पार्टी से टकराव नहीं, पर देश से समझौता नहीं-शशि थरूर

शशि थरूर ने कहा कि भारत पहले आता है, पार्टी बाद में। पहलगाम हमले और विदेश नीति पर उनकी भूमिका को लेकर कांग्रेस के भीतर उठे मतभेदों पर सफाई दी।;

Update: 2025-07-20 04:56 GMT

कोच्चि में एक कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राष्ट्र की एकता और सुरक्षा पार्टी हितों से कहीं ऊपर है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के एक कथन के जरिए कहा कि अगर भारत नहीं रहेगा, तो कौन बचेगा? इस वक्तव्य के जरिए थरूर ने राजनीतिक मतभेदों के बावजूद राष्ट्रीय एकजुटता को सर्वोपरि बताया।

‘देश पहले, पार्टी बाद में’

कोच्चि में एक हाई स्कूल छात्र के सवाल का जवाब देते हुए, थरूर ने कहा कि हाल के दिनों में उनकी पार्टी की तरफ से उन पर विरोध और असहजता जताई गई, विशेषकर पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखने के लिए बहु-दलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।थरूर ने कहा कि जब देश संकट में हो, तो राजनीतिक मतभेदों को किनारे रखना चाहिए। पहले भारत, तभी हम सब।

 'राजनीतिक दल राष्ट्र सेवा का माध्यम'

थरूर, जो कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के सदस्य भी हैं, ने यह भी स्पष्ट किया कि राजनीतिक दल केवल राष्ट्र को बेहतर बनाने के साधन हैं। मेरा मानना है कि सबसे पहले राष्ट्र आता है। किसी भी पार्टी का उद्देश्य होना चाहिए  एक बेहतर भारत।उन्होंने यह भी कहा कि पूंजीवाद बनाम समाजवाद या नियमन बनाम मुक्त बाजार जैसे विचारधारात्मक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन सभी दलों का अंतिम लक्ष्य देश को मजबूत और सुरक्षित बनाना होना चाहिए।

पार्टी के भीतर आलोचना, फिर भी डटे थरूर

थरूर के मुताबिक, उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों और सरकार के पक्ष में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एकजुट भारत की छवि पेश की। परंतु उनकी यह पहल कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं को रास नहीं आई।पिछले महीने, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अप्रत्यक्ष रूप से थरूर पर तंज कसते हुए कहा था  कि कांग्रेस ‘देश पहले’ की सोच रखती है, लेकिन कुछ के लिए यह ‘मोदी पहले, देश बाद में’ हो गया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए थरूर ने कहा कि राजनीति प्रतिस्पर्धा है। जब हम जैसे लोग यह कहते हैं कि हम अपनी पार्टी का सम्मान करते हैं लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दूसरे दलों के साथ सहयोग करना ज़रूरी है, तो पार्टी को यह बात अक्सर अविश्वास या ग़द्दारी जैसी लगती है। यही एक बड़ी समस्या बन जाती है।”

थरूर ने यह भी कहा कि बहुत लोगों ने मेरी आलोचना की है, क्योंकि मैंने सेना और सरकार के पक्ष में बयान दिए। लेकिन मैं अपने विचारों पर अडिग हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यही देशहित में सही है।”

हाईकमान से मतभेद पर चुप्पी

जब थरूर से पूछा गया कि क्या उन्हें कांग्रेस हाईकमान से कोई नाराजगी है, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया। PTI के अनुसार कहा कि वो यहां दो भाषण देने आया हैं।  

 केरल में सीएम पद पर लोकप्रियता पर प्रतिक्रिया

अलग से पूछे गए सवाल में, एक सर्वेक्षण का ज़िक्र किया गया जिसमें उन्हें केरल में कांग्रेस नेतृत्व वाले UDF की तरफ से सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री चेहरा बताया गया था। इस पर थरूर ने हंसते हुए कहा कि किसी ने वो सर्वे मुझे भेजा और मैंने जवाब में सिर्फ एक सलामी भेजी। मैंने कोई टिप्पणी नहीं की और आगे भी कुछ नहीं कह रहा।

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