राहुल के 'ट्रंप बयान' से विपक्ष में मतभेद, सत्तापक्ष हमलावर
राहुल गांधी द्वारा ट्रंप की 'इंडियन इकोनॉमी डेड' टिप्पणी को सही ठहराने से कांग्रेस की रणनीति कमजोर हुई और बीजेपी को हमला करने का बड़ा मौका मिल गया है।;
राहुल गांधी द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादास्पद टिप्पणी भारतीय अर्थव्यवस्था मर चुकी है को एक तथ्य के रूप में स्वीकार करना, भारत की राजनीति में एक नई बहस का कारण बन गया है। यह बयान ऐसे समय आया है जब महज दो दिन पहले ही राहुल ने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ट्रंप के सीज़फायर मध्यस्थता वाले दावे को खारिज करने की पुरज़ोर मांग की थी। ट्रंप के टैरिफ हमलों के बीच कांग्रेस विपक्षी एकजुटता के दृश्य को संभालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन राहुल की टिप्पणी ने विपक्ष की तैयार रणनीति को झटका दे दिया है।
क्या यह राजनीतिक रूप से समझदारी भरा कदम था?
राहुल गांधी की ट्रंप के बयान पर सहमति को लेकर कांग्रेस में कोई सार्वजनिक दरार तो नहीं दिख रही, लेकिन अंदरूनी असहजता जरूर सामने आई है। सिर्फ़ 48 घंटे पहले राहुल ने लोकसभा में मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए प्रधानमंत्री से सवाल पूछा था ट्रंप क्या बकवास कर रहे हैं?" लेकिन अब ट्रंप के उसी इंडियन इकोनॉमी इज़ डेड बयान को सही ठहराना राजनीतिक अपरिपक्वता माना जा रहा है। इस टिप्पणी ने मुद्दे की दिशा ही बदल दी। जहां ध्यान अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए जा रहे टैरिफ और पेनल्टी जैसे कदमों पर होना चाहिए था, अब चर्चा का केंद्र बन गया है राहुल गांधी द्वारा ट्रंप का समर्थन।
क्या राहुल ने बीजेपी को तोहफ़ा दे दिया?
विशेषज्ञों की मानें तो राहुल गांधी का यह बयान बीजेपी के लिए वांछित मोड़ साबित हुआ है। अभी तक पूरा विमर्श मोदी सरकार द्वारा ट्रंप के 25 प्रतिशत टैरिफ और अस्पष्ट आर्थिक दंडों के सामने असहाय होने पर था। लेकिन अब बीजेपी ने स्क्रिप्ट ही बदल दी है। सोशल मीडिया पर बीजेपी प्रचार तंत्र राहुल को 'भारत विरोधी' और 'विदेशी नेता का पक्षधर' बताकर निशाना बना रही है। यह मौका बीजेपी के लिए संजीवनी साबित हो रहा है और वह भी राहुल गांधी की वजह से।
विपक्ष की रणनीति को कितना नुकसान?
INDIA गठबंधन ने संसद सत्र शुरू होने से पहले ही व्यापक रणनीति बनाई थी। अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे के साथ-साथ घरेलू विषयों जैसे विशेष पुनरीक्षण अभ्यास (SIR) और छत्तीसगढ़ में केरल की ननों की गिरफ्तारी को एक साथ उठाने की योजना थी। लेकिन अब यह सब हाशिए पर चला गया है। राहुल की टिप्पणी ने बेरोज़गारी, MSME संकट और विकासहीन वृद्धि जैसे गंभीर आर्थिक मुद्दों को एक सनसनीखेज हेडलाइन में समेट दिया है।
राहुल ने बाद में एक ट्वीट कर नोटबंदी, जीएसटी और आर्थिक नीतियों को भारतीय अर्थव्यवस्था की बदहाली के कारण बताया, लेकिन तब तक मीडिया की सुर्खियां राहुल बोले, ट्रंप सही हैं इंडियन इकोनॉमी डेड है” बन चुकी थीं।
एक नैरेटिव की हार है या रणनीतिक चूक?
राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण होता है नैरेटिव पर नियंत्रण। राहुल गांधी की आलोचना अडानी, नोटबंदी, जीएसटी और किसान संकट जैसे मुद्दों परजमीनी हकीकत से जुड़ी हुई है और जनता के बीच समर्थन भी रखती है। लेकिन जिस ढंग से उन्होंने ट्रंप के बयान का समर्थन किया, उसने बीजेपी को एक सीधा हथियार दे दिया। सरकार अब असली आर्थिक सवालों से ध्यान हटाकर कांग्रेस को “राष्ट्रविरोधी” ठहराने की कोशिश में जुट गई है।
इतना ही नहीं, ट्रंप की पाकिस्तान से नई तेल डील के चलते राहुल का ट्रंप समर्थन बीजेपी को कांग्रेस को विदेशी हितों के साथ खड़ा बताने का मौक़ा भी दे रहा है। राहुल गांधी का बयान केवल एक बयान नहीं, बल्कि विपक्षी एकजुटता के लिए एक बड़ा झटका है। यह एक ऐसा क्षण है जिसे बीजेपी लंबे समय तक भुना सकती है। जब ट्रंप की नीति भारत को आर्थिक रूप से चोट पहुंचा रही है, तब कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले नेता द्वारा उसी ट्रंप का अप्रत्यक्ष समर्थन, विपक्ष की नैतिक बढ़त को खो सकता है।