दो PAN कार्ड केस: आजम ख़ान और बेटे अब्दुल्ला दोषी, सात-सात साल की सजा
Abdullah Azam two PAN cards: अब्दुल्ला की असली उम्र चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र से कम थी। शिकायतकर्ता के अनुसार, उम्र छिपाने और चुनाव लड़ने की पात्रता दिखाने के लिए आजम ख़ान और उनके बेटे ने मिलकर झूठे दस्तावेज तैयार किए।
Azam Khan sentenced: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और महासचिव आजम ख़ान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को सोमवार को बड़ा झटका लगा। रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने दोनों को दो पैन कार्ड बनवाने के मामले में दोषी करार देते हुए सात-सात साल की सज़ा सुनाई और जेल भेज दिया। यह मामला भाजपा विधायक आकाश सक्सेना की शिकायत पर दर्ज हुआ था। उन्होंने ही अब्दुल्ला के दो अलग-अलग पैन कार्ड होने का खुलासा किया था।
आजम ख़ान पर कितने केस?
आज़म ख़ान के खिलाफ कुल 104 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से 11 मामलों का फैसला हो चुका है। 6 मामलों में सज़ा हो चुकी है और 5 मामलों में बरी किया जा चुका है।
केस कैसे शुरू हुआ?
अब्दुल्ला आजम के दो पैन कार्ड का मामला 2019 में सिविल लाइंस थाने में दर्ज हुआ था। केस में आजम ख़ान को भी आरोपी बनाया गया था। लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने 17 नवंबर को फैसला सुनाने की तारीख तय की थी।
क्या थे आरोप?
भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने पुलिस को दी शिकायत में कहा था—
1. पहला PAN कार्ड
इसमें अब्दुल्ला की जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज थी। यह तारीख उनके शैक्षिक प्रमाणपत्रों के अनुसार सही मानी गई। इसी PAN से अब्दुल्ला ने आयकर रिटर्न दाखिल किए।
2. दूसरा PAN कार्ड (विवादित)
यह PAN 2017 के स्वार-टांडा विधानसभा चुनाव के नामांकन में लगाया गया। इसमें जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दिखाई गई। आरोप है कि यह पैन कार्ड धोखाधड़ी और कूटरचना से बनवाया गया। यह PAN नामांकन के समय वैध भी नहीं था।
आरोप क्या था?
अब्दुल्ला की असली उम्र चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र से कम थी। शिकायतकर्ता के अनुसार, उम्र छिपाने और चुनाव लड़ने की पात्रता दिखाने के लिए आजम ख़ान और उनके बेटे ने मिलकर झूठे दस्तावेज तैयार किए। फर्जी PAN कार्ड बनवाया। गलत जन्मतिथि दिखाकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
कौन-कौन सी धाराएं लगीं?
दोनों के खिलाफ IPC की निम्न धाराएं लगाई गईं:-
420– धोखाधड़ी
467– महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जालसाजी
468– धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी
471– फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल
120B– आपराधिक साज़िश