हृदय, मस्तिषक और फेफड़ों पर सर्दी का खतरा! युवा रखें इन बातों का ध्यान
ठंड हार्ट अटैक के खतरे को 30 प्रतिशत तक बढ़ा देती है। ऐसा ही खतरा फेफड़ों और ब्रेन की सेहत पर भी मंडरा रहा होता है। गंभीर बीमारियों से बचने के लिए जानें उपाय...
सर्दियां बाहर से जितनी ठंडी और सुकूनदायक लगती हैं, अस्पतालों के अंदर इस गुलाबी मौसम का असर उतना ही भयावह रूप में दिखाई देता है। डॉक्टर्स के अनुसार, दिसंबर–जनवरी आते ही एक ऐसा दौर आता है, जब ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक और फेफड़ों की गंभीर समस्याएं एक ही समय पर चरम पर पहुंच जाती हैं। लोग सोचते हैं कि क्या यह सिर्फ मौसम की ठंडक है? लेकिन सच इससे कहीं ज्यादा गहरा है। सर्दियों में शरीर के तीन सबसे नाजुक तंत्र जैसे, दिमाग, दिल और फेफड़े, एक साथ दबाव में आ जाते हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता टूटने लगती है। यही वजह है कि सर्दियां हमारे शरीर के लिए एक ट्रिपल अटैक सीजन बन जाती हैं...
हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों पर सर्दी का प्रभाव
जब तापमान गिरता है तो शरीर की रक्त वाहिकाएं अचानक सिकुड़ने लगती हैं, जिसे चिकित्सा भाषा में रक्त वाहिकाओं का संकुचन (vasoconstriction ) कहा जाता है। जैसे ही रक्त नलियां पतली होती हैं, ब्लड प्रेशर ऊपर उछलता है और यही दबाव मस्तिष्क की किसी नाजुक रक्त वाहिका को बंद कर सकता है या फाड़ सकता है। इसका परिणाम होता है ब्रेन स्ट्रोक।
दूसरी तरफ, ठंड में शरीर खुद को गर्म रखने के लिए दिल पर अतिरिक्त बोझ डालता है। हार्ट को सामान्य तापमान बनाए रखने के लिए अधिक तेज़ी से और अधिक ताकत के साथ रक्त पंप करना पड़ता है और इस दौरान जिन लोगों में पहले से हाई BP, ब्लॉकेज या अनियंत्रित शुगर मौजूद होती है, उनमें हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
इस शारीरिक तनाव के समानांतर फेफड़ों पर भी एक बड़ा वार होता है, ठंडी और सूखी हवा श्वसन नलियों को संकुचित कर देती है, सांस लेने में तकलीफ बढ़ाती है, कफ बनाती है और अस्थमा तथा COPD के मरीजों में flare-up अचानक शुरू हो जाता है। यही वजह है कि डॉक्टर इस मौसम को “विंटर मेडिकल इमरजेंसी” कहते हैं।
सर्दी में वायरस और बैक्टीरिया की सक्रियता
सर्दी में वायरस और बैक्टीरिया की सक्रियता भी बढ़ जाती है। The Lancet Respiratory Medicine में प्रकाशित डेटा दिखाता है कि ठंड में फेफड़ों और नीचे के वायुमार्गों में होने वाले संक्रमण (lower respiratory tract infections) लगभग 38% तक बढ़ जाते हैं। जबकि Journal of the American Heart Association के अनुसार ठंड हार्ट अटैक की संभावना को 30% तक बढ़ा देती है। इसी बीच Neurology जर्नल की रिपोर्ट बताती है कि अचानक तापमान गिरने पर ischemic stroke का ग्राफ़ सबसे तीखी उछाल दिखाता है। यानी विज्ञान भी मान चुका है कि सर्दियां शरीर के तीन प्रमुख तंत्रों को एक साथ चुनौती देती हैं और यही संयोजन जानलेवा साबित हो सकता है।
बढ़ जाता है ये असंतुलन
जिन लोगों में पहले से जोखिम मौजूद है, उनके लिए हालात और कठिन हो जाते हैं। डॉक्टर बताते हैं कि 50 वर्ष से अधिक आयु वाले, हाई BP, डायबिटीज़, कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, COPD, क्रॉनिक अस्थमा या स्ट्रोक की हिस्ट्री वाले लोग सबसे बड़े खतरे वाले समूह में आते हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि इन लोगों के लिए ठंड मौसम नहीं, ट्रिगर बन जाती है, थोड़ी-सी लापरवाही शरीर की पहले से कमजोर प्रणाली को पूरी तरह असंतुलित कर सकती है।
तनाव की अधिकता और ऑक्सीजन कैपेसिटी
आमतौर पर सर्दियों में जो खतरा अधिकांश लोग नजरअंदाज़ कर देते हैं, वह प्रदूषण है। सर्दियों में हवा भारी हो जाती है और स्मॉग और धरती के पास अटक जाती है। PM2.5 और PM10 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों की सूजन बढ़ाते हैं, ऑक्सीजन कैपेसिटी घटाते हैं और यही ऑक्सीजन की कमी दिल और दिमाग पर दोहरा प्रेशर डाल देती है। यानी बाहर की ठंड और प्रदूषण मिलकर शरीर के अंदर तनाव की अधिकता पैदा करते हैं और इसमें शरीर कमजोर पड़ने लगता है।
कैसे करें बचाव?
अब प्रश्न यह उठता है कि इन स्थितियों से बचा कैसे जाए? तो जान लीजिए कि सर्दियां ऐसा मौसम नहीं हैं, जिसमें किसी समस्या के लक्षण आने का इंतजार किया जाए। इसलिए ठंड से शरीर को बचाकर रखना, BP और शुगर मॉनिटरिंग करते रहना, पानी की कमी न होने देना, सुबह के समय सख्त व्यायाम के दौरान सावधानी रखना और बुजुर्गों को अकेले ठंड में बाहर निकलने से बचाना, ये वे उपाय हैं जो छोटी समस्या को बड़ी आपातकाल में बदलने से रोक सकते हैं। साथ ही ये लक्षण दिखने पर तुरंत सतर्कता बरतें...
सांस फूलना
सीने में दर्द
बोलने में दिक्कत
हाथ-पैर सुन्न होना
ये कोई मामूली संकेत नहीं हैं। ये शरीर की SOS कॉल है और इन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
अंत में बात उतनी ही स्पष्ट है, जितनी सर्दी की हवा। शरीर की कमजोरी ठंड से नहीं होती बल्कि ठंड पर शरीर की प्रतिक्रिया से होती है। जब दिमाग, दिल और फेफड़े एक साथ दबाव में आते हैं तो शरीर अकेला पड़ जाता है। और इस मौसम में सावधानी कमजोरी नहीं समझदारी है। सर्दियां दुश्मन नहीं हैं, बस तैयारी चाहिए। समझदारी, सतर्कता और रक्षा ही इस मौसम को मुश्किल से खूबसूरत बना सकती है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।