अरुणाचल की एक चोटी का नाम छठे दलाई लामा पर, चीन क्यों भड़क गया?

अरुणाचल प्रदेश के तवांग स्थित एक चोटी का भारत ने नामकरण किया है। इस चोटी को 6वें दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम से जाना जाएगा। हालांकि चीन को यह नागवार गुजरा है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-09-27 06:44 GMT
प्रतीकात्मक तस्वीर

Sixth Dalai Lama:  दुनिया में चीन एक ऐसा मुल्क है जिसका विवाद उसके सभी पड़ोसियों से है। वजह ये कि उसकी नजर अपने आस पड़ोस के देशों पक लगी रहती है। अगर बात भारत की करें तो वो मैक्मोहन लाइन के जरिए सीमा निर्धारण को नहीं मानता। उसकी नजर में अरुणाचल, पूर्वी लद्दाख और उत्तराखंड के कुछ हिस्से तिब्बत का दक्षिणी विस्तार है यानी भारत के इन इलाकों पर भारत का कब्जा अवैध है। अरुणाचल के तवांग को लेकर तो वो कुछ अधिक ही परेशान रहता है। हाल ही में इंडियन माउंटेनियरिंग टीम ने तवांग इलाके में एक पहाड़ी की चोटी पर कामयाबी के साथ चढ़ाई की। बड़ी बात यह कि उस चोटी का नाम छठवें दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखा है जिसके बाद चीन भड़क गया है। चीन ने तो यहां तक कह दिया कि उसके सीमाक्षेत्र में भारत ने अवैध ऑपरेशन को अंजाम दिया है।

अरुणाचल पर अपना हक जमाता है चीन
दरअसल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स(रक्षा मंत्रालय के तहत) की 15 सदस्यों की टीम ने शनिवार को बिना नाम वाले उस चोटी पर चढ़ाई की। सफलतापू्र्वक चढ़ाई के बाद उसे शेनयांग ग्यात्सो पीक नाम दिया। बता दें कि 17वी-18वीं सदी में 6वें दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो का जन्म तवांग में हुआ था। सेना इसके पहले भी कई अभियानों को भेजती रही है। लेकिन इस खास चोटी के बारे में कहा जा रहा है कि इसके जरिए भारत ने चीन को संदेश देने की कोशिश की है क्योंकि अरुणाचल प्रदेश को चीन जंगनान के नाम से पुकारता है।

पहले इनकार फिर भड़का चीन
शेनयांग ग्यात्सो का नाम देने से चीन की नाराजगी की एक वजह और भी है। 6वें दलाई लामा का जन्म 17वीं-18वीं शताब्दी में हुआ था और उस समय तिब्बत स्वतंत्र था। इस नाम के जरिए चीन को यह संदेश देने की कोशिश की गई है तिब्बत को भारत आजाद मानता है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चोटी का नामकरण 6वें दलाई लामा पर करने की वजह उनके ज्ञान को सम्मान देना है। तवांग में चोटी के नामकरण पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान से सवाल किया गया। उनका पहला जवाब यही थी कि जिस बारे में आप लोग सवाल पूछ रहे हैं उसके बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन फिर कहा कि जंगनान का इलाका यानी अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है। लिहाजा भारत द्वारा अरुणाचल प्रदेश का जिक्र पूरी तरह से ना सिर्फ अवैध बल्कि तर्कशास्त्र पर भी कहीं नहीं ठहराता है। यही चीन का हमेशा से मत रहा है।

समुद्र तल से चोटी की इतनी ऊंचाई

बता दें कि जिस चोटी को फतह किया गया है उसकी समुद्र तल से ऊंचाई 6, 383 मीटर है। कर्नल रनवीर सिंह जामवाल की अगुवाई में टीम नें 15 दिन की चढ़ाई के बाद कामयाबी हासिल की। रक्षा जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल एम. रावत के मुताबिक  यह शिखर तकनीकी रूप से क्षेत्र में सबसे चुनौतीपूर्ण और अज्ञात शिखरों में से एक था और इस पर बर्फ की विशाल दीवार, खतरनाक दरारों और दो किलोमीटर लंबे ग्लेशियर सहित  अनगिनत चुनौतियां थीं लेकिन भारतीय जांबाजो ने इसे हकीकत में तब्दील कर दिया है। 

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