आधी आबादी को ने NDA ने याद रखा, न महागठबंधन ने, इस बार सबसे कम महिला उम्मीदवार
बिहार में इस बार 15 सालों में सबसे कम महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। महिलाओं के लिए बड़े-बड़े वादे करने वालीं पार्टियां इस मोर्चे पर पीछे नजर आ रही हैं। महिला उम्मीदवारों की कमी के बारे में पूछे जाने पर पार्टियां एक कारण बता रही हैं।
NDA हो या महागठबंधन, ऐसा लग रहा है कि इस बार दोनों ने बिहार की सबसे अहम वोटर यानी महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने में याद नहीं रखा। पार्टियां महिला उम्मीदवारों को टिकट देना भूल गईं। वो भी उस चुनाव में जहां दोनों गठबंधनों की ओर से जारी घोषणा पत्र में महिला वोटरों को लुभाने की पुरजोर कोशिशें की गई हैं।
जहां एक तरफ NDA के मैनिफेस्टो में महिलाओं के लिए मिशन करोड़पति का जिक्र है, तो वहीं दूसरी तरफ तेजस्वी ने महिलाओं को 5 साल तक हर महीने 2500 रुपए देने की बात कही है। हालांकि इन वादों के बीच ऐसा भी प्रतीत होता है कि पार्टियां महिला उम्मीदवारों को टिकट देना भूल गईं।
बिहार में इस बार 15 सालों में सबसे कम महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 2,357 पुरुष चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं इसकी तुलना महिलाओं की बात जाए तो सिर्फ 258 महिलाएं चुनावी उम्मीदवार हैं। भारतीय जनता पार्टी ने 13 महिला उम्मीदवार, तो वहीं कांग्रेस ने महज 5 महिलाओं को टिकट दिया है। इसके अलावा नीतीश की जद(यू) ने 13, और RJD ने 23 महिला उम्मीदवारों को मौका दिया है। जन सुराज और बहुजन समाज पार्टी इस मामले में थोड़ी आगे हैं, जहां जन सुराज ने 25 तो वहीं BSP ने 26 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
महिला उम्मीदवारों को टिकट ना थमाने को लेकर प्रश्न किए जाने पर राजनीतिक पार्टियां एक ही कारण बताती हैं। यह कारण है जीतने की संभावना। पिछले विधानसभा चुनाव में 370 महिला उम्मीदवारों को मौका दिया गया था। इनमें से 26 महिलाओं ने जीत दर्ज की थी। इस तरह महिलाओं की सफलता दर 7 प्रतिशत रही।
हालांकि इस मामले में पुरुष उम्मीदवारों की जीत फीसदी भी लगभग 10 प्रतिशत ही रही थी। बता दें कि बिहार में आगामी 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मैदान होंगे। वहीं नतीजों की घोषणा 14 नवंबर को की जाएगी।