टिकट बेचने से लेकर साजिश तक, कांग्रेस समीक्षा बैठक में ‘पॉलिटिकल पोस्टमार्टम’

बिहार हार की समीक्षा बैठक में कांग्रेस नेताओं ने टिकट बिक्री, सबोटाज, कमजोर प्रबंधन और गुटबाज़ी जैसे गंभीर आरोप लगाए, लेकिन हाईकमान ने हार का कारण सिर्फ चुनावी धांधली बताया।

Update: 2025-11-28 07:41 GMT

बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार की समीक्षा बैठक गुरुवार (27 नवंबर) को पार्टी हाईकमान की मौजूदगी में हुई। बैठक में टिकट बेचने के आरोप, चुनाव प्रबंधन की नाकामी और आंतरिक गुटबाजी जैसे मुद्दे हावी रहे। कई नेताओं ने पार्टी की हार पर खुलकर नाराज़गी जताई और ज़िम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की।

लेकिन करीब चार घंटे चली इस तूफ़ानी बैठक का नतीजा यह रहा कि हार की असली वजहों पर चर्चा सीमित रही और शीर्ष नेतृत्व ने ज़िम्मेदारी तय करने के बजाय पूरी पराजय को चुनावी धांधली का परिणाम बताकर मामला खत्म कर दिया।

हार का ठीकरा ‘चुनावी इंजीनियरिंग’ पर

बैठक की अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने की। बिहार के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, प्रदेश प्रमुख राजेश राम और पूर्व विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने शुरुआत से ही कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की वजह SIR (Special Intensive Revision) के दौरान बड़े पैमाने पर मतदाता नाम हटाए जाने, वोटरों की संदिग्ध जोड़–घटाव, और चुनाव आयोग पर केंद्र सरकार के प्रभाव को बताया।

इन नेताओं ने दावा किया कि चुनाव परिणाम “पहले से तय” थे और NDA गठबंधन ने 243 में से 202 सीटें इसी इलेक्शन इंजीनियरिंग की वजह से हासिल कर लीं।कांग्रेस को 61 सीटों में से सिर्फ 6 पर जीत मिली, जबकि सहयोगी राजद को 25 सीटें ही मिलीं। पार्टी नेतृत्व ने इन नतीजों का दोष अपने चुनावी ढांचे पर न डालकर केवल बाहरी वजहों पर मढ़ दिया।

टिकट बेचने और साजिश की शिकायतें दबाईं गईं

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, ज्यादातर 61 उम्मीदवारों ने खरगे और राहुल गांधी के सामने साफ तौर पर कहा कि टिकटों की खुली बोली लगी,कई बाहरी लोगों को टिकट दे दिए गए, सीट बंटवारे में भ्रम रहा, चुनाव प्रबंधन बेहद कमजोर रहा,पार्टी नेताओं ने अंदर से साजिश किया। लेकिन हाईकमान ने समीक्षा बैठक के आधिकारिक बयान में इन सभी आरोपों को बेहद कम महत्व दिया। निर्देश था कि पराजय का कारण केवल वोट चोरी को बताया जाए।

'यह जनादेश नहीं, प्रायोजित परिणाम था'

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने समीक्षा बैठक के बाद कहा बिहार का चुनाव एक वास्तविक जनादेश नहीं था, बल्कि एक प्रायोजित और गढ़ा गया परिणाम था। उन्होंने आरोप लगाया कि SIR में बड़े पैमाने पर टार्गेटेड वोटर deletion हुआ। मतदान केंद्रों पर मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (MMRY) के नाम पर नकद बांटे गए। कई सीटों पर एक जैसी जीत/हार की मार्जिन दिखी, जिससे धांधली का पैटर्न साफ दिखता है। लेकिन उम्मीदवारों का कहना है कि पार्टी ने अपने अंदरूनी दोषों को छिपाने के लिए इन मुद्दों को बढ़ाकर पेश किया।

'टिकट बेचे गए, गलत लोगों को उतारा गया'

अररिया से विजयी कांग्रेस विधायक अबिदुर रहमान ने मीडिया से कहा “मैंने राहुल गांधी से साफ कहा कुछ लोगों को टिकट बेच दिए गए। इससे पार्टी की छवि कई सीटों पर खराब हुई। सीमांचल क्षेत्र के तीन में से एक विजेता रहमान ने यह भी बताया कि कई सीटें इसलिए हार गए क्योंकि अपने ही नेताओं ने नुकसान किया। वोटरों को AIMIM (पतंग) और JDU (तीर) को वोट देने के लिए उकसाया गया।

पप्पू यादव की भूमिका पर भी तीखी नाराज़गी

कई उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि पप्पू यादव ने टिकट वितरण में अनुचित दखल दिया। उनकी सिफारिश पर ऐसे बाहरी लोगों को टिकट मिला जिनका क्षेत्र में कोई आधार नहीं था। जहां उसके समर्थकों को टिकट नहीं मिला, वहां उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवारों को चुनाव में नुकसान पहुंचाया। बैठक से पहले पप्पू यादव के करीबी और वैशाली उम्मीदवार इंजीनियर संजीव के बीच तीखी बहस और धमकी–भरे विवाद की भी खबर सामने आई, जिसने वातावरण और तनावपूर्ण बना दिया।

'टिकट बेचे, वरिष्ठों का अपमान किया'

सूत्रों के अनुसार, कटिहार सांसद तारिक अनवर ने भी अल्लावरु–राम–खान की भूमिका पर कड़ी नाराज़गी जताते हुए कहा कि सीट बंटवारा गलत तरीके से किया गया। वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को अपमानित किया गया। राजद और तेजस्वी यादव के साथ रिश्ते खराब किए गए।कई सीटें जानबूझकर गलत उम्मीदवारों को देकर बर्बाद की गईं

कांग्रेस ने जवाबदेही तय करने का मौका गंवाया समीक्षा बैठक में उम्मीदवारों को बोलने का पूरा मौका दिया गया, लेकिन अंततः जिम्मेदार नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं। नीतिगत सुधार पर कोई ठोस फैसला नहीं नजर आया। 

आंतरिक भ्रष्टाचार/अव्यवस्था पर चुप्पी

पार्टी ने हार के वास्तविक कारणों को संबोधित करने के बजाय परिणामों को प्रबंधित चुनाव का नतीजा बताकर खुद को आरामदेह स्थिति में रखा।एक पूर्व विधायक की बात तस्वीर साफ करती है। हमने खुलकर सब कहा, लेकिन हाईकमान जवाबदेही तय करने को तैयार नहीं है।नतीजा बेहद निराशाजनक है।

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