बिहार का VIP सीट 'राघोपुर' जो है लालू परिवार और RJD का अभेद्य किला
राघोपुर वो विधानसभा क्षेत्र है जहां से जीतकर लालू यादव और राबड़ी देवी बिहार के मुख्यमंत्री बने तो 2015 और 2020 में तेजस्वी यादव यहां से जीतकर डिप्टी सीएम बने.;
बिहार में चंद महीने बाद ही अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाला है जिसके तारीखों की घोषणा सितंबर महीने के आखिर में होने की संभावना है. एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच ये मुकाबला होगा. वैसे तो बिहार में कुल 240 विधानसभा की सीटें है और हर सीट अपने आप में ही वीआईपी है. क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी तेजस्वी यादव की अगुवाई में चंद सीटों के फासले से सरकार बनाने से वंचित रह गई थी. ऐसे में 2025 में भी रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है. द फेडरल देश बिहार विधानसभा चुनाव में हर सीट की जातीय से लेकर सामाजिक और धार्मिक समीकरण को टटोलेगा और भूतकाल में इन सीटों पर किसका पलड़ा भारी रहा है ये भी जानने का प्रयास करेगा.
लालू यादव के चलते राघोपुर बना VIP सीट
इस कड़ी में हम सबसे पहले बात करते हैं राघोपुर विधासभा सीट की जिसपर पूरे बिहार की नजर रहती है. साल 1995 में जब बिहार के तात्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने राघोपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया तब पटना करीब लेकिन हर मापदंड पर पिछड़ा राघोपुर विधानसभा क्षेत्र चर्चा के केंद्र में आया. वैसे राघोपुर विधानसभा सीट 1951 से ही अस्तित्व में है. लेकिन लालू यादव के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से राघोपुर बिहार की राजनीति की सुर्खियों में आ गया. राघोपुर विधानसभा सीट एक यादव बहुल क्षेत्र है जो हाजीपुर लोकसभा सीट में आता है. राघोपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले लालू यादव सोनपुर से चुनाव लड़ा करते थे.
राघोपुर के पास सीएम-डिप्टी सीएम बनाने का गौरव
राघोपुर वो क्षेत्र है जिसने 1995 में लालू यादव को जीतकर विधानसभा भेजा और मुख्यमंत्री बनाया. 2000 में राबड़ी देवी भी राघोपुर से विधानसभा चुनाव लड़ीं और वे जीतकर बिहार की मुख्यमंत्री बनी. 2005 में भी फिर से राबड़ी देवी राघोपुर से विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रही थीं. हालांकि 2010 में पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में राघोपुर सीट से जदयू के सतीश कुमार ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने 2010 में पिछली हार का बदला लेते हुए राबड़ी देवी को 13,006 वोट से शिकस्त दी थी. सतीश कुमार को कुल 64,222 वोट मिले थे जबकि राबड़ी देवी को 51,216 वोट मिले थे.
लालू-राबड़ी के बाद तेजस्वी को मिली सीट
लेकिन 2015 में लालू-राबड़ी देवी की अगली पीढ़ी उनके पुत्र तेजस्वी यादव को राघोपुर ने विधानसभा चुनावों में अपने कंधे पर बिठाकर विधानसभा भेजा. तेजस्वी बिहार के उपमुख्यमंत्री बने. 2020 में भी तेजस्वी इस सीट से विधायक बनने में कामयाब रहे और बीच में कुछ समय के लिए फिर से डिप्टी सीएम भी बने. 2020 विधानसभा चुनाव में तेजस्वी ने बीजेपी के सतीश कुमार को हराया था. तेजस्वी यादव ने सतीश कुमार को 38,174 वोट से हराने में कामयाब रहे थे. इससे साफ है कि राघोपुर ने हमेशा लालू परिवार के साथ खड़ा रहा है.
यादव बहुत क्षेत्र है राघोपुर
राघोपुर में 31 फीसदी आबादी यादवों की है. बिहार में ये माना जाता है इसी कारण से लालू परिवार ने राघोपुर सीट को चुना है. यादवों के अलावा, 18.56 फीसदी अनुसूचित जाति और 3.3 फीसदी मुस्लिम मतदाता भी लालू परिवार के साथ खड़े नजर आते हैं जिससे ये सीट लालू परिवार के लिए सबसे सेफ है. यहां भूमिहार जाति की भी ठीक-ठाक संख्या है.
8 चुनावों में 7 बार राघोपुर को जीता आरजेडी ने
1951 में जब बिहार में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए उस चुनाव में कांग्रेस के हरिबंश नारायण सिंह को यहां से जीत मिली थी. 1957 के विधानसभा चुनाव में भी एक बार फिर कांग्रेस के हरिबंश नारायण जीतने में कामयाब रहे थे. 1962 में बिहार में हुए चुनाव में कांग्रेस को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. 1998 और 2000 के उप-चुनाव समेत इस सीट पर अब तक कुल 19 चुनाव हुए हैं. लेकिन बीते 3 दशक में जब से राघोपुर विधानसभा सीट बिहार के राजनीति के केंद्र में आया है पिछले आठ में से सात चुनाव में यहां आरजेडी जीतने में कामयाब रही है. तीन बार इस सीट से जीतने वाली कांग्रेस 1969 के बाद से यहां कभी नहीं जीत पाई. बीजेपी इस सीट पर अब तक अपना खाता नहीं खोल सकी है.