बैसाखी के सहारे चल रहा है NTA का तंत्र, ठेके की कंपनियों से करायी जाती है परीक्षा

ष्ट्रीय टेस्ट एजेंसी ( NTA ), जिसका गठन सरकार ने ये सोच कर किया था कि देश में होने वाली शैक्षिक और रोजगार की परीक्षाओं को निष्पक्ष करवाया जा सकेगा, लेकिन NEET विवाद ने इस सोच कर पूरी तरह से धो कर रख दिया.

Update: 2024-06-22 08:53 GMT

NTA Controversy: राष्ट्रीय टेस्ट एजेंसी ( NTA ), जिसका गठन सरकार ने ये सोच कर किया था कि देश में होने वाली कई महत्वपूर्ण सार्वजानिक परीक्षाओं को निष्पक्ष करवाया जा सकेगा, लेकिन NEET विवाद ने इस सोच कर पूरी तरह से धो कर रख दिया. ऐसा नहीं है कि NEET विवाद से पहले NTA को लेकर कोई भी सवालिया निशान खड़े नहीं हुए. इस बार परिस्थिति चीख चीख कर ये कह रही है कि परीक्षा में गड़बड़ हुई है. इस बीच ये भी जानना जरुरी है कि क्या NTA में काम कर रहे या NTA के लिए काम कर रहे लोग पूरी तरह से विश्वशनीय हैं, क्योंकि शक की सूई एजेंसी पर भी उठ रही है. इस बीच के चौकाने वाली बात ये भी सामने आई है कि जिस एजेंसी को बड़े भरोसे के साथ गठित किया गया वो खुद इतना संवेदनशील काम दूसरों से ठेके पर करवा रही है, शायद यही एक वजह तो नहीं जो हर बड़ी परीक्षा के बाद लोगों को सवाल खड़े करने का मौका देती है.


कब हुआ था NTA का गठन

NTA का गठन 2017 में इस उद्देश्य से किया गया था कि देश होने वाली अति महत्वपूर्ण परीक्षाओं को निष्पक्षता के साथ पूरा कराया जा सके. शुरूआती सालों में सब कुछ ठीक रहा लेकिन बीते कुछ समय से इसकी गुणवत्ता को ऐसा बट्टा लगा कि इस एजेंसी के चक्कर में अब केंद्र सरकार घिरती नज़र आ रही है. जानकार बताते हैं कि शुरुआत में NTA ने प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे एनआईसी, टीसीएस आदि के माध्यम से परीक्षाएं करवाई. लेकिन समय के साथ साथ जैसे काम का बोझ पड़ा और बजट की कमी सामने आई तो फिर जैसे अमूमन होता है, वाही हुआ. NTA ने छोटी कंपनियों को परीक्षा कराने का ठेका देना शुरू कर दिया. ऐसे में कई नियमों के साथ समझौता भी किया गया.

सूत्रों की माने तो इस एजेंसी के साथ ऐसे लोग भी जुड़े जिनका कोई सत्यापन भी नहीं हुआ. NEET और NET-UGC की बात करें तो अगर ये विवाद न होता तो शायद इस बात कोई इस बात पर गौर न करता कि आखिर इतनी विश्वसनीय एजेंसी किस तरह से नियमों से समझौता कर परीक्षा करवा रही है. इसकी एक वजह ये भी निकल कर आई है कि एनटीए के पास खुद का अपना कोई ख़ास स्टाफ नहीं है. इस सम्व्देंशील एजेंसी में कुल 15 अधिकारी है, जिनमें चेयरमैन और महानिदेशक भी शामिल हैं. लेकिन ये स्टाफ भी प्रतिनियुक्ति पर इस एजेंसी में आता है. इस टीम का काम परीक्षा संपन्न करवाना होता है, जिसके लिए दूसरी एजेंसी को ठेका दिया जाता है. इसके अलावा इस टीम के साथ जो काम करने वाला स्टाफ होता है, वो भी ठेके पर रखा जाता है.


कम बजट के चलते होता है गुवात्ता से समझौता

सूत्रों ने ये भी दावा किया है कि इन दिनों NTA का जोर कम बजट में परीक्षा करवाना रह गया है. यही कारण है कि कम बजट में जो परीक्षा करवाने को तैयार हो जाए लगभग उसे ठेका दे दिया जाता है. उसकी गुणवत्ता को प्राथमिकता नहीं दी जाती. जिस कंपनी को ठेका मिलता है, वो मानकों को पूरा करने का भरोसा तो देती हैं लेकिन उसे निभाया जाए, ये जरुरी नहीं होता. ऐसा NEET-UG, JEE मेन जैसी परीक्षाओं में देखने को मिला, जिसमें ये पाया गया कि परीक्षा करवाने वाली कंपनी ने कई जगहों पर बगैर कैमरे के परीक्षा करवाई और कई जगहों पर कम कैमरों से ही काम चला लिया.

ये परीक्षाएं करवाता है NTA

नीट, नेट-पीजी, जेईई मेन, सीयूईटी-यूजी, सीयूईटी-पीजी, यूजीसी- नेट, एनसीटीई एंट्रेंस टेस्ट, सीटेट, कैट 




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