वयस्कों और बच्चों में एक जैसे नहीं होते कब्ज के कारण और लक्षण, जानें

बच्चे हों या बड़े, दोनों के शरीर की आवश्यकताएं, आदतें अलग हैं, ट्रिगर्स अलग हैं और आंतों की प्रतिक्रिया भी अलग है। इसलिए एक ही नुस्खा सब पर लागू नहीं हो सकता...

Update: 2025-12-06 20:24 GMT
बच्चों में कब्ज के कारण और लक्षण बड़ों से अलग होते हैं
Click the Play button to listen to article

कब्ज सिर्फ पेट की समस्या नहीं है। यह जीवन-शैली, भावनाओं, हार्मोन और दिनचर्या का मिला-जुला परिणाम है। वयस्कों के शरीर में कब्ज ज्यादातर जीवन की तेज रफ्तार, तनाव और अनियमित आदतों से जन्म लेती है। दिनभर पानी कम पीना, लगातार बैठकर काम करना, खाने में फाइबर यानी रेशों की कमी, देर रात का भोजन, सुबह मल त्याग के लिए समय न देना, ये सब धीरे-धीरे आंतों के सामान्य मूवमेंट को सुस्त कर देते हैं।

इस विषय में Journal of Gastroenterology (2023) में प्रकाशित शोध बताता है कि लगातार मानसिक तनाव की स्थिति में कॉर्टिसॉल हार्मोन बढ़ता है, जिससे आंतों की मांसपेशियां सिकुड़ने के बजाय ढीली और धीमी पड़ जाती हैं और यही प्रक्रिया कब्ज की शुरुआत बनती है। जबकि कई वयस्कों में थायरॉइड, मधुमेह (डायबिटीज) और एंटी-डिप्रेशन दवाओं के साइड इफेक्ट भी पाचन को धीमा कर देते हैं। विशेषकर हाइपोथायरॉइडिज़म  में शरीर की पाचन क्रिया प्राकृतिक रूप से धीमी हो जाती है। यही बात PubMed Clinical Study (2024) में स्पष्ट रूप से लिखी गई है।


बच्चों में कब्ज के कारण और लक्षण

बच्चों में कब्ज की पूरी कहानी बिल्कुल अलग होती है। क्योंकि छोटे बच्चों में समस्या पेट से नहीं, दिमाग और भावनाओं से शुरू होती है। कभी अचानक दूध बदलना, कभी नया फ़ॉर्मूला-मिल्क, कभी आयरन सप्लीमेंट से मल सख्त हो जाना। ये शारीरिक कारण तो हैं ही लेकिन सबसे बड़ा कारण होता है शौच को रोककर रखना।

बच्चों में कब्ज को लेकर Harvard Medical School के डेटा के अनुसार 4–9 वर्ष की उम्र में बच्चे खेल में खोए रहने, स्कूल के टॉयलेट से डर, शर्म महसूस करने या पहले शौच के दौरान दर्द होने के बुरे अनुभव के कारण पॉटी रोक लेते हैं। बच्चा शौच को जितना रोकता जाता है, आंतें पानी सोखती रहती हैं और मल सख्त, दर्दनाक और फिर डर पैदा करने वाला बन जाता है।

इस विषय में कुछ बच्चों में UCLA Children’s Hospital की रिसर्च दर्शाती है कि जिन बच्चों की आंतें विकासशील अवस्था की स्थिति में धीमी गति से विकसित हो रही हों, उनमें कब्ज बार-बार लौटकर आता है और लंबे समय तक बना रहता है।


वयस्कों में कब्ज के लक्षण

लक्षणों की बात करें तो वयस्कों में कब्ज के लक्षण इन रूपों में दिखाई देते हैं...

 पेट में भारीपन

अत्यधिक गैस बनना

रोज शौच न जाना

मल सख्त होना

सिर में दर्द रहना

कोफ्त होना

चिड़चिड़ापन इत्यादि।



बच्चों में कब्ज के लक्षण

बच्चों में कब्ज के लक्षण चुपचाप उभरते हैं। जैसे, खाने से मना करना, पेट फूलना, रात में बेचैनी, पॉटी जाते समय दर्द से रोना, मल में हल्का खून, बार-बार पैंट गंदी होना (encopresis) और शरीर में कमजोरी। यही वह मोड़ है जहां इलाज में गलती हो जाती है। क्योंकि जो उपाय वयस्कों के लिए सही होते हैं, वे बच्चों पर लागू नहीं किए जा सकते। हर आयु-समूह की आंत की भाषा अलग होती है और उसका समाधान भी अलग होना चाहिए।


कब्ज से बचाव के उपाय

जब कब्ज से बचाव की बात आती है तब आपको समझना होगा कि कब्ज का इलाज दवा से नहीं, आंत के स्वभाव को समझने से होता है। वयस्कों के लिए कब्ज से बचाव के उपाय...

हाइड्रेशन का ध्यान रखें,

फाइबर अधिक मात्रा में लें

तनाव को बढ़ने ना दें।

दिन में 2–3 लीटर पानी लें।

रोज प्रीबायोटिक-फूड जैसे दही,छाछ का सेवन करें।

दैनिक भोजन में मूंग की दाल, सलाद,देसी गाय का घी लें। रात में हल्का भोजन लें।

सुबह मल त्याग का निश्चित समय बनाएं

जब आप सुबह के समय नियमित रूप से एक ही समय पर मल त्याग करते हैं तो यह प्रक्रिया आंतों की गति को दोबारा संतुलित करती है। British Nutrition Foundation (2024) के अनुसार रोज 25–30 ग्राम डाइटरी फाइबर आंतों की गतिशीलता बढ़ाता है और कब्ज की संभावना को 40% तक कम करता है। वहीं चाय-कॉफी पर अत्यधिक निर्भरता कम करना, तेज मसालेदार भोजन और बेकरी-आइटम से परहेज भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।


बच्चे को कब्ज से कैसे बचाएं?

बच्चों में कब्ज से बचाव वयस्कों से थोड़ा अलग होता है। सबसे आवश्यक है, बच्चों को पॉटी रोकने न देना। यदि बच्चा स्कूल जाता है तो उसे स्कूल के शौचालय को लेकर मानसिक रूप से सुरक्षित महसूस कराना।

आयरन सप्लीमेंट के दौरान हमेशा पानी और फाइबर बढ़ाना चाहिए।

दूध बदलते समय इसे धीरे-धीरे रुटीन में लाना चाहिए। ताकि आंतें अचानक बदलाव से न घबराएं।

साथ ही बच्चे को जबरदस्ती खाने के लिए मजबूर न करें, क्योंकि तनाव और दबाव पाचन-तंत्र को तुरंत प्रभावित कर देते हैं और कब्ज को और गंभीर बना सकते हैं।

कब्ज का असली इलाज दवाओं में नहीं, शरीर की भाषा को समझने में है। बच्चे हों या बड़े, दोनों के शरीर की आवश्यकताएं अलग हैं, आदतें अलग हैं, ट्रिगर्स अलग हैं और आंतों की प्रतिक्रिया भी पूरी तरह अलग होती है। इसलिए एक ही नुस्खा सब पर लागू नहीं हो सकता। हमारा शरीर रोज संकेत भेजता है, बस हमें उन्हें पढ़ना आना चाहिए। हम जितना अपने शरीर को समझेंगे,उतनी ही समस्याएं कम होंगी।



डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।



Tags:    

Similar News