बेंगलुरु के मेट्रो किराये में वृद्धि, जोरों का झटका मगर धीरे से

बेंगलुरु को ऐसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट की खास जरूरत है, जो सुविधाजनक, सुलभ और किफायती हो. लेकिन क्या कोई यह सुन रहा है?;

Update: 2025-02-16 08:50 GMT

Bengaluru Metro fare hike: ट्रैफिक जाम के चंगूल में फंसे बेंगलुरु वासियों के लिए नम्मा मेट्रो यानी कि बेंगलुरु मेट्रो (Namma Metro) के किराए में 70-100% की अप्रत्याशित वृद्धि सबसे बुरा झटका है. कर्नाटक सरकार द्वारा किराए में आंशिक रूप से कमी किए जाने और सार्वजनिक विरोध के बीच यह घटना शहर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की बड़ी कमी को उजागर करती है.

9 फरवरी को हुए किराए में इज़ाफे के बाद नम्मा मेट्रो देश की सबसे महंगी मेट्रो सेवा बन गई. जबकि, यह शहर के लिए बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (BMTC) की बसों की संख्या बेहद कम है और उपनगरीय रेल प्रणाली का कोई वजूद नहीं है. ऐसे में किराया बढ़ोतरी का फैसला लोगों के लिए एक अप्रत्याशित झटका था. बैंगलोर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BMRCL) के पास इसका अपना कारण था: बढ़ते कर्ज़ और 2017 में आखिरी बार संशोधित किराया संरचना. लेकिन आम जनता के लिए यह तसल्ली की बात नहीं थी.

उनके लिए सबसे अहम बात यह थी कि मेट्रो का भरोसेमंद सिस्टम अब महंगा हो गया था. BMRCL के अनुसार, किराए में वृद्धि के बाद दैनिक सवारी करने वालों की संख्या में 8-10 प्रतिशत की गिरावट आई है. 5 फरवरी को यह संख्या 8.68 लाख थी. जो 12 फरवरी को घटकर 7.78 लाख हो गई. संदेश साफ और खतरनाक था: जब लोग महंगे विकल्पों को छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे तो वे निजी वाहनों का इस्तेमाल करेंगे. जिससे सड़कों पर और अधिक भीड़भाड़ होगी.

गंभीर नीति की कमी

तो बेंगलुरु यहाँ कैसे पहुंचा? यह सवाल किसी जवाब के बिना नहीं है. क्योंकि सार्वजनिक परिवहन को एक सक्षम और स्थायी विकल्प के रूप में नज़रअंदाज करना दशकों से एक गंभीर नीति की कमी रही है. 2000 के दशक में निजी वाहनों के बढ़ते दबाव को लेकर सड़कों के चौड़ीकरण को प्राथमिकता दी गई थी और बाद के वर्षों में यह नीति केवल तेज़ी से आगे बढ़ी. आजकल यह ट्रेंड फैन्सी एलीवेटेड कॉरिडोर और सुरंग मार्गों के प्रस्तावों के रूप में बढ़ रहा है. जो केवल निजी वाहनों के लाभ में है.

इसके बारे में सोचिए: एक शहर जहां की जनसंख्या 1.35 करोड़ से अधिक है, वहां BMTC बसों की संख्या सिर्फ 6,340 है. इससे भी बुरी बात यह है कि इस फ्लिट का लगभग एक चौथाई हिस्सा पुराना है. जैसा कि भारत सरकार के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में देखा गया. स्वाभाविक रूप से, कम संख्या में बसों ने शहर के विभिन्न स्टॉप्स पर बसों की आवृत्ति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. लंबी कतारें और लाखों यात्रियों की असहाय स्थिति एक सिस्टेमेटिक समस्या को उजागर करती हैं.

कनेक्टिविटी की कमी

यात्रियों की समस्याओं को और बढ़ाते हुए, आखिरी मील कनेक्टिविटी का अभाव है और इस कारण से लोग सार्वजनिक परिवहन से निजी परिवहन की ओर बढ़ रहे हैं. घर से बस स्टॉप/ मेट्रो स्टेशन तक और वहां से अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए केवल महंगे, अव्यवस्थित ऑटो रिक्शा या ओला / उबेर टैक्सी ही विकल्प रहते हैं. चूंकि फुटपाथ चलने योग्य नहीं हैं, निजी वाहन मालिकाना ही एकमात्र रास्ता बचता है. डाटा चौंकाने वाला है. 31 जनवरी 2025 तक बेंगलुरु में पंजीकृत वाहनों की संख्या 1.22 करोड़ है, जिनमें से लगभग 88 प्रतिशत निजी हैं. मार्च 31, 2024 तक यह संख्या 1.16 करोड़ थी. लेकिन जो बात चौंकाने वाली थी, वह थी कारों की संख्या में 340 प्रतिशत की वृद्धि. आज बेंगलुरु की सड़कों पर 25.2 लाख निजी कारें और 82 लाख दोपहिया वाहन खचाखच भरे हुए हैं.

BMLTA, एक ठंडी संस्था

आगे की राह एक शीर्ष-नीचे दृष्टिकोण से नहीं तय की जा सकती. जो सड़क उपयोगकर्ताओं की आवाज़ों को अनसुना कर दे. इस समस्याग्रस्त स्थिति से बाहर निकलने और एक मजबूत, समावेशी परिवहन नीति बनाने के लिए एक गंभीर और लोकतांत्रिक तरीके से समन्वय की आवश्यकता है. BMTC और BMRCL जैसी कई परिवहन कंपनियों और BBMP जैसे संबंधित अधिकारियों को एक साथ आकर एक सुविचारित और स्थायी रास्ता बनाना होगा.

दुर्भाग्यवश, ऐसा मंच जो यह काम कर सकता था, पिछले दो वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन लैंड ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (BMLTA) का गठन 2022 में किया गया था. लेकिन इसके नियमों की रूपरेखा अभी तक तैयार नहीं की जा सकी और न ही इसकी संस्था का गठन किया गया. यह प्राधिकरण शहर की मेट्रो, BMTC, उपनगरीय रेल, पैदल और साइकिलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को सुव्यवस्थित करने का आदर्श स्थान हो सकता था.

उपनगरीय रेल दशकों से विलंबित

साल 1983 में प्रस्तावित, लेकिन अब तक काम में आ रही बेंगलुरु उपनगर रेलवे परियोजना (BSRP) को जाम की समस्या का समाधान माना जाता था. इसके बावजूद, मेट्रो की तुलना में उपनगर रेल की कम चमकदार विशेषताएं हैं और इसका कोई भी पूर्ण खंड जनता के सामने नहीं आ सका. फिर भी, इसके स्पष्ट लाभ हैं: बहुत कम भूमि अधिग्रहण लागत, BMRCL की तुलना में उच्च कोच क्षमता, तेज़ गति और कम परिचालन लागत. अनुभवी रेलवे कार्यकर्ताओं ने राज्य और रेलवे विभाग की उपेक्षा को लेकर इस परियोजना की धीमी प्रगति की आलोचना की है.

राजनीतिक रंग

मेट्रो किराया वृद्धि के खिलाफ यात्रा करने वाले बेंगलुरु वासियों ने राज्य और केंद्र दोनों से सार्वजनिक परिवहन की बढ़ती जरूरतों की उपेक्षा पर सवाल उठाए हैं. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने किराया वृद्धि के विरोध में केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह फैसला केंद्र द्वारा गठित किराया निर्धारण समिति ने लिया था. लेकिन BMRCL इसका बचाव करती है, जिसमें 2029-30 तक कर्ज चुकाने के लिए 10,422.2 करोड़ रुपये का भारी दबाव है. विभिन्न एजेंसियों के बीच एकता की कमी और जुड़ी हुई नेटवर्क की नाकामी ने बेंगलुरु वासियों को एक निरंतर जाम में फंसा दिया है. एक विश्वसनीय, सुलभ और सस्ता सार्वजनिक परिवहन सिस्टम आज शहर की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुका है. लेकिन कोई भी इसकी परवाह नहीं करता.

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