Operation Sindoor: बहावलपुर से कोटली तक, इन ठिकानों को क्यों बनाया गया निशाना

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहह पाकिस्तान और पीओके स्थित 9 ठिकानों पर कार्रवाई की। बहावलपुर से कोटली तक आंतंकियों के ठिकानों पर भारतीय सीमा में रह कर अंजाम दिया गया।;

Update: 2025-05-07 01:56 GMT
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने बहावलपुर से कोटली तक आतंकियों के 9 ठिकानों को ध्वस्त कर दिया।

बुधवार तड़के भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" नामक एक समन्वित और बहु-सेनाओं वाला सैन्य अभियान अंजाम दिया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवाद से जुड़े कुल नौ ठिकानों को निशाना बनाया गया। इन ठिकानों में कुछ सबसे महत्वपूर्ण और लंबे समय से सक्रिय आतंकी प्रशिक्षण केंद्र शामिल थे।

यह सैन्य कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हुई थी, जिनमें से अधिकांश पर्यटक थे। इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का हाथ माना जा रहा है। भारत की यह जवाबी कार्रवाई लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद (JeM), हिज़बुल मुजाहिदीन और उनके सहयोगी नेटवर्कों के लॉजिस्टिक, ऑपरेशनल और ट्रेनिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को ध्वस्त करने के उद्देश्य से की गई।

क्यों चुने गए ये ठिकाने?

इन नौ ठिकानों को इसलिए चुना गया क्योंकि इनका सीधा संबंध भारत के खिलाफ साजिशों और घुसपैठ की घटनाओं से रहा है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इन ठिकानों की पहचान एकत्र की गई जानकारियों और उनकी आतंकी नेटवर्क में भूमिका के आधार पर की।

बहावलपुर: जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय

पाकिस्तान के दक्षिणी पंजाब स्थित बहावलपुर शहर को जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय के रूप में जाना जाता है। इस संगठन का नेतृत्व मसूद अजहर करता है, और यह कई बड़े आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है — जिनमें 2001 का संसद हमला और 2019 का पुलवामा आत्मघाती हमला शामिल है।

मुरिदके: लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा और प्रशिक्षण केंद्र

लाहौर से लगभग 40 किलोमीटर उत्तर में स्थित मुरिदके लश्कर-ए-तैयबा और उसकी सहयोगी संस्था जमात-उद-दावा का प्रमुख आधार है। 200 एकड़ में फैले इस परिसर में प्रशिक्षण केंद्र, वैचारिक शिक्षा शिविर और लॉजिस्टिक सपोर्ट संरचनाएं हैं। मुंबई 26/11 हमले के हमलावरों को यहीं प्रशिक्षण दिया गया था।

कोटली: आत्मघाती हमलावरों का प्रशिक्षण केंद्र

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के कोटली इलाके को भारत ने बार-बार आत्मघाती हमलावरों और घुसपैठियों के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में चिन्हित किया है। सूत्रों के अनुसार, इस परिसर में एक समय में 50 से अधिक प्रशिक्षुओं को रखा जा सकता है।

गुलपुर: राजौरी और पुंछ हमलों का लॉन्चपैड

गुलपुर क्षेत्र 2023 और 2024 में जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ में आतंकी गतिविधियों के लिए अग्रिम लॉन्चपैड के रूप में प्रयोग में लाया गया। यहां से आतंकियों को भारतीय सुरक्षा बलों और नागरिक ठिकानों पर हमले के लिए रवाना किया जाता था।

सवाई: कश्मीर घाटी हमलों से जुड़ा LeT शिविर

सवाई नामक स्थान का संबंध विशेष रूप से सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम में हुए आतंकी हमलों से रहा है।

सरजल और बरनाला: घुसपैठ के रास्ते

अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के करीब स्थित सरजल और बरनाला को आतंकियों के लिए मुख्य प्रवेश बिंदु माना जाता है।

महमूना: हिज़बुल मुजाहिदीन की गतिविधियों का केंद्र

सियालकोट के पास स्थित महमूना शिविर को हिज़बुल मुजाहिदीन द्वारा प्रयोग में लाया जाता था। भले ही संगठन की गतिविधियां हाल के वर्षों में कम हुई हों, लेकिन भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इसके बचे-खुचे गुट अब भी महमूना जैसे इलाकों से संचालित हो रहे हैं, जहाँ उन्हें स्थानीय समर्थन प्राप्त है।

सैन्य कार्रवाई का स्वरूप

बुधवार तड़के 1:44 बजे भारत ने लंबी दूरी की स्टैंडऑफ हथियार प्रणालियों का प्रयोग करते हुए सटीक हमले शुरू किए। यह पहला मौका था जब 1971 के युद्ध के बाद तीनों सेनाओं थल सेना, नौसेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से इस तरह का अभियान चलाया। भारत ने स्पष्ट किया कि इस हमले में पाकिस्तान की किसी भी सैन्य चौकी को निशाना नहीं बनाया गया।

कूटनीतिक प्रयास

सैन्य अभियान के बाद भारत ने दुनिया के प्रमुख देशों से संपर्क साधा। सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के समकक्षों को इस ऑपरेशन की जानकारी दी और भारत के रुख को स्पष्ट किया।

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