामने लाने के लिए समय दिया जाना आवश्यक है."

2 - सीबीआई रिपोर्ट से व्यथित, खुलासा करने से इनकार: सुप्रीम कोर्ट
सीजेआई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट देखी है, लेकिन जांच में बाधा न आए, इसलिए कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि वे खुलासे से "परेशान" हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हमने सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट देखी है. सीबीआई क्या कर रही है, इसके बारे में आज खुलासा करने से जांच की दिशा प्रभावित होगी. आप समझ सकते हैं कि हम सीबीआई द्वारा की जा रही आगे की जांच के बारे में भी क्यों नहीं बता सकते. मैं आपको केवल यह आश्वासन देना चाहता हूं कि सीबीआई द्वारा की जा रही आगे की जांच का उद्देश्य पूर्ण सत्य को उजागर करना है और आगे की सच्चाई और गिरफ्तार किए गए आरोपी के अलावा कोई भी अन्य सुराग सामने आ सकता है."
जब एक वकील ने बताया कि किस तरह शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और नमूने जब्त किए गए, तो पीठ ने कहा, "सीबीआई ने जो खुलासा किया है वह बदतर और परेशान करने वाला है. हम खुद इससे परेशान हैं."
इसके अलावा, पीठ ने कहा, "हम इसे यहीं रखेंगे ताकि जांच की आगे की संभावना को खतरे में न डाला जाए. जैसा कि आप सभी जानते हैं, प्रिंसिपल के अलावा, एसएचओ की भी गिरफ्तारी हुई है. वह सीबीआई की हिरासत में है, और जांच के दौरान महत्वपूर्ण सबूत सामने आएंगे."

3 - महिलाएं रात में काम क्यों नहीं कर सकतीं?
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने बंगाल सरकार की उस अधिसूचना की भी आलोचना की जिसमें कहा गया था कि सरकारी अस्पताल महिला डॉक्टरों को रात की शिफ्ट आवंटित करने से बचेंगे. पीठ ने कहा कि रात की शिफ्ट में काम करने की इच्छुक महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना राज्य का कर्तव्य है. आरजी कर अस्पताल में बलात्कार और हत्या मामले के मद्देनजर जारी अधिसूचना में संशोधन करने के लिए बंगाल सरकार को निर्देश देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "आप यह कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं? महिला डॉक्टरों पर सीमाएं क्यों लगाई जा रही हैं? वे रियायत नहीं चाहतीं. महिलाएं एक ही शिफ्ट में काम करने के लिए तैयार हैं."
ममता बनर्जी सरकार के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से इस पर गौर करने का आग्रह करते हुए सीजेआई ने कहा, "पश्चिम बंगाल को अधिसूचना को सही करना चाहिए, आपका कर्तव्य सुरक्षा प्रदान करना है, आप यह नहीं कह सकते कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकती हैं. पायलट, सेना आदि सभी रात में काम करते हैं." अदालत ने कहा कि महिला डॉक्टरों के रात में काम न करने की स्थिति उनके करियर पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी. राज्य सरकार अधिसूचना वापस लेने पर सहमत हो गई है.

4 - मुख्य 'लापता' चालान पर
आरजी कार बलात्कार-हत्या मामले में प्रमुख 'लापता दस्तावेज', चालान या फॉर्म संख्या 5371 के मुद्दे पर, सिब्बल ने कहा कि कोलकाता पुलिस 1997 से इसका उपयोग नहीं कर रही है और उन्होंने उच्च न्यायालय को ऐसा कोई चालान नहीं दिखाया है, इसके बजाय उन्होंने भारत सरकार की मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार एक लिखित मांगपत्र का उपयोग किया है.
तदनुसार, मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि वे इस स्पष्टीकरण को स्वीकार नहीं करते, क्योंकि एक बार वैधानिक प्रारूप बन गया है. रिपोर्टों के अनुसार, कोलकाता पुलिस चालान 5371 का उपयोग नहीं करती है, जो पोस्टमार्टम के लिए शव के साथ जमा किया जाने वाला एक वैधानिक प्रपत्र है, जिसके बिना पोस्टमार्टम नहीं किया जा सकता है.
इसके बजाय, कोलकाता पुलिस ने 9 अगस्त को ताला पुलिस के एक एसआई द्वारा लिखित एक पृष्ठ का आवेदन आरजी कर अस्पताल के फोरेंसिक विभागाध्यक्ष को “डॉक्टरों के एक बोर्ड” की उपस्थिति में वीडियोग्राफी के तहत “मजिस्ट्रियल पोस्टमॉर्टम और पूछताछ परीक्षा” के लिए प्रस्तुत किया,
लेकिन सुप्रीम कोर्ट फॉर्म 5371 पर जोर दे रहा था क्योंकि इसमें चोट के निशान, मौत का कारण और शव के साथ भेजे गए कपड़ों और वस्तुओं के बारे में टिप्पणी जैसी विस्तृत जानकारी होती है. सुप्रीम कोर्ट विशेष रूप से इस चालान के लिए पूछ रहा था लेकिन सिब्बल ने कहा कि पुलिस ने लिखित मांग का इस्तेमाल किया.

5 - सुप्रीम कोर्ट ने विकिपीडिया को जानकारी हटाने का निर्देश दिया
यह देखते हुए कि बलात्कार-हत्या पीड़िता की तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रसारित होती रहती हैं, सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने इस पर ध्यान देने के लिए एक आदेश पारित किया और विकिपीडिया को पीड़िता के नाम और फोटो के बारे में जानकारी हटाने का भी निर्देश दिया.

6 - सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग वाली याचिका खारिज की
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में बलात्कार और हत्या की घटना के मद्देनजर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने वकील को उसकी दलील के लिए फटकार लगाई और कहा कि उसके पास ऐसा आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है. "यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है. आप बार के सदस्य हैं. हम जो कहते हैं, उसके लिए हमें आपकी पुष्टि की आवश्यकता नहीं है. आप जो कहते हैं, वह कानूनी अनुशासन के नियमों का पालन करना चाहिए."
पीठ ने कहा, "हम यहां यह देखने के लिए नहीं हैं कि आप किसी राजनीतिक पदाधिकारी के बारे में क्या सोचते हैं. हम डॉक्टरों की विशिष्ट शिकायतों से निपट रहे है. यदि आप मुझसे यह निर्देश देने के लिए कहते हैं कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए तो यह हमारे अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं है."

7 - सुप्रीम कोर्ट ने लाइव स्ट्रीमिंग रोकने का अनुरोध ठुकराया
सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार के उस अनुरोध को भी ठुकरा दिया जिसमें अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग रोकने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह जनहित का मामला है और लोगों को पता होना चाहिए कि अदालत में क्या हो रहा है. कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि लाइवस्ट्रीम से वकीलों की प्रतिष्ठा खराब हो रही है और महिलाओं को धमकियों का सामना करना पड़ रहा है.
सिब्बल ने कहा, "मेरे चैंबर में महिलाओं को धमकियां दी जा रही हैं और फिर मेरे हंसने के बारे में पोस्ट किए जा रहे हैं. मैं कब हंसा कहा जा रहा है कि उन पर तेजाब फेंका जाएगा और बलात्कार किया जाएगा आदि जमीनी स्तर पर लोग यह कह रहे हैं."

8- डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि काम पर नहीं जाने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई 'दंडात्मक कार्रवाई' नहीं की जाएगी.

9 - शौचालय सुविधा और सीसीटीवी लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय ने बंगाल सरकार को दो सप्ताह के भीतर सीसीटीवी कैमरे लगाने और डॉक्टरों के लिए पर्याप्त शौचालय की सुविधा सहित सुरक्षा उपाय बढ़ाने का आदेश दिया। रातिरर साथी कार्यक्रम की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की मदद के लिए अनुबंध पर कर्मचारी रखने के लिए बंगाल सरकार की खिंचाई भी की.
सर्वोच्च न्यायालय ने सुझाव दिया कि बंगाल सरकार को अस्पतालों में शौचालय की सुविधा, सीसीटीवी और बायोमेट्रिक पहुंच की उचित व्यवस्था करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और वरिष्ठ तथा कनिष्ठ डॉक्टरों के प्रतिनिधियों से परामर्श करना चाहिए.

10 - आरजी कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच
सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.



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