बिहार विधानसभा चुनाव: सीट बंटवारे से पहले दिल्ली में कांग्रेस की अहम बैठक
बिहार कांग्रेस ने विधानसभा प्रत्याशियों की सूची दिल्ली भेज दी है। इसको लेकर दिल्ली में आज केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक रखी गई। बैठक के बाद पार्टी आलाकमान प्रत्याशियों के नाम पर अंतिम मुहर लगाएगा।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की बैठकों का दौर जारी है। 18 सितम्बर को पटना के सदाकत आश्रम में कांग्रेस की नवगठित चुनाव समिति की पहली बैठक हुई थी। इसमें पार्टी हाईकमान को प्रत्याशी चयन का अधिकार देने का प्रस्ताव पारित हुआ और उसके बाद एक सूची दिल्ली भेजी गई।
आज दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई। अब जल्द ही प्रत्याशियों की घोषणा होने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस इस बार 75 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, जबकि राजद से इस पर अभी तक कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है। कांग्रेस ने संकेत दिया है कि वह इंतज़ार में समय बर्बाद नहीं करेगी।
इंडिया गठबंधन में सीटों का समीकरण
2020 चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और 19 पर जीत हासिल की थी। गठबंधन के अन्य दल चाहते हैं कि इस बार कांग्रेस को कम सीटें मिलें। कांग्रेस 75 से कम सीटों पर समझौता करने को तैयार नहीं है।
सांसद पप्पू यादव कांग्रेस को 100 सीटें दिलाने की वकालत कर रहे हैं, जबकि कुछ नेता 80 सीटों तक की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस 27 “जिताऊ सीटों” पर विशेष दावा कर रही है। बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू का कहना है कि सीट बंटवारे में अच्छी और कठिन दोनों तरह की सीटों का संतुलन ज़रूरी है।
वाम दलों की रणनीति
सीपीआई 2020 में 6 सीटों पर लड़ी, 2 जीती जबकि भाकपा माले 19 सीटों पर लड़ी और 12 जीती। सीपीएम ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा और 2 जीती। वाम दल चाहते हैं कि उन्हें इस बार 40 से कम सीट न मिले। पिछली बार महागठबंधन में सबसे अच्छा स्ट्राइक रेट इन्हीं का रहा था।
राजद और अन्य दल
राजद ने 2020 में 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि 75 सीटें जीती थी। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी कम से कम 50 सीट और डिप्टी सीएम का पद मांग रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि उन्हें 15–20 सीटें मिल सकती हैं, लेकिन इस पर अन्य सहयोगी दलों की आपत्ति भी तय है।