15 अगस्त से शुरू हो गयी थी कैलाश गहलोत के इस्तीफे की पटकथा !
दरअसल 15 अगस्त पर झंडारोहण के लिए जेल में बंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम की घोषणा की थी लेकिन उपराज्यपाल ने उनकी जगह कैलाश गहलोत को मौका दिया. उसके बाद से ही पार्टी और गहलोत के बीच खाई तैयार होती चली गयी.
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-11-17 11:42 GMT
Kailash Gehlot Resignation : आम आदमी पार्टी को बहुत बड़ा झटका लगा है. झटका देने वाले कोई और नहीं बल्कि उनकी पार्टी के ज़िम्मेदार नेता और दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत हैं, जिन्होंने मंत्री पद और पार्टी दोनों से ही इस्तीफा दे दिया. लेकिन क्या ये एक दम उठाया हुआ कदम है फिर इसकी पटकथा कुछ समय पहले से ही लिखी जा चुकी थी.
15 अगस्त से गहरी होती चली गयी खाई
सूत्रों की मानें तो कैलाश गहलोत और आप के बीच की खायी उस समय गहरी हो गयी जब 15 अगस्त को जेल के अन्दर से केजरीवाल ने झंडारोहण के लिए आतिशी का नाम भेजा था लेकिन उपराज्यपाल ने उस नाम को दरकिनार करते हुए कैलाश गहलोत के नाम को सामने रखा था.
सूत्रों का कहना है कि जब ये एपिसोड हुआ था तो कहीं न कहीं पार्टी के अन्दर इस बात को लेकर काफी आपति जताई गयी. कैलाश गहलोत पर कुछ इस तरह का दबाव डाला गया कि वो उपराज्यपाल के इस प्रस्ताव को न मानें, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कैलाश गहलोत ने उपराज्यपाल के सुझाव को मानते हुए 15 अगस्त को झंडारोहन किया. इसके बाद से कैलह गहलोत के विरोध में पार्टी में ही एक बड़ा धड़ा खड़ा हो गया.
पार्टी सूत्रों ने यहाँ तक कहा कि अगर किसी ने गौर किया हो तो जब केजरीवाल जमानत पर बाहर आये थे तो उन्होंने कैलाश गहलोत से गर्मजोशी से मुलाकात भी नहीं की थी. ये अन्य सभी पार्टी नेताओं के लिए भी एक इशारा था.
— Kailash Gahlot (@kgahlot) November 17, 2024
कैलाश गहलोत ने इस्तीफे में शीश महल और यमुना नदी का किया ज़िक्र
कैलाश गहलोत ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को लिखे अपने पत्र में कहा कि पार्टी को अंदर से गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और "राजनीतिक महत्वाकांक्षा" लोगों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर हावी हो गई है, जिससे कई वादे अधूरे रह गए हैं. उन्होंने यमुना नदी को साफ करने के सरकार के वादे का उदाहरण दिया, जिसे साफ नहीं किया गया और यह पहले से भी ज्यादा प्रदूषित है.
इसके अलावा उन्होंने अपने पत्र में कहा कि शीशमहल जैसे कई "शर्मनाक और अजीब" विवाद हैं, जिससे लोगों को संदेह हो रहा है कि क्या हम अभी भी आम आदमी होने में विश्वास करते हैं.
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि उनके लिए एक और दुखद बात यह है कि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय, पार्टी अपने "अपने राजनीतिक एजेंडे" के लिए लड़ रही है. उन्होंने कहा कि इससे दिल्ली के लोगों को बुनियादी सेवाएँ देने की उनकी क्षमता भी बुरी तरह से कम हो गई है.
उन्होंने लिखा कि अगर दिल्ली सरकार ज्यादातर समय केंद्र से लड़ती रहेगी तो दिल्ली की तरक्की नहीं हो सकती.
केजरीवाल की तुलना राम से तो खुद की हनुमान से की थी
कैलाश गहलोत की बात करें तो वो नजफगढ़ के मित्राऊं गाँव के निवासी हैं. गहलोत 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले आप में शामिल हुए और नजफगढ़ सीट पर 1,550 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल क. उन्होंने 2020 में फिर से 6,000 से अधिक वोटों से सीट जीती. सितंबर 2024 में जब उन्होंने आतिशी सरकार में अपने मंत्रालय का कार्यभार संभाला था, तब उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था कि वह वैसे ही काम करेंगे जैसे 'हनुमान' ने भगवान राम के लिए किया था और 'केजरीवाल के हनुमान' बनेंगे. गहलोत सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में एक कुशल अधिवक्ता हैं, जिनके पास विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित ग्राहकों के साथ कानूनी प्रैक्टिस का 16 वर्षों से अधिक का अनुभव है. 2018 में, गहलोत आयकर विभाग की जांच के दायरे में आए थे, जिसने कथित कर चोरी के एक मामले में उनसे जुड़े कई परिसरों की तलाशी ली थी.
भाजपा की निम्नस्तरीय राजनीति: आप
कैलाश गहलोत के इस्तीफे के बाद अपनी पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया में आप सांसद संजय सिंह ने भाजपा पर निम्न स्तर की राजनीति के जरिए सफलतापूर्वक “षड्यंत्र” को अंजाम देने का आरोप लगाया. सिंह ने दावा किया, "भाजपा अपनी साजिश में सफल हो गई है. गहलोत, जो भाजपा के दबाव में थे और जिनसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ की थी, उन्हें सीबीआई और ईडी सहित केंद्रीय एजेंसियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा था." गहलोत द्वारा अपने त्यागपत्र में लगाए गए आरोपों के बारे में सिंह ने तर्क दिया, "वे ऐसे आरोप नहीं लगा सकते क्योंकि वे पांच साल तक सरकार का हिस्सा थे। भाजपा ने गहलोत को एक स्क्रिप्ट सौंपी है, उन्हें उसी के अनुसार काम करना होगा."