कम मेहनत में अधिक फिटनेस, वर्कआउट के बीच सही रेस्ट से पाएं मसल ग्रोथ

वर्कआउट के दौरान हमारी मसल्स तभी बढ़ती हैं, जब हर सेट के बाद शरीर को रिकवरी के लिए पर्याप्त समय मिले। 60 सेकंड या अधिक रेस्ट लेने से मसल हाइपरट्रॉफी...

Update: 2025-12-06 17:02 GMT
केवल व्यायाम से नहीं बल्कि साथ में ब्रेक लेने से बनती हैं मांसपेशिया
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फिटनेस बढ़ाने के लिए जिम में पसीना बहाना अच्छा है। लेकिन अधिक पसीना बहाकर हमेशा “बेहतर रिज़ल्ट” नहीं मिलते! कई लोग मानते हैं कि जितनी जल्दी सेट खत्म करके अगला मूव शुरू कर दिया जाए, उतनी जल्दी मसल्स बन जाएंगी। लेकिन विज्ञान इससे कुछ अलग परिणाम दिखा रहा है। असल सच्चाई यह है कि वर्कआउट सेट्स के बीच सही समय का रेस्ट ही मांसपेशियां बनाने, शरीर को मजबूती देने और कार्यक्षमता को तेजी से बढ़ाने का काम करता है...

दिलचस्प बात यह है कि वर्कआउट के दौरान हमारी मसल्स तभी बढ़ती हैं, जब हर सेट के बाद शरीर को रिकवरी के लिए पर्याप्त समय मिले। इस विचार को मजबूत करते हुए वर्ष 2024 में Journal of Clinical Sports Medicine में प्रकाशित सिस्टेमैटिक रिव्यू साबित करता है कि 60 सेकंड या उससे अधिक रेस्ट लेने वाले लोगों में मसल हाइपरट्रॉफी (मसल साइज बढ़ना) और न्यूरो–मस्कुलर रिकवरी बहुत बेहतर पाई गई।

इसी दिशा में साल 2025 में PubMed Meta-Analysis ने 3–5 मिनट रेस्ट वाले ग्रुप में ट्रेनिंग वॉल्यूम, पावर आउटपुट और स्ट्रेंथ इंडेक्स सबसे तेजी से बढ़ते देखे। वहीं 1 मिनट से कम रेस्ट वाली कैटेगरी में प्रोग्रेस धीमी रही, क्योंकि मसल फाइबर थकान और ऊर्जा स्तर पुन: सही से स्थापित नहीं हो पाए।

क्यों होता है ये बदलाव?

यह बदलाव इसलिए होता है क्योंकि हर वर्कआउट सेट के बाद मसल्स में माइक्रो-टियर्स बनते हैं और एनर्जी सिस्टम (ATP-PC System) तुरंत खाली हो जाता है। यदि अगले सेट से पहले रिकवरी का समय नहीं मिलता तो शरीर पूरी ताकत से दोबारा परफॉर्म नहीं कर पाता। European Journal of Applied Physiology–2023 के अध्ययन ने भी पाया कि सही रेस्ट के अभाव में जल्दी–जल्दी सेट करने से शरीर थकान को “प्रोग्रेस” समझ लेता है और लोग गलती से मान लेते हैं कि अधिक थकान अर्थात अधिक ग्रोथ। जबकि असल में यह प्रक्रिया मसल ग्रोथ को धीमा कर देती है।

मसल बिल्डिंग का असली ईंधन

स्टडीज़ यह भी दिखाती हैं कि रेस्ट टाइम हर फिटनेस टारगेट के अनुसार अलग काम करता है। Harvard Medical School ने Exercise Physiology Unit-2024 में बताया कि यदि लक्ष्य मसल साइज बढ़ाना है तो 90–120 सेकंड रेस्ट सबसे प्रभावी रहता है। जबकि प्योर स्ट्रेंथ के लिए 3–5 मिनट रेस्ट से अधिक ताकत पैदा करने की क्षमता मिलती है। इसका कारण यह है कि लंबे आराम से शरीर की फॉस्फेजेन ऊर्जा तंत्र को फिर से शुरू होने का समय मिलता है, जिससे अगली रिपेटिशन की क्वालिटी और वजन उठाने की क्षमता दोनों बढ़ती हैं और यही मसल बिल्डिंग का असली ईंधन है।

फिटनेस ट्रेनर्स अक्सर कहते हैं कि “वर्कआउट हार्ड, रेस्ट हार्ड।” और विज्ञान इसे सही साबित कर रहा है। अगर सेट्स के बीच रेस्ट न लिया जाए तो वर्कआउट पसीना तो अधिक बनाता है पर मसल ग्रोथ नहीं। जबकि पसीना नतीजा नहीं, केवल प्रतिक्रिया है। असली नतीजे तब आते हैं, जब मसल्स को रिकवर होने दिया जाए। और यहीं पर यह शोध फिटनेस की दुनिया को एक नया संदेश देता है कि स्मार्ट ट्रेनिंग ही टिकाऊ और प्रोग्रेसिव ट्रेनिंग है।

कम मेहनत में अधिक परिणाम

आगे से जिम जाते समय बस एक बात याद रखनी है कि हर सेट के बीच आराम किसी समय की बर्बादी नहीं बल्कि अगले सेट की ताकत के लिए समय का निवेश है। जो लोग जल्दी-जल्दी सेट खत्म करते हैं, वे मेहनत तो बहुत करते हैं लेकिन प्रोग्रेस धीमी रहती है। जबकि जो लोग योजनाबद्ध आराम लेते हैं, वे कम मेहनत में भी बेहतर परिणाम हासिल कर लेते हैं। यही “ट्रेन स्मार्ट” का असली अर्थ है। बेहतर सोल्डर, बेहतर बैक, बेहतर स्ट्रेंथ पर बिना ओवरट्रेनिंग के।

जिस दिन सेहत के प्रति जागरूक रहने वाले लोग यह रहस्य समझ लेंगे कि मसल्स जिम में नहीं बल्कि सेट्स के बीच आराम के समय बनती हैं, उसी दिन परिणाम दोगुनी गति से मिलने प्रारंभ हो जाते हैं और मेहनत आधी लगती है।

डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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