दिल्ली हाई कोर्ट: अरविन्द केजरीवाल की जमानत याचिका, दलीलों के बीच में आया पाकिस्तान
अभिषेक मनुसिंघवी ने सीबीआई की कार्रवाई की तुलना पाकिस्तान से की. तो वहीँ सीबीआई के वकील ने दलील देते हुए कहा कि चुनाव के बीच अंतरिम जमानत पाकिस्तान में नहीं दी जाती, ये भारतीय न्याय तंत्र की ताकत है
Delhi Liquor Policy Scam: दिल्ली सरकार के कथित शराब घोटाले को लेकर सीबीआई द्वारा की गयी मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी है. दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. दिल्ली हाई कोर्ट की जज जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने फैसला सुरक्षित करने का आदेश सुनते हुए कहा कि फैसला लिखने में 5 से 7 दिन लगेंगे. अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर भी अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है, जबकि अरविंद केजरीवाल की नियमित जमानत पर सुनवाई 29 जुलाई को दोपहर 3:00 बजे होगी.
इस दौरान दोनों पक्षों ने अदालत में दलील देते हुए पाकिस्तान का ज़िक्र भी किया. पहले बचाव पक्ष यानी अरविन्द केजरीवाल के वकील अभिषेक मनुसिंघवी ने दलील देते हुए पाकिस्तान का ज़िक्र किया तो वहीँ जब सीबीआई की तरफ से दलील देना शुरू किया तो जवाब में सीबीआई के वकील डीके सिंह ने भी पाकिस्तान का ज़िक्र करते हुए अभिषेक मनुसिंघवी के तर्क का जवाब दिया. दोनों पक्षों ने अदालत के सामने क्या क्या कहा, इसे जानने के लिए आगे पढ़िए.
अभिषेक मनुसिंघवी की दलीलें
सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने ये दलील भी दी कि भारत में पाकिस्तान जैसा नहीं हो सकता. इसके लिए सिंघवी ने कहा कि इमरान खान एक केस में तीन दिन पहले रिहा हुए. हरेक ने अखबार में ये पढ़ा लेकिन बाद में उन्हें दुसरे केस में गिरफ्तार कर लिया गया. ऐसा हमारे देश में नहीं हो सकता. इसके साथ ही सिंघवी ने अदालत को ये जानकारी दी कि हमने अंतरिम ज़मानत के लिए अर्जी दाखिल की है, अगर नियमित ज़मानत की मांग पर सुनवाई में देरी होती है, तो कोर्ट अंतरिम ज़मानत पर केजरीवाल को रिहा करे.
ED की ओर से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल को SC से अंतरिम ज़मानत मिल चुकी है. लेकिन CBI की ओर से दर्ज केस में भी न्यायिक हिरासत में होने के चलते अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर नहीं आ पाए हैं.
हाई कोर्ट की जज नीना बंसल कृष्णा मामले की सुनवाई कर रहे हैं. केजरीवाल की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने जिरह शुरू करते हुए दलील दी कि CBI के पास इस केस में गिरफ्तारी के लिए कोई सबूत नहीं है. केजरीवाल जेल में ही रहे, ये सुनिश्चित करने के लिए CBI ने गिरफ्तारी की है. CBI को आशंका थी कि ED के केस में केजरीवाल जेल से बाहर आ सकते है, ऐसा न हो, ये सुनिश्चित करने के लिए CBI ने गिरफ्तारी की है.
सिंघवी ने कहा कि जहाँ तक ज़मानत का सवाल है. केजरीवाल ज़मानत की शर्तों पर खरा उतरते हैं. इस केस में CBI की FIR दो साल पुरानी है. अगरत 2022 में FIR दर्ज हुई थी. सबसे बड़ी बात की इसमे मैं ( अरविन्द केजरीवाल ) आरोपी नहीं था. अप्रैल 2023 में मुझे गवाह के तौर पर बयान देने के लिए समन किया गया, मैं पूछताछ में शामिल भी हुआ.
आगे सिंघवी ने कहा कि बयान दर्ज करने के बाद एक साल तक मेरी गिरफ्तारी की ज़रूरत नहीं समझी गई. ED की ओर से दर्ज केस में सुप्रीम कोर्ट से पहले ही मुझे अंतरिम ज़मानत मिल चुकी है. SC ने जमानत दी है, इसका मतलब SC इस बात से सन्तुष्ट था कि ज़मानत पर रहते वक्त मैं सबूतों के साथ छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करूंगा.
सिंघवी ने इस दौरान पाकिस्तान में इमरान खान का हवाला दिया. सिंघवी ने कहा कि इमरान खान एक केस में तीन दिन पहले रिहा हुए. हरेक ने अखबार में ये पढ़ा लेकिन बाद में उन्हें दुसरे केस में गिरफ्तार कर लिया गया. ये हमारे देश मे नहीं हो सकता.
(यहाँ CBI ने ये सुनिश्चित करने के लिए मैं जेल में ही रहूँ, ED के केस में जेल से बाहर न आ जाऊ, इस आशंका के मद्देनजर मुझे गिरफ्तार किया है.)
सिंघवी ने कहा कि इस केस में मेरी गिरफ्तारी संविधान के आर्टिकल 14, 21, 22 के तहत मिले मूल अधिकारों का हनन है. केजरीवाल मुख्यमंत्री है, कोई आंतकवादी नहीं है. यहाँ CBI ने उनसे पहले पूछताछ के लिए ट्रायल कोर्ट में अर्जी लगाई, लेकिन केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट ने नोटिस जारी करना भी ज़रूरी नहीं समझा.
सिंघवी ने अदालत के समक्ष कहा कि गिरफ्तारी के लिए CBI ने ट्रायल कोर्ट को सिर्फ एक वजह बताई कि मै उनके सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा था. क्या जांच एजेंसी के मनमाफिक जवाब न देने के लिए मेरी गिरफ्तारी हो सकती है! ये अपने आप मे कैसे आधार हो सकता है ! ट्रायल कोर्ट का मेरी गिरफ्तारी की इजाज़त का आदेश देना ग़लत है. पिछले दिनों ही जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने आदेश में कहा है कि सिर्फ पूछताछ ही गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकती.
अभिषेक मनुसिंघवी की दलीलों के जवाब में सीबीआई की दलील
अरविन्द केजरीवाल के वकील अभिषेक मनुसिंघवी की तमाम दलीलों के बाद सीबीआई की तरफ से उनकी जमानत/ अंतरिम जमानत की मांग का विरोध किया. CBI के वकील डीपी सिंह ने विरोध जताते हुए कहा कि केजरीवाल कहते हैं कि हमने उन्हें गवाह के तौर पर बुलाया. ये सही नहीं है. सीबीआई ने धारा 160 के तहत केजरीवाल को बुलाया था. धारा 160 सिर्फ गवाह के लिए नहीं है, ये किसी भी ऐसे व्यक्ति को बुलाने के लिए है, जो मामले के तथ्यों से परिचित हो. जिसे सेक्शन 160 के तहत जांच में शामिल होने के लिए बुलाया जाता है वह संदिग्ध, आरोपी या गवाह हो सकता है.
- CBI के वकील ने कहा कि केजरीवाल का आरोप है कि सीबीआई उनसे नौ घंटे पूछताछ पहले ही कर चुकी है. सच ये है कि उन्होंने सवालों के जवाब देने में खुद समय लिया. उनको दिया गया हर सवाल टाइप किया गया था. जब उनसे कहा गया कि वो जा सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि नहीं मुझे पूरे सवाल जवाब पढ़ने है, उन्होंने इसमें कुछ सुधार भी किए. सवाल ये है कि किसी मामले की जांच कैसे की जाए, ये कौन तय करेगा?
- CBI के वकील डीपी सिंह ने कहा कि जांच एजेंसी होने के नाते CBI के अपने अधिकार है कि किस आरोपी के खिलाफ कब चार्जशीट करनी है और किस आरोपी को किस समय बुलाना है! वो एक मुख्यमंत्री हैं उनकी भूमिका साफ़ नहीं थी. आबकारी मंत्री के तहत शराब नीति बनी थी, लेकिन जब जरूरी लगा तो उन्हें बुलाया गया.
- सीबीआई के वकील ने कहा कि गिरफ़्तार किए गए लोगों में से सिर्फ़ पाँच को ज़मानत मिली है. ये वो लोग हैं जो के कविता, मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के अधीन काम करते थे. ये सिर्फ अपने आकाओं के निर्देशो की तामील कर रहे थे. ये मुख्य साजिशकर्ता नहीं हैं, ये साजिशकर्ताओं के अधीन काम कर रहे लोग थे.
- वकील डीपी सिंह ने कहा कि केजरीवाल अपने पक्ष में कोर्ट के तीन आदेशो का हवाला दे रहे है. लेकिन हकीकत ये है कि जब पहली बार अंतरिम ज़मानत SC से मिली, वो सिर्फ चुनाव प्रचार के लिए मिली थी. ये हमारे ज्यूडिशियल सिस्टम की ताकत को दर्शाता है कि चुनाव प्रचार के लिए ज़मानत मिल गई. ये कोई पाकिस्तान नहीं है, जैसा सिंघवी दलील दे रहे थे.
- डीपी सिंह ये दलील देते हुए कहा जहाँ तक केजरीवाल के पक्ष में कोर्ट के दूसरे आदेश का सवाल है, निचली अदालत से मनी लॉन्ड्रिंग केस में मिली ज़मानत के आदेश पर दिल्ली HC पहले रोक लगा चुका है. HC ने इस आदेश के पीछे वजह भी बताई है.
जैसे ही मनी लॉन्ड्रिंग के मुद्दे पर बात आई तो कोर्ट ने सीबीआई के वकील को टोकते हुए कहा कि अभी जिस केस पर जिरह हो रही है, वो मनी लॉन्ड्रिंग का केस नहीं है. उन्होंने Crpc के सेक्शन 41, 41 A ( गिरफ्तारी की प्रकिया) पर अमल न होने लेकर सवाल उठाया है. आप उस पर ही अपनी बात रखें.
जिसके बाद डीपी सिंह ने कहा कि सीबीआई केस में सिर्फ संदेह के आधार पर भी गिरफ्तारी हो सकती है. यहाँ स्थिति PMLA से अलग है. PMLA के सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तारी के लिए ज़रूरी है कि जांच एजेंसी के पास 'किसी को दोषी मानने के लिए पर्याप्त वजह' हो.