बेंगलुरु में पिता की व्यथा: बेटी की मौत पर भी रिश्वत की मांग

पूर्व BPCL अधिकारी के. शिवकुमार ने बेटी की मौत के बाद भ्रष्टाचार का दर्द बयान किया. हर कदम पर रिश्वत, पुलिसकर्मी निलंबित, सरकार पर उठे सवाल

Update: 2025-10-30 10:54 GMT

K SivaKumar Bengaluru Police: कभी किसी पिता ने सोचा नहीं होगा कि अपनी बेटी के अंतिम संस्कार तक उसे रिश्वत देनी पड़ेगी। लेकिन यह दर्द भरा सच है के. शिवकुमार की जिंदगी में यह सब हुआ।

शिवकुमार, जो कभी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के चीफ फाइनेंस ऑफिसर (CFO) थे, ने अपनी 34 वर्षीय बेटी अक्षया को 18 सितंबर को ब्रेन हैमरेज के कारण खो दिया। अक्षया, जो गोल्डमैन सैक्स में सीनियर पद पर थीं और आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए कर चुकी थीं, अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं।

बेटी के निधन के बाद, एक पिता जो सिर्फ उसके अंतिम संस्कार की औपचारिकताएं पूरी करना चाहता था, उसे एक ऐसे सिस्टम से गुजरना पड़ा जिसने संवेदना की जगह सिर्फ लालच दिखाया।



शिवकुमार ने अपने लिंक्डइन पोस्ट में लिखा “मेरी इकलौती संतान चली गई। लेकिन उससे भी बड़ा दुःख यह है कि मुझे हर जगह रिश्वत देनी पड़ी। एंबुलेंस, पुलिस, पोस्टमॉर्टम, शवदाह गृह, और बीबीएमपी कार्यालय तक। कहीं भी इंसानियत नहीं दिखी।”

अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा कि एंबुलेंस चालक ने सिर्फ उनकी बेटी के शव को एक अस्पताल से दूसरे ले जाने के लिए ₹3,000 मांगे। पुलिस वालों ने एफआईआर और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देने के लिए खुलेआम नकद मांगा। “चार दिन बाद थाने में मिला और उन्होंने खुलेआम पैसे मांगे। मैंने दिए क्योंकि मेरे पास थे। पर गरीब लोग क्या करेंगे?”

शिवकुमार की ये पोस्ट केवल शिकायत नहीं थीं, बल्कि टूटे हुए इंसान की करुण पुकार थीं।

उन्होंने लिखा कि “क्या पुलिसवालों के परिवार नहीं होते? क्या उन्हें एहसास नहीं कि वे एक पिता से पैसे मांग रहे हैं जिसकी बेटी अभी-अभी गुज़री है?” फिर बारी आई मृत्यु प्रमाणपत्र की। पांच दिन तक उन्होंने बीबीएमपी दफ्तर के चक्कर काटे कभी कोई “कास्ट सर्वे” में गया था, कभी “अफसर मीटिंग में”। आखिरकार, एक वरिष्ठ अधिकारी की मदद से सर्टिफिकेट मिला, लेकिन तब तक अतिरिक्त पैसे फिर देने पड़े।

अपने पोस्ट के अंत में उन्होंने शहर के बड़े उद्योगपतियों नारायण मूर्ति, अज़ीम प्रेमजी और किरण मजूमदार शॉ से एक मार्मिक सवाल पूछा कि “क्या इन सबके पास इतना प्रभाव नहीं कि इस शहर को इस हाल से बचाया जा सके?”

पोस्ट वायरल हुआ। हजारों लोगों ने उसे साझा किया, लेकिन फिर वह रहस्यमय तरीके से डिलीट कर दिया गया। इस पर लोगों ने सवाल उठाया कि क्या किसी ने दबाव बनाया?



विवाद बढ़ने पर बेंगलुरु पुलिस हरकत में आई। व्हाइटफील्ड डीसीपी ने बयान जारी कर बताया कि बेलंदूर थाने के एक सब-इंस्पेक्टर और एक कॉन्स्टेबल को तत्काल निलंबित किया गया है। पुलिस विभाग की तरफ से कहा गया कि ऐसे व्यवहार को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इस बीच, बीजेपी की राज्य उपाध्यक्ष मालविका अविनाश ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “शिवकुमार ने सिर्फ बेटी नहीं खोई, बल्कि पूरे सिस्टम पर भरोसा भी खो दिया। कांग्रेस सरकार में प्रशासन ठप हो चुका है। बीबीएमपी जैसे संस्थान अब संवेदनहीन हो गए हैं।

उन्होंने उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार से पूछा कि क्यों एक नागरिक को अपनी बेटी के अंतिम संस्कार के लिए भी रिश्वत देनी पड़ी? और किसने उन्हें सोशल मीडिया पोस्ट हटाने पर मजबूर किया?

इस एक घटना ने बेंगलुरु की चमकदार छवि के नीचे छिपी कड़वी सच्चाई उजागर कर दी। एक पिता का दर्द, एक शहर की संवेदनहीनता, और एक व्यवस्था की आत्मा का पतन।


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