सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जज की टिप्पणी को हटाया, चेतावनी दी
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की टिप्पणियां "गंभीर चिंता का विषय" हैं.
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-08-07 09:03 GMT
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से जारी एक आदेश में से उन टिप्पणियों को हटाने का निर्देश दिया है जिसमे सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की गई थी.
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि हम हाई कोर्ट की ओर से की गई टिप्पणी से आहत है. ये टिप्पणी न केवल गैरजरूरी है ,बल्कि सुप्रीम कोर्ट के साथ साथ हाई कोर्ट की गरिमा को भी कम करने वाली है. अदालत के फैसले से कोई पक्षकार तो असन्तुष्ट हो सकता है, लेकिन जज कभी भी अपने से उच्च संवैधानिक फोरम की ओर से पारित आदेश पर असंतोष नहीं जाहिर कर सकते.
क्या है मामला
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस राजबीर सहरावत ने 17 जुलाई को दिये अपने आदेश में एक केस में हाई कोर्ट की ओर शुरु की गई अवमानना कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी. जस्टिस सहरावत ने अपने आदेश में कहा था कि हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट का कोई अधीनस्थ कोर्ट नहीं है. हाई कोर्ट द्वारा शुरू की गई अवमानना की कार्रवाई में दख़ल देते वक़्त सुप्रीम कोर्ट को एहतियात बरतना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
आज बुधवार 7 अगस्त को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आगे कोई कार्रवाई से परहेज करते हुए उम्मीद जताई कि आने वाले दिनो में जज सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश पर कोई बात करते वक्त ज़रूरी सावधानी बरतेंगे.
आज सुनवाई के दौरान 17 जुलाई के इस आदेश के बाद जस्टिस सहरावत की एक अन्य मामले में की गई सुनवाई के वायरल वीडियो का भी जिक्र आया।. इस वीडियो में उन्होंने डिवीजन बेंच के आदेश को बकवास करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाया था.
चीफ जस्टिस ने कहा कि सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग के इस दौर में जजों की सुनवाई के दौरान ज़रूरी एहतियात बरतनी चाहिए और ऐसी टिप्पणी करने से बचना चाहिए जो न्यायिक प्रकिया को नुकसान पहुंचाए.