आरबीआई का मोदी सरकार को बड़ा तोहफा, 2024-25 के लिए मिलेगा 2.68 लाख करोड़ रुपये डिविडेंड
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सेंट्रल बोर्ड की बैठक मुंबई में गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में देश और दुनिया की आर्थिक स्थिति की समीक्षा भी की गई.;
RBI Dividend To Central Government: केंद्र की मोदी सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक ने बंपर तोहफा देने का फैसला किया है. आरबीआई बोर्ड ने केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2,68,590.07 करोड़ रुपये डिविडेंड देने का ऐलान किया है. 2023-24 के लिए आरबीआई ने केंद्र सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किया था. लेकिन इस वर्ष ये करीब 57,000 करोड़ रुपये ज्यादा है. भारतीय रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड की मुंबई में गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें ये फैसला लिया गया है.
आरबीआई बोर्ड में लिया गया फैसला
मुंबई में भारतीय रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड की 616वीं बैठक में ग्लोबल और घरेलू आर्थिक हालात की समीक्षा की गई, जिसमें संभावित जोखिमों पर भी विचार किया गया. बोर्ड ने अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच के वर्ष के दौरान रिजर्व बैंक के कार्यों पर चर्चा की और वर्ष 2024-25 के लिए रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट और फाइनेंशियल स्टेटमेंट को मंजूरी दी गई. वर्ष 2024-25 के लिए ट्रांसफर किया जाने वाला सरप्लस को संशोधित इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ECF) के आधार पर निर्धारित किया गया, जिसे आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड ने 15 मई 2025 को अपनी बैठक में मंजूरी दी थी. इस फ्रेमवर्क में ये तय किया गया था कि आकस्मिक जोखिम बफर (Contingent Risk Buffer) के तहत जोखिम प्रावधान को रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट के 4.50 से 7.50 फीसदी के भीतर बनाए रखना अनिवार्य है. सेंट्रल बोर्ड ने आर्थिक हालात की समीक्षा करने के बाद आकस्मिक जोखिम बफर को 7.50 फीसदी करने का निर्णय लिया है जिसके बाद सरकार को 2024-25 के लिए 2,68,590.07 करोड़ रुपये ट्रासंफर करने का फैसला किया है.
CRB (Contingent Risk Buffer) क्या है?
आकस्मिक जोखिम बफर एक सुरक्षा निधि होती है, जो RBI जोखिमों को ध्यान में रखते हुए पास रखता है और आर्थिक चुनौतियों के दौर में काम आता है. 2018-19 से 2021-22 तक, कोविड और अन्य आर्थिक स्थितियों के कारण इसे 5.50% पर रखा गया था. 2022-23 में इसे बढ़ाकर 6.00% और 2023-24 में 6.50% किया गया था. लेकिन 2024-25 के लिए इसे बढ़ाकर 7.50% कर दिया गया है.
डॉलर बेचने से आरबीआई को हुआ फायदा
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 में फरवरी महीने तक 371.6 अरब डॉलर वैल्यू के बराबर विदेशी करेंसी डॉलर बेचा है जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में आरबीआई ने केवल 153 बिलियन डॉलर का डॉलर बेचा था.डॉलर की खरीद और बिक्री मूल्य के बीच बढ़ा हुआ अंतर और अधिक मात्रा में डॉलर बिक्री के कारण पूरे FY25 में आरबीआई को भारी मुनाफा हुआ है. इसके अलावा रुपये और विदेशी प्रतिभूतियों पर प्राप्त ब्याज से इनकम भी आरबीआई के लिए बढ़ा है.आरबीआई से मिलने वाले इस बंपर डिविडेंड से सरकार को बजट घाटे को कम करने में मदद मिलेगी. साथ ही इन पैसों को कल्याणकारी योजनाओं से लेकर देश के आधारभूत ढांचे की मजबूती पर खर्च कर सकेगी.