Sengol Row: सपा सांसद ने बताया सेंगोल को 'राजा का डंडा', BJP ने दिया ये जवाब

समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी की टिप्पणी पर चल रहे विवाद के बीच संसद में 'सेंगोल' चर्चा में रहा. चौधरी ने सेंगोल को 'राजा का डंडा' बताया था.

Update: 2024-06-27 10:00 GMT

Sengol Controversy: समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद आरके चौधरी की टिप्पणी पर चल रहे विवाद के बीच गुरुवार को संसद में 'सेंगोल' चर्चा में रहा. चौधरी ने सेंगोल को 'राजा का डंडा' बताया था. चौधरी ने कहा था कि संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने संसद में सेंगोल को स्थापित किया है. 'सेंगोल' का मतलब है 'राज-दंड' या 'राजा का डंडा'होता है.

सपा सांसद ने कहा था कि रियासती व्यवस्था को समाप्त करने के बाद देश स्वतंत्र हुआ. क्या देश 'राजा के डंडे' से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए सेंगोल को संसद से हटाया जाए. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चौधरी का बचाव करते हुए कहा कि यह टिप्पणी प्रधानमंत्री के लिए एक अनुस्मारक के रूप में काम कर सकती है, जिन्होंने सेंगोल की स्थापना के दौरान उसके सामने सिर झुकाया था.

अखिलेश ने कहा कि जब सेंगोल की स्थापना की गई थी तो प्रधानमंत्री ने उसके सामने सिर झुकाया था. शपथ लेते समय शायद वह यह भूल गए हों. शायद हमारे सांसद की टिप्पणी उन्हें यह याद दिलाने के लिए थी. भारतीय जनता पार्टी ने सेंगोल पर समाजवादी पार्टी के रुख की कड़ी निंदा की और उस पर भारतीय और तमिल संस्कृति का अनादर करने का आरोप लगाया.

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि समाजवादी पार्टी संसद में सेंगोल का विरोध करती है और इसे 'राजा का दंड' कहती है. अगर ऐसा थातो जवाहरलाल नेहरू ने इसे क्यों स्वीकार किया? यह उनकी मानसिकता को दर्शाता है. वे रामचरितमानस और अब सेंगोल पर हमला करते हैं. क्या डीएमके इस अपमान का समर्थन करती है? उन्हें स्पष्ट करना चाहिए.

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी चौधरी के विवादास्पद टिप्पणी पर सवाल किया कि क्या उन्हें विकास के लिए चुना गया था या ऐसी विभाजनकारी राजनीति में शामिल होने के लिए. पासवान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सेंगोल जैसे प्रतीक, जिनका दशकों से अनादर किया जाता रहा है, अब प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित किए जाते हैं. उन्होंने यह भी सवाल किया कि विपक्षी नेता अधिक सकारात्मक राजनीतिक दृष्टिकोण क्यों नहीं अपना सकते.

बता दें कि ऐतिहासिक सेंगोल को पीएम नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2023 को पारंपरिक पूजा करने के बाद नए संसद भवन में अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में लोकसभा कक्ष में स्थापित किया था. इस सेंगोल को मूलरूप से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 की रात को अधीनम द्वारा सौंपे जाने के बाद स्वीकार किया था. यह राजदंड पांच फीट लंबा है और इसके शीर्ष पर भगवान शिव का पवित्र बैल नंदी बना हुआ है.

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