पंजाब के किसान दिल्ली कूच को तैयार, NH-44 पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था, ट्रैफिक हो सकता है जाम
पंजाब के किसान आज शंभू बॉर्डर से अपने 'दिल्ली चलो' मार्च की शुरुआत करने को तैयार हैं. इसको लेकर हरियाणा के अंबाला जिले में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है.;
Punjab Farmers Delhi Chalo march: पंजाब-हरियाणा (शंभू) बॉर्डर से किसानों ने एक बार फिर दिल्ली कूच की तैयारी कर ली है. किसानों ने इसे 'दिल्ली चलो' नाम दिया है. आज दोपहर 1 बजे किसानों का जत्था दिल्ली के लिए रवाना होगा. इसको देखते हुए हरियाणा और दिल्ली पुलिस ने शंभू बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. बता दें कि किसान शंभू बॉर्डर पर इस साल 13 फरवरी से धरना दे रहे हैं.
पंजाब के किसान आज (शुक्रवार) को शंभू बॉर्डर से अपने 'दिल्ली चलो' मार्च की शुरुआत करने को तैयार हैं. इसको लेकर हरियाणा के अंबाला जिले में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जिससे बड़ी भीड़ इकट्ठा होने से रोकी जा सके. एनएच-44 पर शंभू बॉर्डर पर सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई है, जिससे ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो सकती है. हरियाणा और पंजाब पुलिस दोनों ने अतिरिक्त जवान तैनात किए हैं. पुलिस का कहना है कि वे सिंघु बॉर्डर पर नजर रखेंगे और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं.
अंबाला में जिला प्रशासन ने बीएनएसएस की धारा 163 लागू कर दी है. इसके तहत पांच या अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और शंभू बॉर्डर के आसपास नोटिस जारी किए गए हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जींद में भी धारा 163 लागू की गई, जहां किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल पिछले 10 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं.
अपनी मांगों को लेकर शुक्रवार को 100 से अधिक किसान दिल्ली की ओर मार्च करने वाले हैं. किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, भूमि अधिग्रहण अधिनियम को बहाल करने और बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने की मांग की है. इसके अलावा, उन्होंने 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय" और 2020-21 में पिछले विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है.
रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेतृत्व में 'जत्था' (समूह) दोपहर 1 बजे के आसपास संसद तक अपना मार्च शुरू करने की उम्मीद है. सोमवार को उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 5,000 किसानों ने 1997 से सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि के लिए उचित मुआवजे की मांग करते हुए संसद तक अपना 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू किया. हालांकि, उन्हें नोएडा-दिल्ली सीमा पर रोक दिया गया. विरोध-प्रदर्शन की वजह से ट्रैफिक जाम हो गया. इससे सफर कर रहे लोगों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा.
इस दौरान नोएडा के चिल्ला बॉर्डर तक लंबा ट्रैफिक जाम लग गया, जहां प्रदर्शनकारियों ने शुरुआती बैरिकेड्स तोड़ने में कामयाबी हासिल की. लेकिन उन्हें बॉर्डर से करीब एक किलोमीटर दूर दलित प्रेरणा स्थल के पास रोक दिया गया. गौतम बुद्ध नगर, आगरा, मेरठ और बुलंदशहर के 3,000 से अधिक किसानों के साथ 25 नवंबर को शुरू हुआ आंदोलन सोमवार को आठवें दि न में प्रवेश कर गया.
बता दें कि इस सप्ताह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने विरोध पर टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं. लेकिन लोगों को असुविधा न पहुंचाएं. आप सभी जानते हैं कि खनौरी बॉर्डर पंजाब के लिए जीवन रेखा है. हम इस पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं कि विरोध सही है या गलत. किसान 13 फरवरी से खनौरी और सिंघू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं, जब दिल्ली की ओर मार्च करने का उनका पहला प्रयास रोक दिया गया था.