वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई, जानें अब तक क्या हुआ
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में 5 अहम अर्जियों पर सुनवाई होनी है। केंद्र ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कानून संविधान सम्मत नहीं है।;
वक्फ संशोधन एक्ट 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली पांच याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। इन याचिकाओं में वक्फ कानून के विभिन्न प्रावधानों को संविधान के मूल अधिकारों के विरुद्ध बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की गई है।
17 अप्रैल को हुई थी पिछली सुनवाई
17 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने और सेंट्रल वक्फ काउंसिल सहित अन्य बोर्डों में नई नियुक्तियों पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके साथ ही केंद्र सरकार से विस्तृत जवाब माँगा गया था, जबकि याचिकाकर्ताओं को उस पर रिजॉइंडर दाखिल करने के लिए समय दिया गया था।
वक्फ 'बाय यूज़र' की वैधता का समर्थन
केंद्र सरकार ने अदालत में दायर 1332 पन्नों के हलफनामे में वक्फ संशोधन एक्ट का जोरदार बचाव किया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से दाखिल इस दस्तावेज़ में सरकार ने स्पष्ट किया है कि वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण, वक्फ बाय यूज़र समेत, 1923 से ही अनिवार्य रहा है।
सरकार ने कहा कि वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025 केवल प्रशासनिक और प्रबंधन संबंधी सुधार लाता है और यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक प्रथाओं या आस्थाओं में कोई हस्तक्षेप नहीं करता।
इसके अलावा, सरकार ने दावा किया कि 2013 में वक्फ कानून में हुए संशोधन के बाद वक्फ भूमि में 20 लाख एकड़ की वृद्धि हुई है। साथ ही यह आरोप भी लगाया कि वक्फ प्रावधानों का दुरुपयोग कर कई जगहों पर सरकारी और निजी संपत्तियों पर कब्जा किया गया है। सरकार ने याचिकाओं को "बेबुनियाद" करार देते हुए उन्हें खारिज किए जाने की अपील की है। उसने यह भी कहा कि 2013 के बाद औकाफ क्षेत्र में 116% की वृद्धि "वास्तव में चौंकाने वाली" है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध
केंद्र के हलफनामे पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया है। AIMPLB ने केंद्र सरकार के दावों पर गंभीर आपत्ति जताई है और आरोप लगाया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर रही है।
बोर्ड ने वक्फ संपत्ति में वृद्धि से जुड़े आंकड़ों को ग़लत और भ्रामक बताया है और सुझाव दिया कि उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, जिसने यह हलफनामा तैयार किया। AIMPLB ने 2013 के बाद सेंट्रल पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों की संख्या में भारी वृद्धि के सरकारी दावे को असत्य और असंगत बताया है।
तीन जजों की संविधान पीठ कर रही है सुनवाई
इस पूरे मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच कर रही है, जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल हैं। यह बेंच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, असदुद्दीन ओवैसी, डीएमके और अन्य याचिकाकर्ताओं की कुल पाँच याचिकाओं पर विचार कर रही है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला केवल वक्फ अधिनियम की वैधता को ही नहीं, बल्कि देश में धार्मिक संपत्तियों की प्रशासनिक व्यवस्था पर भी दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।