कोलकाता में गिराया जाएगा 26 मंज़िला टॉवर, कलकत्ता हाई कोर्ट का आदेश
जो 26 मंज़िला टॉवर गिराया जाना है, उसमें 233 फ्लैट्स और 269 गाड़ियों की पार्किंग है। हाईकोर्ट ने प्रमोटर और मंज़ूरी देने वाले अधिकारियों पर जाँच और आपराधिक कार्रवाई का भी आदेश दिया है।;
कोलकाता हाई कोर्ट ने न्यू टाउन इलाके में बने एक रिहायशी प्रोजेक्ट के 26 मंज़िला टॉवर को दो महीने के भीतर ध्वस्त करने का आदेश दिया है, यह कहते हुए कि इसमें निर्माण संबंधी वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है।
एलिटा गार्डन विस्टा सोसाइटी के इस ऊँचे टॉवर में 233 फ्लैट्स, एक कमर्शियल प्लाज़ा और 269 गाड़ियों की पार्किंग की जगह है।
कोर्ट का अवलोकन
जस्टिस राजशेखर मंथा और अजय कुमार गुप्ता की डिवीजन बेंच ने पिछले शुक्रवार को कहा कि सोसाइटी का 16वाँ टॉवर बिना मौजूदा फ्लैट मालिकों की अनिवार्य सहमति के बनाया गया था, जो पश्चिम बंगाल अपार्टमेंट ओनरशिप एक्ट, 1972 का उल्लंघन है।
संशोधित योजना ने पश्चिम बंगाल प्रीमाइसेस डेवलपमेंट एक्ट, 1993 का भी उल्लंघन किया और साझा क्षेत्रों में मालिकों के अविभाजित हिस्से को कम कर दिया, जिससे संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत गारंटीशुदा संपत्ति अधिकारों का हनन हुआ।
कोर्ट ने कहा कि प्रमोटर, संशोधित सैंक्शन प्लान पर दस्तखत करने वाले इंजीनियर और न्यू टाउन कोलकाता डेवलपमेंट अथॉरिटी (NKDA) के अधिकारी और अन्य संबंधित लोग, इन सभी की जाँच की जाए और विभागीय व आपराधिक कार्रवाई राज्य सतर्कता आयोग द्वारा की जाए।
कोर्ट का आदेश
बेंच ने कहा, “जब अतिरिक्त ढाँचा मौजूदा 15 टॉवरों के फ्लैट मालिकों की सहमति के बिना बनाया गया हो, तो ध्वस्तीकरण के अलावा कोई विकल्प नहीं है। मूल सैंक्शन प्लान (2007) में केवल 15 टॉवर की अनुमति थी और उसी आधार पर प्रभावित फ्लैट मालिकों ने अपने फ्लैट खरीदे थे।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि NKDA अन्य कानूनों के तहत सहमति और स्वामित्व की शर्तों को दरकिनार कर संशोधित योजना को मंजूरी नहीं दे सकता। यह प्रमोटर की तरफ़ से तथ्यों को छिपाना और धोखाधड़ी है।
प्रमोटर के वकील अभ्रजीत मित्रा ने कोर्ट से स्टे (रोक) देने की गुज़ारिश की, लेकिन कोर्ट ने इनकार कर दिया।
प्रोजेक्ट का इतिहास
2007 में, केप्पल मैगस प्राइवेट लिमिटेड ने लगभग 15 टॉवरों वाला आवासीय प्रोजेक्ट लॉन्च किया था, हर टॉवर लगभग 23 मंज़िला और कुल 1,278 फ्लैट। 2014 में, यह प्रोजेक्ट एलिटा गार्डन विस्टा प्रोजेक्ट्स को बेच दिया गया।
2015 में, नए डेवलपर ने 16वें टॉवर और एक नए कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के लिए संशोधित योजना की मंज़ूरी ले ली।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “यह बुनियादी रूप से अन्यायपूर्ण और अवैध होगा कि 15 टॉवरों के फ्लैट मालिक अपने अविभाजित भूमि हिस्से से वंचित कर दिए जाएँ। उनके फ्लैट का स्क्वेयर फीट तो सुरक्षित रहा, लेकिन भूमि और खुले साझा क्षेत्रों में उनके हिस्से को घटा दिया गया।”
हाई कोर्ट के मुख्य निर्देश
16वें टॉवर के फ्लैट्स और कमर्शियल प्लाज़ा के खरीदारों को उनका पैसा 7% वार्षिक ब्याज सहित लौटाया जाए। प्रमोटर और मंज़ूरी देने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की जाए।
फ्लैट खरीदार और निवासी एक महीने के भीतर अपना सामान निकाल सकें। टॉवर दो महीने में ध्वस्त किया जाए, जिसका ख़र्च प्रमोटर और NKDA वहन करेंगे।