केजरीवाल- सिसोदिया पर पर चलेगा मनी लॉन्ड्रिंग केस, गृहमंत्रालय ने दी मंजूरी
दिल्ली एक्साइज केस में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चलेगा। गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय को मंजूरी दे दी है।;
दिल्ली में चुनावी मौसम के बीच आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली एक्साइड स्कैम में इन दोनों पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चलेगा। गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय को मंजूरी दे दी है। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को पूर्व मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर कथित शराब घोटाले के सिलसिले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।
दिल्ली की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने पहले केजरीवाल के खिलाफ आरोप तय करने पर रोक लगा दी थी, जब उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था। केजरीवाल ने तर्क दिया था कि पीएमएलए के तहत अभियोजन के लिए विशेष मंजूरी के अभाव के कारण ट्रायल कोर्ट का आरोपपत्र पर संज्ञान अमान्य था। सीबीआई, जिसने केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपपत्र दायर किया था, ने पिछले साल अगस्त में अभियोजन के लिए अपेक्षित मंजूरी प्राप्त की थी।
आप नेता और उनकी पार्टी पर तथाकथित ‘साउथ ग्रुप’ से रिश्वत लेने का आरोप है कहा जाता है कि कार्टेल को 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार द्वारा पेश की गई आबकारी नीति (Delhi Excise Case) से लाभ हुआ है। केजरीवाल की कानूनी टीम ने 6 नवंबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि ईडी को पीएमएलए के तहत व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकारी से विशिष्ट मंजूरी की आवश्यकता होती है। इस फैसले ने पीएमएलए मामलों में कई आरोपियों को उनके खिलाफ दायर आरोपपत्रों को रद्द करने की मांग करने के लिए प्रेरित किया है।
केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का तर्क है कि सीबीआई की मंजूरी पीएमएलए के तहत ईडी के अभियोजन को स्वचालित रूप से अधिकृत नहीं करती है, और एजेंसी को एक अलग अनुमोदन प्राप्त करना होगा। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित ईडी और सीबीआई (CBI) द्वारा दायर अलग-अलग मामलों में केजरीवाल को जमानत दी थी। वर्तमान में, केजरीवाल की दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका लंबित है, जिसमें एक ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है, जिसने उनके अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी प्राप्त किए बिना ईडी की चार्जशीट का संज्ञान लिया था।