पीएम मोदी ने फिर जताया भरोसा, खुफिया प्रमुख रहे डोभाल को मिला NSA का तीसरा कार्यकाल

अजीत डोभाल को लगातार तीसरी बार एनएसए नियुक्त किया गया है. उन्हें पहली बार 20 मई 2014 को देश का एनएसए नियुक्त किया गया था और वह तब से इस पद को संभाल रहे हैं.

Update: 2024-06-13 16:06 GMT

National Security Adviser Ajit Doval: अजीत डोभाल को लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नियुक्त किया गया है. उन्हें पहली बार 20 मई 2014 को देश का एनएसए नियुक्त किया गया था और वह तब से इस पद को संभाल रहे हैं. ऐसे में 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी और भारत के सबसे मशहूर जासूसों में से एक अजीत डोभाल प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल में भी लगातार एनएसए के रूप में काम करना जारी रखेंगे. उनको रणनीतिक नेतृत्व के साथ काउंटर टेरेरिज्म का विशेषज्ञ माना जाता है.

वीरता पुरस्कार

केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी डोभाल अशोक चक्र के बाद दूसरे सबसे बड़े शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले पहले पुलिसकर्मी भी हैं. डोभाल को लगातार तीसरा कार्यकाल मिलना मोदी सरकार के लिए उनके महत्व को दर्शाता है. उनके रणनीति का ही परिणाम है कि भारत ने पाकिस्तान के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक सहित सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है.

अंतरराष्ट्रीय खजाना

ऐसा कहा जाता है कि जब मोदी साल 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बने तो मोदी के प्रमुख सचिव ने उनके पास हस्ताक्षर के लिए जो पहली फाइल लाई, वह डोभाल की एनएसए के रूप में नियुक्ति की थी. तब से डोभाल मोदी के दाहिने हाथ माने जाते रहे हैं. भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने पिछले साल डोभाल की प्रशंसा करते हुए उन्हें 'अंतरराष्ट्रीय खजाना' कहा था.

खुफिया मिशन

उत्तराखंड के एक गांव के लड़के के रूप में डोभाल की विनम्रता पर अमेरिकी राजदूत ने कहा था कि भारत का एनएसए न केवल राष्ट्रीय खजाना बन गया है, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय खजाना है. पूर्व खुफिया ब्यूरो प्रमुख डोभाल ने अपना लगभग पूरा करियर आईबी में बिताया है. डोभाल को सुरक्षा विशेषज्ञ के तौर पर मिजो नेशनल आर्मी में घुसपैठ करने और म्यांमार और चीन से संबंधित प्रमुख मिशनों की योजना बनाने जैसी खुफिया सफलताओं का श्रेय दिया जाता है. ऑपरेशन ब्लैक थंडर में भी उनका खुफिया काम महत्वपूर्ण था, जो ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद किया गया था, जो स्वर्ण मंदिर में पंजाब के आतंकवादियों के खिलाफ पहली बड़ी कार्रवाई थी.

आईबी प्रमुख

पाकिस्तान में अंडरकवर काम और साल 1999 में आतंकियों द्वारा इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 को हाईजैक करने के बाद डोभाल वार्ताकारों में से एक थे. उनकी इसी काबिलियत को देखते हुए जब साल 2004 में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई, तो कांग्रेस सरकार ने उन्हें आईबी प्रमुख नियुक्त किया. हालांकि, डोभाल की भाजपा नेताओं से कथित निकटता रही.

भारतीय पुलिस

डोभाल के नाम एक और उपलब्धि दर्ज है, वह है अपने करियर के छह साल के भीतर सराहनीय सेवा के लिए भारतीय पुलिस पदक प्राप्त करना. आमतौर पर इस पदक को हासिल करने में करीब 17 साल लग जाते हैं. डोभाल को यह पदक तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने दिया था, जिन्होंने पूर्वोत्तर में उनके काम के लिए उनको सम्मानित किया था. एक खुफिया अधिकारी के रूप में उन्होंने म्यांमार के अराकान में मिजो नेशनल आर्मी और गुप्त रूप से चीनी क्षेत्र के अंदर तक घुसपैठ की थी. उन्होंने वहां इतनी गहरी पैठ बना ली थी कि एमएनएफ नेता लालडेंगा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर डोभाल की बात मानने के लिए उन्हें अपने सेना प्रमुख को बर्खास्त करने की धमकी देनी पड़ी थी. डोभाल ने पाकिस्तान में भी छह साल बिताए और साल 1990 में कश्मीर गए, जब उन्होंने उग्रवादियों (जैसे कुका पार्रे) को कट्टर भारत विरोधी आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए प्रति-विद्रोही बनने के लिए राजी किया. इसने कथित तौर पर 1996 में जम्मू और कश्मीर में राज्य चुनावों का मार्ग प्रशस्त किया.

आईसीईटी

डोभाल साल 2005 में रिटायर हुए. दो साल पहले पीएम मोदी ने डोभाल को अमेरिका के साथ एक ऐतिहासिक समझौते पर बातचीत करने का महत्वपूर्ण काम सौंपा था, जो भारत-अमेरिका संबंधों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता था. राष्ट्रपति जो बाइडेन और पीएम मोदी ने मई 2022 में चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (क्वाड) के टोक्यो शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी और रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ाने और विस्तारित करने के लिए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी (आईसीईटी) पर यूएस-इंडिया पहल की घोषणा की. इसके बाद मोदी ने अमेरिका में विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत करके पहल को परिभाषित करने और विस्तारित करने के लिए डोभाल को चुना. डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने पिछले साल जनवरी में आईसीईटी का शुभारंभ किया था.

राष्ट्रीय सुरक्षा हित

iCET में सुरक्षा और सैन्य तत्व स्पष्ट रूप से मौजूद हैं. इसलिए इसे दोनों देशों के एनएसए डोभाल और सुलिवन द्वारा संचालित किया जा रहा है. लेकिन डोभाल वैश्विक विदेश नीति के उन चुनिंदा लोगों में से एक हैं, जिनकी पृष्ठभूमि खुफिया क्षेत्र में है. डोभाल ने iCET पर उच्च-स्तरीय संवाद पर शीर्ष अमेरिकी नेतृत्व के साथ महत्वपूर्ण बातचीत की. अधिकारियों, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के बाद यह वार्ता दोनों देशों के संबंधों में अगला बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकती है. iCET का ध्यान उन प्रौद्योगिकियों पर अमेरिका-भारत साझेदारी को मजबूत करने पर है, जो दोनों देशों की आर्थिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देंगी और साझा राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करेंगी.

रूपरेखा

पिछले साल जनवरी में वाशिंगटन में iCET की उद्घाटन बैठक से पहले डोभाल और सुलिवन ने सौदे की संभावित रूपरेखा तैयार की थी और थिंक टैंक, कॉरपोरेट्स और विभिन्न सरकारी एजेंसियों और विभागों, व्यावहारिक रूप से अमेरिका और भारत में प्रौद्योगिकी के सभी हितधारकों से संपर्क किया था. डोभाल ने एक बड़े भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ उद्घाटन बैठक में भाग लिया, जिसमें अमेरिका में भारत के राजदूत, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष, दूरसंचार विभाग के सचिव, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के महानिदेशक और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे थे.

जेट इंजन क्लब

iCET के लिए डोभाल-सुलिवन के प्रयास का एक प्रमुख परिणाम जीई एविएशन द्वारा भारत में जेट इंजन बनाने की पेशकश है. सौदे के तहत जीई एविएशन भारत के तेजस-एमके2 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए इंजनों के स्वदेशी निर्माण के लिए भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करेगा. जीई सौदा भारत को जेट इंजन बनाने वाले चार देशों के चुनिंदा क्लब में डाल देगा. फिलहाल चीन अभी इस क्लब का हिस्सा नहीं है. पिछले साल पीएम मोदी की पहली अमेरिकी यात्रा के लिए डोभाल और सुलिवन ने ही पूरा एजेंडा तय किया था.

डोभाल-सुलिवन बैठक

मोदी 3.0 में भारत-अमेरिका संबंधों को आकार देने में डोभाल की महत्वपूर्ण भूमिका रहने की संभावना है. सुलिवन अगले सप्ताह डोभाल के साथ बैठक के लिए भारत आ सकते हैं, जिसमें वे iCET के तहत सहयोग की व्यापक समीक्षा करेंगे. पिछले सप्ताह राष्ट्रपति जो बाइडेन की मोदी के साथ हुई बातचीत के बारे में व्हाइट हाउस द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि उन्होंने नई सरकार के साथ विश्वसनीय रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी पर बातचीत करने के लिए सुलिवन की नई दिल्ली की आगामी यात्रा पर भी चर्चा की है.

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