दिल्ली: प्रदूषण नियंत्रण की दिल्ली सरकार की नई योजना में एकीकृत दृष्टिकोण की कमी – विशेषज्ञ
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने योजना के तहत यह भी घोषणा की कि प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUCC) केंद्रों का हर छह महीने में ऑडिट किया जाएगा ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।;
दिल्ली सरकार द्वारा इस महीने घोषित वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना को विशेषज्ञों ने आशाजनक तो बताया है, लेकिन साथ ही कहा है कि इसमें एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण की कमी है।
CSE (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट) की शांभवी शुक्ला ने कहा, “इस नई योजना में कई अच्छी बातें हैं, लेकिन प्रदूषण से निपटने के लिए कहीं अधिक बड़े प्रयास की जरूरत है।”
दिल्ली में प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में वाहनों से निकलने वाला धुआँ भी है। इसे पहचानते हुए, भाजपा की दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि 1 नवंबर 2025 के बाद केवल BS-VI वाहन, CNG वाहन और इलेक्ट्रिक वाहन ही केंद्रशासित प्रदेश में प्रवेश कर सकेंगे।
यह नियम दिल्ली में पहले से पंजीकृत निजी वाहनों पर लागू नहीं होगा, बल्कि कॉमर्शियल वाहनों (मध्यम, भारी और मालवाहक) पर लागू होगा।
लेकिन शुक्ला ने चेताया, “जब तक एकीकृत मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम नहीं होता, और इसे सिर्फ दिल्ली तक सीमित रखा जाता है, तब तक यह कारगर नहीं हो सकता। दिल्ली-गुरुग्राम-फरीदाबाद-नोएडा जैसे इलाकों के लिए एक साझा, समन्वित ट्रांसपोर्ट प्लान ज़रूरी है।”
तकनीक की कमी पर सवाल
शुक्ला के अनुसार, इस योजना में तकनीकी हस्तक्षेप की भी कमी है।
उन्होंने कहा, “इस योजना में रिमोट सेंसिंग तकनीक जैसे एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम शामिल नहीं है, जिससे वास्तविक समय में भारी प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की पहचान हो सकती है। पायलट स्टडीज़ से यह तकनीक कारगर साबित हुई है और यह सड़क पर प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।”
PUCC केंद्रों का ऑडिट
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने योजना के तहत यह भी घोषणा की कि प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUCC) केंद्रों का हर छह महीने में ऑडिट किया जाएगा ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।
शुक्ला ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा, “PUCC प्रणाली को नियमित ऑडिट और नियमों में बदलाव से मज़बूत किया जाना प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक है।”
इलेक्ट्रिक वाहनों पर ज़ोर
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि, 2027 तक 2000 इलेक्ट्रिक बसें राजधानी की सड़कों पर दौड़ेंगी।
18,000 चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे।
2299 ई-ऑटो दिल्ली मेट्रो से जोड़े जाएंगे।
शुक्ला के अनुसार, प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि Chemical Transport Models (CTMs) का उपयोग नीति-निर्धारण में हो, और साथ ही जनता के लिए एक सार्वजनिक सूचना तंत्र और स्वास्थ्य सलाह प्रणाली भी बनाई जाए।
AQI और पराली जलाने का मुद्दा
शुक्ला ने कहा कि, “पराली जलाना मौसमी समस्या है, लेकिन साल भर सक्रिय रहने वाले प्रदूषण स्रोतों पर समन्वित प्रयास ज़रूरी हैं।
सिर्फ दिल्ली तक समाधान सीमित रखने से बात नहीं बनेगी। पार-राज्यीय प्रदूषण (Transboundary Pollution) को भी गंभीरता से लेना होगा।”
गौरतलब है कि सर्दियों के महीनों में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर तक गिर जाता है।
सरकार के नवाचार
दिल्ली सरकार ने कई अन्य प्रयोगात्मक कदम भी उठाए हैं, जैसे, 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट पर इलेक्ट्रिक पोल्स पर मिस्ट स्प्रेयर लगाना। 3000 वर्गमीटर से बड़े व्यावसायिक भवनों पर एंटी-स्मॉग गन की अनिवार्यता।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि दिल्ली में जल्द ही क्लाउड सीडिंग के ज़रिए पहली कृत्रिम बारिश कराई जाएगी। इसके लिए IIT कानपुर के साथ एक MoU भी साइन हुआ है।
लेकिन शुक्ला ने चेताया कि “यह भी एक अस्थायी समाधान है क्योंकि इसके लिए सटीक मौसम और बादलों की उपस्थिति जरूरी होती है।”
शुक्ला ने कहा: “दिल्ली को अपने प्रतिक्रियात्मक उपायों से आगे बढ़कर, एक समग्र, एकीकृत और प्रभावी क्रियान्वयन वाली नीति अपनानी होगी।
केवल अस्थायी इलाज (band-aid solutions) से दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर की समस्या हल नहीं हो सकती।”