नितिन गडकरी बोले-बढ़ रही गरीबों की संख्या, बयान के बहाने कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर
नितिन गडकरी ने कहा, अर्थव्यवस्था का केंद्रीयकरण नहीं होना चाहिए. इससे धीरे-धीरे गरीब बढ़ते जा रहे हैं. और कुछ धनवान लोगों के हाथ में संपत्ति का केंद्रीयकरण हो रहा है.;
मोदी सरकार के 11 वर्षों के कार्यकाल में आर्थिक असमानता का मुद्दा छाया रहा है. इसे लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर रहा है. लेकिन अब केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी देश में बढ़ते आर्थिक असमानता की बात को स्वीकार रहे हैं. उन्होंने कहा, देश में गरीबों की संख्या बढ़ती जा रही है जबकि धनवानों की संपत्ति में इजाफा होता जा रहा है.
दो दिन पहले नागपुर में सीए छात्रों के नेशनल कॉंफ्रेंस को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा, धीरे-धीरे गरीब बढ़ते जा रहे हैं. और कुछ धनवान लोगों के हाथ में संपत्ति का केंद्रीयकरण हो रहा है. ऐसा नहीं होना चाहिए. गडकरी के इस बयान ये सरकार असहज महसूस कर रही है तो विपक्षी पार्टियों को मोदी सरकार पर हमला बोलने का मौका मिल गया है.
कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस भाषण का जिक्र किया गया जिसमें वे दावा कर रहे हैं कि हमारी सरकार के प्रयासों से आज देश में गरीबी तेजी से कम हो रही है. जबकि गडकरी के बयान को साथ में पोस्ट किया गया है जिसमें वे कह रहे हैं कि अर्थव्यवस्था का केंद्रीयकरण नहीं होना चाहिए. इससे धीरे-धीरे गरीब बढ़ते जा रहे हैं. और कुछ धनवान लोगों के हाथ में संपत्ति का केंद्रीयकरण हो रहा है.
इसी साल 2025 में देश में आर्थिक असमानता और संपत्तियों में असमानता को लेकर Oxfam ने अपने रिपोर्ट Survival of the Richest: The India Story में कहा है कि देश की 40 फीसदी संपत्ति पर 1 फीसदी अमीरों का कब्जा है. जबकि नीचे से 50 फीसदी के पास देश की केवल 3 फीसदी ही संपत्ति मौजूद है. वर्ल्ड इनइक्वालिटी डेटाबेस (World Inequality Database) के मुताबिक भारत में आय असमानता 2004 में Gini 52 से बढ़कर 2023 में 62 हो गई है. वेतन असमानता अब भी बहुत अधिक है. 2023–24 में टॉप 10 फीसदी लोगों की औसत आय निचले 10 फीसदी के मुकाबले 13 गुना अधिक थी. और 1990 के बाद से देश में आर्थिक उदारीकरण के बाद से भारत में आर्थिक असमानता लगातार बढ़ी है.