परिवार को संभालने और बच्चों को पढ़ाने के लिए टैक्सी और ऑटो चला रही हैं चेन्नई की महिलाएं

जब नलिनी को एक स्वयंसेवी संगठन और टैक्सी कंपनी द्वारा महिलाओं को मुफ्त ड्राइविंग प्रशिक्षण देने की जानकारी मिली, तो उनकी दोनों बेटियों ने उन्हें प्रोत्साहित किया।;

Update: 2025-05-20 10:05 GMT
वीरा पेंगल मुनेत्र संघम (VPMS) महिलाओं को सिर्फ ड्राइविंग ही नहीं, बल्कि गाड़ियों की मरम्मत करना भी सिखाता है। फोटो: प्रमिला कृष्णन

43 वर्षीय एम. नलिनी हमेशा एक चमचमाते सफेद सलवार-कुर्ते में दिखती हैं। यह सफेद पोशाक अब उनकी एक नई पहचान बन चुकी है एक टैक्सी ड्राइवर की। अगर दस साल पहले की बात करें, तो वह सिर्फ एक गृहिणी और दो स्कूली बच्चों की मां थीं। उनके कोमल हाथों ने केवल खाना बनाना, घर की सफाई करना और फूलों की माला बनाकर कुछ पैसे कमाना जाना था — ताकि बच्चों के लिए स्नैक्स खरीदे जा सकें। लेकिन जब परिवार बच्चों को अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ा सका, तो उन्होंने कुछ नया सीखने और कमाने का फैसला किया वो है ड्राइविंग, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था।

जब नलिनी को एक स्वयंसेवी संगठन और टैक्सी कंपनी द्वारा महिलाओं को मुफ्त ड्राइविंग प्रशिक्षण देने की जानकारी मिली, तो उनकी दोनों बेटियों ने उन्हें प्रोत्साहित किया। “दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार वालों ने मेरा मज़ाक उड़ाया। कुछ टिप्पणियाँ बहुत चुभीं। थायरॉइड की वजह से मेरा वजन बढ़ गया था, तो रिश्तेदारों ने कहा कि मैं कार में बैठ भी नहीं पाऊंगी। मैंने वैसी ही परीक्षा की घबराहट में ड्राइविंग टेस्ट पास किया जैसी मेरे बच्चों को होती है,” नलिनी याद करती हैं।

अब नलिनी अपने ड्राइविंग कौशल को और बेहतर करने और विदेश में नौकरी पाने के लिए प्रशिक्षण लेना चाहती हैं।

वीरा पेंगल मुनेत्र संघम (VPMS) जो परिवहन सेवा क्षेत्र की महिलाओं का एक संघ ने नलिनी जैसी सैकड़ों महिला ड्राइवरों को एकजुट किया है। वे टैक्सी, ऑटो और बाइक चलाती हैं। वे अपने अनुभव साझा करती हैं, गाड़ियों और नियमों के बारे में जानती हैं, मरम्मत सीखती हैं और ज़रूरत पर कानूनी मदद भी लेती हैं।

नलिनी कहती हैं,"मैंने विदेश में नौकरी के अवसरों के बारे में संघ से ही जाना। यह एक बहनों का नेटवर्क है। हम साथ मिलते हैं, जश्न मनाते हैं, दुख बाँटते हैं और एक-दूसरे को नैतिक समर्थन देते हैं।" 39 वर्षीय ऑटो ड्राइवर ए. मोहनासुंदरी, जो पहले कई स्वयंसेवी संगठनों से जुड़ी रहीं और 2020 में कोविड महामारी के दौरान ज़रूरतमंद परिवारों को राशन देकर उनकी मदद की, अपने खर्च ड्राइविंग के जरिए संभाल पाईं। उन्होंने तय किया कि वे नलिनी जैसी और महिलाओं को परिवहन क्षेत्र में लाकर उन्हें जीविका के अवसर देंगी और साथ ही उन्हें स्वास्थ्य बीमा और भविष्य निधि जैसे लाभ दिलाने के लिए संगठित करेंगी।

"यह संघ पिछले पांच वर्षों से सक्रिय है और इसमें लगभग 500 सदस्य हैं। चेन्नई में जो महिलाएं बाइक, ऑटो या टैक्सी चलाती हैं और प्राइवेट राइड-शेयरिंग ऐप्स के माध्यम से काम करती हैं, वे इसकी सदस्य हैं। ये ऐप्स तो महिलाओं को कमाई का मंच देते हैं, लेकिन बीमा, स्वास्थ्य जांच या सुरक्षा उपकरण नहीं देते। मैंने तय किया कि ऐसे मुद्दों पर आवाज़ उठाऊंगी,” मोहनासुंदरी कहती हैं।

स्वयंसेवी संगठनों की मदद से, मोहनासुंदरी ने एक निजी बीमा कंपनी को महिला ड्राइवरों के लिए सब्सिडी वाले प्रीमियम देने को राज़ी कर लिया। मोहनासुंदरी बताती हैं कि, "हमारे संघ की 70% ड्राइवर महिलाएं सिंगल मदर्स हैं। उन्हें पति या ससुराल से कोई मदद नहीं मिलती। कुछ को तो बच्चों के साथ आधी रात में घर से निकाला गया। ऐसे में हमारा संघ उन्हें इमरजेंसी फंड, राशन किट और ब्याज रहित छोटे ऋण देता है। हम महिलाओं को यह भी सिखाते हैं कि संकट में कानूनी मदद कैसे लें।”

चेन्नई की सड़कों पर पीले-काले ऑटो आम हैं, लेकिन महिला ड्राइवरों की संख्या अभी भी कम है। अधिकतर पुरुष ड्राइवर तो यूनियन में सदस्यता लेकर तय 'ऑटो स्टैंड' से सवारी लेते हैं, लेकिन महिलाओं को ऐसा प्रोत्साहन नहीं मिलता। VPMS के सक्रिय होने से अब महिलाएं परिवहन क्षेत्र में बदलाव ला रही हैं।

VPMS सदस्य हर दो हफ्तों में मिलती हैं, और हर महीने की बैठक भी होती है। वे सोशल मीडिया पर जागरूकता वीडियो साझा करती हैं।

वल्लि, जो अपनी बाइक से स्विगी पर डिलीवरी करती हैं, सुनिश्चित करती हैं कि उनकी बाइक हमेशा साफ और ठीक स्थिति में हो। वह कहती हैं, “मैं हर पैकेज समय पर देना चाहती हूं। हर दिन लगभग 22 डिलीवरी करती हूं। कुछ ग्राहक खुश होकर मुझे प्रोत्साहित भी करते हैं। अब मैं ऑटो चलाना सीख रही हूं ताकि कमाई बढ़ा सकूं।”

संघ में जुड़ने के बाद वल्ली ने ट्रैफिक नियमों और वाहन मरम्मत को लेकर अपनी शंकाओं को दूर किया। “हमारे संघ के सदस्य बहुत मददगार हैं। पहले पूछने में झिझकती थी, अब आत्मविश्वास आ गया है,” वह मुस्कराते हुए कहती हैं।

24 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाएं बुकिंग शेयर करने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल करती हैं। वे ऐप-आधारित सेवा जैसी कार्यप्रणाली अपनाती हैं, क्योंकि सभी को हर समय राइड-शेयरिंग ऐप्स से बुकिंग नहीं मिलती।

“अगर कोई ड्राइवर अचानक नहीं आ सकती, तो दूसरी तुरंत भेज दी जाती है। ग्राहक हमारी समय पर और समर्पित सेवा से खुश हैं। कई माता-पिता ने बताया है कि जब उनकी संतान को महिला ड्राइवर लेती है, तो वे अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं,” मोहनासुंदरी बताती हैं।

इनमें से कई ड्राइवरों ने उस समय ड्राइविंग सीखी जब वे स्कूल की फीस या परिवहन का खर्च नहीं उठा सकती थीं। उन्होंने बताया कि ड्राइविंग से उन्हें सम्मानजनक आमदनी और आत्मनिर्भरता मिली।

विजयलक्ष्मी, जो पिछले छह महीने से ऑटो चला रही हैं, बताती हैं, “मैं अपनी कमाई खुद करना चाहती थी, पति पर निर्भर नहीं रहना चाहती थी। ऑफिस में काम करती तो समय का नियंत्रण नहीं होता, लेकिन ऑटो चलाकर मैं खुद का टाइम तय कर सकती हूं। मेरे बच्चे मेरी प्राथमिकता हैं। उन्हें स्कूल समय पर छोड़ना-पिक करना ज़रूरी है।”

एक महिला ड्राइवर हर महीने कम से कम 20,000 से 25,000 रुपये कमा सकती है। वे अपने बच्चों को बिना अतिरिक्त खर्च के स्कूल छोड़ सकती हैं। जब वे किसी कंपनी से तय अनुबंध पा लेती हैं, तो आर्थिक बोझ हल्का हो जाता है। कुछ कंपनियों ने अब महिला टैक्सी ड्राइवरों को महिलाओं की सुरक्षा के लिए नियुक्त करना शुरू किया है।

ए. लीलारानी (47) की कहानी प्रेरणादायक है। उन्होंने अपनी बेटी को चेन्नई के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल में पढ़ाने का सपना पूरा किया। “मेरी बेटी उसी स्कूल में पढ़ती है जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता पढ़ी थीं। मैं अनपढ़ हूं, लेकिन मैंने तय किया कि मेरी बेटी को अच्छी शिक्षा मिलेगी। मैंने स्कूल से वादा किया कि फीस समय पर दूंगी और मेहनत से हर रुपया बचाकर वह वादा निभाया। आज मुझे गर्व है।”

लीलारानी कहती हैं, “अब वो समय नहीं रहा जब महिलाएं पुरुषों पर निर्भर थीं। आज हर सड़क पर मांएं खुद बाइक या कार चलाकर अपने बच्चों को स्कूल ले जाती हैं। ड्राइविंग सीखने से आप आत्मनिर्भर बनती हैं। आप कहीं भी जा सकती हैं। मेरा ऑटो मेरा दोस्त, शुभचिंतक और प्यार है।”

2024 में VPMS टीम ने IIM कोझिकोड में एक बिजनेस मॉडल प्रतियोगिता में भाग लिया। उन्होंने संघ सदस्यों के लिए एक सहकारी संस्था बनाने की योजना प्रस्तुत की, जिसे प्रतियोगिता का सर्वश्रेष्ठ मॉडल चुना गया। “हमें बहुत आश्चर्य हुआ और आत्मविश्वास भी मिला। कई नई महिलाएं जुड़ी हैं। अब हमारी सहकारी संस्था बड़े स्तर पर शुरू होने वाली है,” मोहनासुंदरी ने कहा।

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