विराट के संन्यास पर रवि शास्त्री का बड़ा बयान, बोले, 'मानसिक थकान वजह'
पूर्व भारतीय कोच रवि शास्त्री ने कहा कि विराट कोहली के टेस्ट से संन्यास लेने के फैसले ने उन्हें चौंका दिया। विराट के पास अब भी टेस्ट खेलने के लिए कुछ साल बाकी थे;
पूर्व भारतीय कोच रवि शास्त्री ने कहा है कि विराट कोहली के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के फैसले ने उन्हें चौंका दिया। शास्त्री के अनुसार, कोहली के पास अब भी कुछ वर्ष टेस्ट क्रिकेट खेलने की क्षमता थी, लेकिन उनका समर्पण और लगातार दबाव में खेलना उन्हें मानसिक रूप से थका चुका था, जो उनके संन्यास का कारण बना।
कोहली का शानदार टेस्ट करियर
विराट कोहली ने सोमवार को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। अपने 14 वर्षीय करियर में उन्होंने 123 टेस्ट मैचों में 9,230 रन बनाए, 46.85 की औसत से। उन्होंने 30 शतक लगाए, जो किसी भी मानक से एक शानदार रिकॉर्ड है।
कोहली का मन पहले ही बन चुका था
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शास्त्री ने ICC रिव्यू को बताया। शास्त्री ने बताया कि संन्यास की घोषणा से करीब एक हफ्ता पहले उन्होंने कोहली से बात की थी। "मैंने उनसे बात की थी, शायद एक हफ्ता पहले, और उनका मन पूरी तरह से साफ था कि उन्होंने सब कुछ दे दिया है। उन्हें कोई पछतावा नहीं था,"
मानसिक थकान: संन्यास के पीछे की वजह
शास्त्री ने कहा, "विराट ने मुझे चौंकाया क्योंकि मुझे लगा था कि उसके पास अभी 2-3 साल टेस्ट क्रिकेट बाकी है। लेकिन जब आप मानसिक रूप से थक चुके होते हैं, तो आपका शरीर भी जवाब देने लगता है। आप चाहे सबसे फिट खिलाड़ी हों, लेकिन मानसिक थकान ही असली कारण बनती है।"
वैश्विक प्रभाव और लोकप्रियता
शास्त्री ने कोहली की अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता की भी सराहना की। "चाहे ऑस्ट्रेलिया हो या साउथ अफ्रीका, लोग उन्हें देखने के लिए मैच देखते थे। उनका उत्सव मनाने का तरीका, उनकी ऊर्जा, ये सब दर्शकों को झकझोर देते थे। वो एक संक्रामक व्यक्तित्व थे, जो ड्रेसिंग रूम से लेकर दर्शकों के ड्राइंग रूम तक असर डालते थे।"
नेतृत्व की मिसाल
कोहली ने भारत को 68 टेस्ट में कप्तानी दी, जिनमें 40 मैच भारत ने जीते, यह किसी भी भारतीय कप्तान के लिए एक रिकॉर्ड है।
शास्त्री ने कहा, "जब वो कप्तानी करते थे, तो ऐसा लगता था जैसे उन्हें हर निर्णय खुद लेना है, विकेट लेना है, कैच पकड़ना है। इतना गहरा जुड़ाव किसी भी खिलाड़ी को थका सकता है, और अगर वो खुद को सीमित न करें, तो बर्नआउट निश्चित होता है।"
कुछ साबित करना बाकी नहीं
शास्त्री का मानना है कि विराट कोहली को अब कुछ भी साबित करने की आवश्यकता नहीं है। "अक्सर खिलाड़ी रिटायरमेंट के बाद सोचते हैं — 'काश मैं ये कर लेता'। लेकिन विराट ने सब कुछ किया है , कप्तानी, वर्ल्ड कप जीतना, अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतना। उनके लिए अब कुछ भी अधूरा नहीं है।"
कोहली-शास्त्री युग: सफलता की मिसाल
कोहली और शास्त्री की जोड़ी ने भारतीय टेस्ट क्रिकेट को उसकी सबसे कामयाब दौरों में से एक दिया। ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज़ जीत, वेस्ट इंडीज में लगातार जीत, श्रीलंका में दो दशक बाद जीत। इस जोड़ी ने भारतीय टेस्ट टीम को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया।