अहमदाबाद क्रैश: जांच बाकी, सरकार ने हॉस्टल गिराकर स्मारक बनाने का लिया फैसला

जहां एक ओर हादसे की जांच अभी जारी है, वहीं सरकार ने स्मारक निर्माण और भवन गिराने की घोषणा कर दी है। अब सबकी निगाहें AAIB और अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो यह बताएंगी कि हादसे की असली वजह क्या थी और भविष्य में ऐसी त्रासदियों से कैसे बचा जा सकता है।;

Update: 2025-06-28 02:00 GMT

12 जून को अहमदाबाद के मेघानीनगर इलाके में हुए एयर इंडिया विमान हादसे की जांच अभी जारी है, लेकिन इसके बीच सरकार ने एक ऐसा निर्णय लिया है, जिस पर सवाल उठने लगे हैं। हादसे का सबसे अधिक प्रभाव झेलने वाले मेडिकल कॉलेज के हॉस्टलों को गिराकर वहां एक स्मारक बनाने की घोषणा कर दी गई है, जिससे प्राथमिकताओं को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

लंदन जा रहे एयर इंडिया के बोइंग 787 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से 260 लोगों की मौत हो गई थी (एक शव की अब भी पहचान नहीं हुई है)। अब गुजरात सरकार ने निर्णय लिया है कि सिविल हॉस्पिटल, बीजे मेडिकल कॉलेज, यूएन मेहता हॉस्पिटल और मेडिकल हॉस्टल के वरिष्ठ डॉक्टरों के लिए बने 13 भवनों — अतुल्यम 1 से 12 — को गिरा दिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने कहा कि सरकार ने हादसे वाली जगह पर एक स्मारक बनाने का फैसला लिया है और सभी भवनों को हटाकर एयरपोर्ट क्षेत्र से दूर किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने ये भी जोड़ा कि ये भवन उसी इलाके में बने रहेंगे। यह बयान उस समय आया है जब डॉक्टरों और छात्रों को उसी स्थान पर स्थित क्वार्टर्स में वापस लौटने के लिए कहा गया है, जहाँ दुर्घटनाग्रस्त विमान गिरा था।

सवालों के घेरे में निर्माण

ये सभी 12 भवन सिविल-मेडिसिटी परियोजना का हिस्सा हैं, जिसकी घोषणा 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी। इनमें से दो भवन — अतुल्यम 11 और बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल — हादसे में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि आग की चपेट में आकर अतुल्यम 2, 3 और 4 आंशिक रूप से जले। 25 जून को राज्य स्वास्थ्य विभाग की अधिसूचना के बाद डॉक्टर और छात्र अपने परिवारों के साथ अतुल्यम 1, 5, 6, 7, 8, 9, 10 और 12 में लौट आए। गुजरात की रोड एंड बिल्डिंग डिपार्टमेंट की प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन यूनिट (PIU) इन इमारतों की जांच कर रही है, जो राज्य में मेडिकल निर्माणों की निगरानी करती है।

नई इमारतें, फिर भी असुरक्षित

जांच टीम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि ये भवन 2015 के बाद बने हैं, जिनमें से एक तो सिर्फ एक साल पुराना है। ये पूरी तरह गिर तो नहीं गए, लेकिन अब इनमें रहना सुरक्षित नहीं है। जब तक रिपोर्ट पूरी नहीं हो जाती, इनमें कोई न रहे। एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) भी इन इमारतों की जांच कर रहा है। अहमदाबाद अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (AUDA) AAIB को निर्माण और अनुमति से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध करा रही है।

नई नियमावली

सरकार ने इस हादसे के बाद Aircraft (Demolition of Obstructions) Rules, 2025 का ड्राफ्ट भी जारी किया है। इन नियमों के अनुसार एयरपोर्ट या फनल ज़ोन के भीतर ऊंचाई की सीमा का उल्लंघन करने वाली इमारतों या पेड़ों को तुरंत हटाया जा सकता है। AUDA के अधिकारियों को अब सीधे नोटिस जारी करने और उल्लंघन की स्थिति में इमारत को गिराने या ऊंचाई घटाने का अधिकार होगा। नियम लागू होने पर भवन मालिक को 60 दिन के भीतर सभी विवरण (ऊंचाई, क्षेत्रफल आदि) देने होंगे।

भारी नुकसान

हादसे में अतुल्यम-11 और बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पूरी तरह बर्बाद हो गए, जिसमें 8 लोगों की जान गई, जिनमें डॉक्टर और उनके परिवार शामिल थे। आग ने पास के अतुल्यम 2, 3 और 4 को भी प्रभावित किया। कुल 13 इमारतों को एहतियातन खाली कराना पड़ा। गुजरात के सिविल एविएशन सचिव राजेंद्र कुमार ने The Federal को बताया कि यह एक जटिल जांच होगी जिसमें कई पहलुओं की जांच की जाएगी। इसमें 3-4 महीने लग सकते हैं। हालांकि, उन्होंने यह कहने से इनकार कर दिया कि क्या इन भवनों को Airport Authority of India (AAI) से अनुमति मिली थी, जैसा कि URDPFI गाइडलाइंस में ज़रूरी है।

अन्य इमारतें भी खतरे में

एसवीपी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास स्थित कुछ अन्य इमारतों की भी जांच की जा रही है। मेघानीनगर की 151 टावरों वाली एक रिहायशी सोसाइटी और एक अन्य चार मंज़िला परिसर, हादसे के बिल्कुल करीब हैं। एक STF अधिकारी ने बताया कि अगर विमान तीन सेकंड पहले गिरता तो ये रिहायशी टाउनशिप सीधे उसकी चपेट में आ जाती। पायलट ने शायद भारी भीड़-भाड़ वाले इलाके में एक खाली ज़मीन खोजकर प्लेन को नीचे लाकर और ज़मीन पर मौजूद कई लोगों की जान बचा ली।

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