बजट 2025: शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए मोदी सरकार ने खोला पिटारा, दी बड़ी सौगात
Union budget 2025: सरकार के लिए शिक्षा क्षेत्र प्राथमिकता बना हुआ है. साल 25-26 में सामाजिक क्षेत्र के कुल खर्च में शिक्षा क्षेत्र को सबसे बड़ा हिस्सा मिला है.;
Union budget 2025 on education: बजट 2025-26 में मोदी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाने के अपने फोकस को जारी रखा है. केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण, महिला और बाल विकास को अधिक बजट का आवंटन किया है.
शिक्षा क्षेत्र को प्राथमिकता
सरकार के लिए शिक्षा क्षेत्र प्राथमिकता बना हुआ है. साल 25-26 में सामाजिक क्षेत्र के कुल खर्च में शिक्षा क्षेत्र को सबसे बड़ा हिस्सा मिला है. इसका बजट ₹1.28 लाख करोड़ (वित्त वर्ष 2026 के बजट अनुमान) रखा गया है. यह पिछले वर्ष के ₹1.25 लाख करोड़ (बजट अनुमान 2024-25) और संशोधित अनुमान ₹1.14 लाख करोड़ की तुलना में अधिक है. शिक्षा पर बजट आवंटन लगातार बढ़ रहा है. जो 2022-23 में ₹97,000 करोड़ था.
ग्रामीण विकास के लिए बजट
ग्रामीण विकास के लिए आवंटन बढ़कर ₹2.66 लाख करोड़ (वित्त वर्ष 2026) हो गया है.जबकि वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान में यह ₹1.90 लाख करोड़ था. वित्त वर्ष 2025 के बजट अनुमान में यह ₹2.65 लाख करोड़ था.
स्वास्थ्य बजट में वृद्धि
स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट ₹98,311 करोड़ कर दिया गया. जो वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान ₹88,032 करोड़ और बजट अनुमान ₹89,287 करोड़ से अधिक है. आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, सरकार के सामाजिक सेवाओं पर खर्चं (SSE) में वित्त वर्ष 2017 से लगातार वृद्धि हो रही है. SSE का कुल व्यय के अनुपात में प्रतिशत वित्त वर्ष 2021 में 23.3% से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 26.2% हो गया है. वित्त वर्ष 2024 (संशोधित अनुमान) में SSE खर्च में 21% की वृद्धि हुई. जबकि वित्त वर्ष 2025 (बजट अनुमान) में इसमें 10% की वृद्धि हुई. वित्त वर्ष 2021 (महामारी वर्ष) से लेकर वित्त वर्ष 2025 (बजट अनुमान) तक, SSE 15% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है.
सामाजिक क्षेत्र का कुल बजट
वित्त वर्ष 2021 में केंद्र और राज्य सरकारों का सामाजिक क्षेत्र पर कुल खर्च ₹14.8 लाख करोड़ था. जो लगातार बढ़ते हुए वित्त वर्ष 2025 (बजट अनुमान) में ₹25.7 लाख करोड़ हो गया है.
चुनौतियां
बजट अनुमान और संशोधित अनुमान के बीच बड़ा अंतर दिखाता है कि नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन और संसाधनों के बेहतर उपयोग की जररूत है. शिक्षा क्षेत्र का आवंटन बढ़ा है. लेकिन यह जीडीपी का सिर्फ 2.7-2.9% है. जो कि यूनेस्को के 4-6% के वैश्विक मानक से काफी कम है. स्वास्थ्य क्षेत्र का खर्च बढ़कर 1.9% जीडीपी हुआ. लेकिन यह अभी भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 द्वारा निर्धारित 2.5% के लक्ष्य से कम है.