SC ने 'अंधविश्वास समाप्त करने' संबंधी PIL की खारिज की, कहा- हमारे पास सभी बुराइयों का इलाज नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता की आलोचना की, जिसने सरकारों को अंधविश्वासों को मिटाने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की थी.

Update: 2024-08-03 13:02 GMT

Superstition PIL: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता की आलोचना की, जिसने सरकारों को अंधविश्वासों को मिटाने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि इससे हर साल सैकड़ों लोगों की जान जाती है.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने याचिकाकर्ता-अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से पूछा कि लोगों में वैज्ञानिक सोच का विकास न्यायिक आदेशों से नहीं किया जा सकता है. हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि छात्रों को स्कूलों में क्या सीखना चाहिए. ये सरकार के शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों के नीतिगत क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं.

सीजेआई ने कहा कि छात्रों पर पहले से ही पढ़ाई के बहुत अधिक विस्तारित पाठ्यक्रमों का बोझ है. हम न्यायिक आदेश से उसमें और इज़ाफा नहीं कर सकते. जब याचिकाकर्ता ने कहा कि यह सामाजिक सुधारों के लिए एक वास्तविक जनहित याचिका है तो सीजेआई ने कहा कि संवैधानिक न्यायालयों में जनहित याचिका दायर करने से कोई समाज सुधारक नहीं बन जाता. आप लोगों को अंधविश्वास के खिलाफ शिक्षित करने के लिए मैदान में काम कर सकते हैं. जब उपाध्याय द्वारा किए गए सभी प्रयास विफल हो गए और कोर्ट को जनहित याचिका पर विचार करने के लिए राजी नहीं किया जा सका तो उन्होंने इसे वापस लेने का निर्णय लिया.

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