वक्फ कानून पर SC में सरकार का हलफनामा, बोली- कानून पर रोक संभव नहीं

सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि संसद द्वारा पारित कानून संवैधानिक रूप से वैध है और उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती।;

Update: 2025-04-25 11:00 GMT
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संसद द्वारा पारित कानून संवैधानिक रूप से वैध है, उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती'

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विस्तृत हलफनामा दायर करते हुए कानून का मजबूती से बचाव किया है।

केंद्र ने कहा कि संसद द्वारा पारित कानून संवैधानिक धारणाओं के अधीन होता है, इसलिए उस पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूर्ण या आंशिक रोक लगाना अवांछनीय होगा।

केंद्र ने क्या कहा?

1,332 पृष्ठों के जवाबी हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ अधिनियम के संशोधन के पीछे विस्तृत संसदीय समिति की सिफारिशें और विश्लेषणात्मक अध्ययन है, जिसे संविधान सम्मत और वैध विधायी प्रक्रिया के तहत पारित किया गया है। हलफनामा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव शेरशा सी शेख मोहिद्दीन द्वारा दायर किया गया।

हलफनामे के प्रमुख बिंदु

केंद्र ने कहा कि संवैधानिक अदालतें वैधानिक प्रावधानों पर केवल अंतिम निर्णय के समय रोक लगा सकती हैं। इससे पहले की गई रोकें, खासकर जब याचिकाएं बाद में असफल हो सकती हैं, गंभीर परिणाम ला सकती हैं।

हलफनामे के अनुसार, "संसद की तरफ से बनाए गए किसी कानून पर संवैधानिकता की धारणा लागू होती है, जब तक कि अदालत इसे असंवैधानिक घोषित न कर दे।"

केंद्र ने यह भी कहा कि अधिनियम को मूल अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए दी गई चुनौती झूठे और भ्रमपूर्ण आधारों पर आधारित है।

एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में 20 लाख हेक्टेयर से अधिक की बढ़ोतरी हुई—जिससे भूमि अतिक्रमण और दुरुपयोग की संभावनाओं पर सवाल उठते हैं।

वक्फ संपत्तियों पर फिलहाल रोक

17 अप्रैल को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया था कि वह 5 मई तक न तो वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करेगा, और न ही वक्फ बोर्डों या केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति की जाएगी।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले पर 5 मई को सुनवाई करेगी।

केंद्र का रुख

सरकार ने स्पष्ट किया कि यह कानून धार्मिक संस्थाओं के संचालन में विश्वास और पारदर्शिता बनाए रखने के उद्देश्य से लाया गया है। इसके पीछे कोई धार्मिक स्वतंत्रता का हनन नहीं है, बल्कि यह विधायी शक्ति के वैध प्रयोग का परिणाम है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करे और कानून की संवैधानिक वैधता को मान्यता दे। मामले की अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होगी, जहां अंतरिम आदेश पर फैसला आने की संभावना है।

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