सुप्रीम कोर्ट की CAQM को फटकार- 'प्रदूषण के करीब दिल्ली, अब तक नहीं किया ठीक से अपना काम'
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता पैनल को कड़ी फटकार लगाई.
Delhi NCR Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता पैनल को कड़ी फटकार लगाई. दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण के मौसम के करीब पहुंचने पर जस्टिस अभय एस ओका और एजी मसीह की पीठ ने सुनवाई की. पीठ ने सख्त टिप्पणियों में कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने अपना काम नहीं किया है और न ही अपना उद्देश्य पूरा किया है.
जस्टिस ओका ने कहा कि अधिनियम का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है. क्या समितियां गठित की गई हैं? कृपया हमें एक भी कदम दिखाएं. आपने अधिनियम के तहत कौन से निर्देशों का इस्तेमाल किया है? बस हलफनामा देखें. हमें धारा 12 और अन्य के तहत जारी एक भी निर्देश दिखाएं. उन्होंने कहा कि यह सब हवा में है. उन्होंने एनसीआर राज्यों से जो कहा है, उसके बारे में कुछ भी नहीं दिखाया है.
सुनवाई के अंत में पीठ ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि सीएक्यूएम ने कोई कार्रवाई नहीं की. लेकिन उन्होंने उस तरह से काम नहीं किया, जैसी उनसे आशा की जाती है. सीएक्यूएम के अध्यक्ष राजेश वर्मा द्वारा यह बताए जाने पर कि वे तीन महीने में एक बार मिलते हैं. अदालत ने जानना चाहा कि क्या यह पर्याप्त है. क्या उनके द्वारा लिए गए निर्णयों से समस्याओं को हल करने में मदद मिली है और क्या पराली जलाने की घटनाएं कम हो रही हैं.
शीर्ष अदालत ने अध्यक्ष से यह भी पूछा कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अध्यक्ष दो सप्ताह पहले ही शामिल हुए हैं. सीएक्यूएम अध्यक्ष ने यह भी बताया कि पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों और प्रदूषण बोर्ड के साथ बैठकें हुई हैं और उन्होंने अपने मुख्य सचिवों को चेतावनी जारी की है.
न्यायमित्र के रूप में अदालत की सहायता कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि अगर उनके कानून का उल्लंघन हो रहा है तो उनके पास कार्रवाई करने का अधिकार है. अदालत ने कहा कि लेकिन वे मूकदर्शक बने हुए हैं. सिंह ने कहा कि पराली जलाने से रोकने के लिए उपकरणों के लिए किसानों को हजारों करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी. उन्होंने कहा कि साल 2017 में हमने सोचा था कि इससे प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसीलिए आज सीएक्यूएम आया है और अब किसी अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
अदालत ने कहा कि जमीनी स्तर पर पराली जलाने के विकल्प का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए. कोर्ट ने कहा कि एक कर्तव्य एनसीआर राज्यों के साथ काम करना है और सीएक्यूएम प्रदूषणकारी इकाइयों को बंद करने सहित व्यापक अधिकार दिए गए हैं. हमारा मानना है कि हालांकि आयोग ने कुछ कदम उठाए हैं. लेकिन आयोग को और अधिक सक्रिय होने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके प्रयास और निर्देश वास्तव में प्रदूषण की समस्या को कम करने में कारगर हों.
बता दें कि सर्दियों के आते ही एनसीआर में हर साल वायु गुणवत्ता का गंभीर संकट पैदा हो जाता है, जिसमें पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं.