वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, पांच साल वाली शर्त खारिज-कुछ धाराओं पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई। पांच साल इस्लाम पालन शर्त खारिज की और संपत्ति अधिकार तय करने से कार्यपालिका को रोका है।;

Update: 2025-09-15 05:58 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है, लेकिन कुछ धाराओं पर फिलहाल अंतरिम सुरक्षा दी जा रही है।

पांच साल इस्लाम पालन की शर्त खारिज

कोर्ट ने उस प्रावधान पर रोक लगाई, जिसमें वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने के लिए कम से कम पाँच साल तक इस्लाम का पालन करना अनिवार्य बताया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक इस विषय पर सरकार स्पष्ट नियम नहीं बनाती, तब तक यह शर्त लागू नहीं होगी, वरना यह मनमाना साबित हो सकता है।

संपत्ति के अधिकार तय नहीं करेगी कार्यपालिका

अदालत ने धारा 3(74) और 3(c) से जुड़े प्रावधानों पर भी रोक लगाई। कोर्ट ने कहा कि किसी कलेक्टर या कार्यपालिका को संपत्ति के अधिकार तय करने का अधिकार देना "शक्तियों के पृथक्करण" (Separation of Powers) के खिलाफ है।जब तक वक्फ संपत्ति के मालिकाना हक पर वक्फ ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं हो जाता, वक्फ को उसकी संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकता।इस दौरान न तो राजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ होगी और न ही किसी तीसरे पक्ष के अधिकार बनाए जाएंगे।

वक्फ बोर्ड की संरचना पर टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड में अधिकतम तीन गैर-मुस्लिम सदस्य ही हो सकते हैं। 11 सदस्यीय बोर्ड में बहुमत मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए।जहां तक संभव हो, बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) भी मुस्लिम होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खास अंश

धारा 3R- इस्लाम धर्म का पालन करने वाले 5 वर्षों पर तब तक रोक रहेगी जब तक राज्य सरकारें निर्धारण हेतु तंत्र प्रदान करने हेतु नियम नहीं बना लेतीं। तंत्र के अभाव में, शक्तियों का मनमाना प्रयोग होगा।

धारा 3C(2) का परंतुक- "परंतु ऐसी संपत्ति को तब तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा जब तक कि नामित अधिकारी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर देता।यदि नामित अधिकारी संपत्ति को सरकारी संपत्ति निर्धारित करता है, तो वह राजस्व अभिलेखों में आवश्यक सुधार करेगा और इस संबंध में राज्य सरकार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

राज्य सरकार, नामित अधिकारी की रिपोर्ट प्राप्त होने पर, बोर्ड को अभिलेखों में उचित सुधार करने का निर्देश देगी  पर रोक रहेगी। कलेक्टर को अधिकारों का निर्धारण करने की अनुमति देना शक्तियों के पृथक्करण के विरुद्ध है, कार्यपालिका को नागरिकों के अधिकारों का निर्धारण करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जब तक नामित अधिकारी द्वारा निष्कर्ष अंतिम रूप नहीं ले लिए जाते, तब तक संपत्ति के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।

जब तक धारा 3सी के अनुसार वक्फ संपत्ति के स्वामित्व का मुद्दा अंतिम रूप से तय नहीं हो जाता, तब तक न्यायाधिकरण द्वारा धारा 83 के तहत शुरू की गई कार्यवाही और उच्च न्यायालय के अगले आदेशों के अधीन, न तो वक्फ को संपत्ति से बेदखल किया जाएगा और न ही राजस्व रिकॉर्ड और बोर्ड के अभिलेख प्रभावित होंगे। हालाँकि, धारा 3सी के तहत जाँच शुरू होने पर, और धारा 83 के तहत अंतिम निर्धारण तक, और अपील में उच्च न्यायालय के अगले आदेशों के अधीन, ऐसी संपत्तियों के संबंध में किसी भी तृतीय-पक्ष के अधिकार का सृजन नहीं किया जाएगा।

धारा 9 के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद में 20 में से चार गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। इसी प्रकार, धारा 14 के तहत राज्य बोर्डों के लिए यह निर्देश दिया जाता है कि इसमें 11 में से तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 23 पर रोक लगाने के पक्ष में नहीं हैं, फिर भी हम निर्देश देते हैं कि जहां तक ​​संभव हो, बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जो मुस्लिम समुदाय में से पदेन सचिव होता है, की नियुक्ति के प्रयास किए जाने चाहिए।

अदालत ने कहा कि सामान्य तौर पर किसी कानून को संवैधानिक मान्यता प्राप्त होती है। इसलिए पूरे अधिनियम पर रोक की ज़रूरत नहीं है। फिलहाल कुछ विवादित प्रावधानों पर ही रोक लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर अंतिम राय नहीं माना जाएगा।

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