पहलगाम से गाजा तक, आतंकी हमलों का एक खौफनाक पैटर्न

पहलगाम आतंकी हमले में हमास जैसा पैटर्न क्यों नजर आ रहा है। दरअसल 7 अक्टूबर 2023 को हमास आतंकियों ने इजरायलियों को नाम और धर्म के आधार पर निशाना बनाया था।;

Update: 2025-04-23 06:42 GMT
बताया जा रहा है कि पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों से उनके नाम, पता और धर्म के बारे में पूछा था।

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर की हसीन वादियों में से एक, पहलगाम की बैसरन घाटी में जो हुआ, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। यह हमला न केवल भारत के लिए एक गहरा जख्म है, बल्कि यह वैश्विक आतंकवाद के उस भयावह चेहरे की भी याद दिलाता है, जो इंसानियत और मासूमियत को बेरहमी से कुचलता है। इस खौफनाक मंजर ने 7 अक्टूबर 2023 को इज़राइल में हुए हमास हमले की भयावहता को फिर से ताजा कर दिया है।

हमास हमला- पहलगाम में समानता

7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकियों ने इज़राइल पर अचानक हमला किया था। इस हमले में 1,200 लोग मारे गए थे, जिनमें से 250 नोवा म्यूजिक फेस्टिवल में शिरकत कर रहे निर्दोष लोग थे। यह हमला उस समय हुआ जब लोग संगीत के बीच अपनी खुशियां मना रहे थे। उसी तरह पहलगाम में भी पर्यटक घुड़सवारी और वादियों की खूबसूरती का आनंद ले रहे थे, जब आतंक ने उन पर कहर बरपाया।

दोनों ही हमलों में आतंकियों ने निहत्थे और खुशियों में डूबे लोगों को मजहब के आधार पर चुनकर मारा। पहलगाम में TRF के आतंकियों ने सैलानियों से उनका धर्म पूछा, अजान सुनाने को कहा और फिर गोलियां बरसा दीं। इज़राइल में हमास के आतंकियों ने यहूदी समुदाय को निशाना बनाया, खासतौर पर गाजा सीमा के नजदीक के क्षेत्रों में।

बैसरन घाटी: स्वर्ग से नरक तक

बैसरन घाटी, जिसे कश्मीर का मिनी स्विट्ज़रलैंड कहा जाता है, उस दिन खून और आंसुओं से भर गई। देवदार के पेड़ों से घिरी घाटी, जहां हरियाली और बर्फीली चोटियों के बीच सुकून था, अचानक गोलियों की गूंज से कांप उठी। उस वादी में जहाँ बच्चों की हँसी गूंजती थी, अब मातम पसरा है।

आतंकियों ने सेना की वर्दी पहनकर घाटी में दाखिल होकर पहले से की गई रेकी के आधार पर हमला किया। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने शरीर पर कैमरे लगाए हुए थे और पूरी घटना की रिकॉर्डिंग भी की।

सुरक्षा चूक और आतंकी साजिश

घटना के वक्त बैसरन घाटी में भारी संख्या में पर्यटक मौजूद थे। चूंकि यह इलाका अपेक्षाकृत शांत माना जाता है, वहां सुरक्षा की खास व्यवस्था नहीं थी। आतंकियों ने इसी कमजोरी का फायदा उठाया। रिपोर्ट्स के अनुसार, हमले को अंजाम देने वाले 4 से 6 आतंकी थे, जिन्होंने मौके पर आकर लोगों की पहचान पूछी और फिर हमला किया।

यह हमला उस समय हुआ जब जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे थे। पर्यटकों की आमद बढ़ रही थी, सिनेमा घर खुलने लगे थे और बाजारों में रौनक लौट रही थी। यह सब आतंकियों की विचारधारा के खिलाफ जा रहा था, और शायद यही कारण था कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन TRF ने इस कायराना हमले को अंजाम दिया।

हमास का हमला और उसका वैश्विक असर

इज़राइल पर हमले के बाद देश ने तत्काल 'ऑपरेशन आयरन स्वॉर्ड्स' शुरू किया। इस ऑपरेशन के तीन उद्देश्य थे—हमास का सफाया, बंधकों की सुरक्षित वापसी और गाजा सीमा पर सुरक्षा की बहाली। इज़राइल ने इस संघर्ष में हमास के सैन्य और राजनीतिक ढांचे को ध्वस्त कर दिया। जवाबी कार्रवाई में करीब 50,000 फिलीस्तीनी मारे गए।

दोनों हमले: राजनीतिक और भावनात्मक चोट

इन दोनों हमलों का मकसद सिर्फ जान लेना नहीं था, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक अस्थिरता फैलाना भी था। इज़राइल में इसे होलोकॉस्ट के बाद यहूदियों पर सबसे बड़ा हमला कहा गया, वहीं भारत में पहलगाम हमला न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा पर हमला था, बल्कि उस विश्वास को भी तोड़ने की कोशिश थी जो घाटी की ओर लौट रहे पर्यटकों और निवेशकों में पनप रहा था।

चाहे वह गाजा हो या बैसरन घाटी, आतंक का चेहरा एक जैसा है नफरत से भरा, निर्दोषों के खिलाफ और मानवता के खिलाफ। यह जरूरी है कि ऐसे हमलों को केवल सुरक्षा के नजरिए से ही नहीं, बल्कि एक वैश्विक मानवीय चुनौती के रूप में भी देखा जाए। दुनिया को एकजुट होकर इस आतंक की विचारधारा के खिलाफ लड़ना होगा, ताकि अगली बार कोई और "बैसरन" या "नोवा म्यूजिक फेस्टिवल" खून में न डूबे।

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