सरकार ने वीआईपी सुरक्षा के लिए एनएसजी कमांडो की जगह सीआरपीएफ को तैनात किया

केंद्र सरकार ने एनएसजी का "पुनर्गठन" करने और इसकी मानव शक्ति का उपयोग अयोध्या में राम मंदिर के पास और दक्षिण भारत में स्थित कुछ महत्वपूर्ण संपत्तियों के आसपास कुछ उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में कमांडो की 'स्ट्राइक टीमों' को गठित करने और तैनात करने के लिए करने का निर्णय लिया है.

Update: 2024-10-16 13:17 GMT

NSG No More on VVIP Secutiry: नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड यानी एनएसजी के गार्ड अब वीवीआईपी सुरक्षा में नज़र नहीं आयेंगे. उनकी जगह अब सीआरपीएफ के कमांडों को वीवीआईपी सुरक्षा का ज़िम्मा सौंपा जा रहा है. इस सन्दर्भ में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी हाल ही में संसद की सुरक्षा ड्यूटी से हटाए गए विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मियों की एक नई बटालियन को सीआरपीएफ वीआईपी सुरक्षा विंग में शामिल करने की भी मंजूरी दी है.


दो दशक बाद वीवीआईपी सुरक्षा से हटेगी एनएसजी
एनएसजी की बात करें तो वीवीआईपी सुरक्षा में तैनात एनएसजी कमांडो लगभग दो दशक बाद इस दायित्व से अलग होंगे. असल में एनएसजी का गठन आतंक रोधी गतिविधियों के लिए किया गया था.

450 कमांडो होंगे मुक्त
वीवीआईपी ड्यूटी में एनएसजी की लगभग 450 कमांडों तैनात हैं, जो अगले एक महीने में इस ड्यूटी से मुक्त हो जायेंगे और फिर आतंक रोधी ड्यूटी पर तैनात होंगे.

9 जेड प्लस प्रोटेक्टी को मिलेगी सुरक्षा
सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के 'ब्लैक कैट' कमांडो द्वारा संरक्षित नौ 'जेड प्लस' श्रेणी के वीआईपी लोगों - उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उनकी पूर्ववर्ती और बसपा सुप्रीमो मायावती, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, भाजपा नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू - की सुरक्षा अब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा की जाएगी.
सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय के आदेश के तहत दोनों बलों के बीच कार्यभार का हस्तांतरण लगभग एक महीने के भीतर पूरा हो जाने की उम्मीद है.

सीआरपीएफ में नयी बटालियन का होगा गठन
सीआरपीएफ के पास वीआईपी सुरक्षा के लिए छह बटालियन हैं, जिन्हें इस उद्देश्य के लिए सातवीं बटालियन को शामिल करने के लिए कहा गया है. नई बटालियन वही है, जो कुछ महीने पहले तक संसद की सुरक्षा करती थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि पिछले साल सुरक्षा में चूक के बाद संसद की सुरक्षा सीआरपीएफ से सीआईएसएफ को सौंप दी गई थी.
सूत्रों ने बताया कि नया कार्यभार संभालने के तहत आंध्र प्रदेश पुलिस की एक टीम हाल ही में अपने मुख्यमंत्री की सुरक्षा एनएसजी से सीआरपीएफ में बदलने के लिए दिल्ली में थी.
सूत्रों के अनुसार, इन नौ वीआईपी में से दो को सीआरपीएफ द्वारा दी जाने वाली एडवांस्ड सिक्यूरिटी लियासन( एएसएल ) प्रोटोकॉल भी मिलेगा - रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ.
एएसएल में वीआईपी द्वारा दौरा किए जाने वाले स्थान की पहले से जांच की जाती है. सीआरपीएफ अपने पांच वीआईपी के लिए इस तरह का प्रोटोकॉल अपनाता है, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के तीन कांग्रेस नेता शामिल हैं.

2012 से एनसीजी को वीआईपी सुरक्षा कार्यों से मुक्त करने की चल रही थी योजना
एनएसजी को वीआईपी सुरक्षा कार्यों से मुक्त करने की योजना 2012 से ही चल रही थी, जब एनएसजी कमांडरों ने ऐसी घटना का पूर्वानुमान लगाया था, जिसमें देश के कई केंद्रों पर एक साथ आतंकवादी हमले हो सकते थे और कमांडो को विभिन्न दिशाओं में भेजना पड़ सकता था.
पीटीआई ने जनवरी 2020 में बताया था कि गांधी परिवार- सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से एसपीजी (विशेष सुरक्षा समूह) हटाए जाने के बाद गृह मंत्रालय की एक समिति ने वीआईपी सुरक्षा कार्यों से एनएसजी को हटाने का फैसला किया था.

अयोध्या में राम मंदिर की सुरक्षा करेंगे एनएसजी कमांडो
केंद्र सरकार ने एनएसजी का "पुनर्गठन" करने और इसकी मानव शक्ति का उपयोग अयोध्या में राम मंदिर के पास और देश के दक्षिणी भाग में स्थित कुछ महत्वपूर्ण संपत्तियों के आसपास कुछ उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में कमांडो की 'स्ट्राइक टीमों' को गठित करने और तैनात करने के लिए करने का निर्णय लिया है.
नवंबर तक वीआईपी सुरक्षा से एनएसजी को हटा लिया जाएगा. ऐसा दो दशक से अधिक समय बाद होगा, जब 'ब्लैक कैट' कमांडो को इस दायित्व में नियुक्त किया गया था. 1984 में जब इस बल की अवधारणा और स्थापना की गई थी, तब मूल रूप से इस कार्य की योजना नहीं बनाई गई थी.
एनएसजी बुधवार को अपना 40वां स्थापना दिवस मना रहा है.

आतंक रोधी और अपहरण रोधी अभियान में जुटे एनएसजी
केंद्र सरकार का "यह मानना है" कि एनएसजी को आतंकवाद-रोधी और अपहरण-रोधी अभियानों के विशिष्ट कार्यों को संभालने के अपने मूल चार्टर पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और उच्च जोखिम वाले वीआईपी की सुरक्षा का कार्य इसकी सीमित और विशेष क्षमताओं पर "बोझ" साबित हो रहा है.
सूत्रों ने बताया कि एनएसजी को वीआईपी सुरक्षा ड्यूटी से हटाए जाने के बाद करीब 450 'ब्लैक कैट' कमांडो को मुक्त किए जाने की उम्मीद है.

(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)


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