दिल्ली में जल्द दौड़ेंगी मोहल्ला बसें,पिछले फैसले पर BJP सरकार की मुहर
दिल्ली में जो फैसला आम आदमी पार्टी की सरकार ने लिया था, उसे अब बीजेपी की रेखा गुप्ता सरकार जमीन पर उतारने जा रही है। मोहल्ला बस सेवा जल्द शुरू करने की तैयारी है।;
दिल्ली में बीजेपी ने पिछली आम आदमी पार्टी सरकार के मोहल्ला क्लीनिक पर तो बहुत सवाल उठाए थे, लेकिन लगता है कि मोहल्ला बसों वाला उनका आइडिया बीजेपी को भा गया है। दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने मोहल्ला बस सेवा शुरू करने को मंजूरी दे दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स में परिवहन विभाग के हवाले से बताया गया है कि पिछले आठ महीने से बस डिपो में खड़ी 280 नौ मीटर लंबी मिनी इलेक्ट्रिक बसें अब जल्द ही सड़कों पर उतरेंगी।
क्या है मोहल्ला बस सेवा?
यह योजना पहले आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा दिल्ली के उन इलाकों में प्रस्तावित की गई थी, जहाँ सड़कें संकरी हैं और डीटीसी या क्लस्टर बसें या तो पहुंच नहीं पातीं या फिर उनकी सेवा सीमित रहती है।
मोहल्ला बसों का पहला ट्रायल रन पूर्वी दिल्ली में हुआ था। ये ट्रायल हुआ था प्रधान एन्क्लेव से मजलिस पार्क मेट्रो स्टेशन और अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन से मयूर विहार फेज-III पेपर मार्केट तक। इसके बाद, अगस्त 2024 में दक्षिण दिल्ली में दो और रूटों पर ट्रायल हुआ, जिसमें एक था कैलाश कॉलोनी मेट्रो से पीएनबी गीतांजलि और दूसरा, लोक
कल्याण मार्ग मेट्रो से वसंत विहार तक।
कैसे डिजाइन की गई हैं बसें?
मोहल्ला बसें छोटी बसें हैं। इनकी यात्री क्षमता 23 सीटों की है और इन्हें भीड़भाड़ वाले इलाकों में आसानी से चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आम आदमी पार्टी की सरकार के समय तय किया गया था कि इन बसों में 25 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी, जिन्हें सामान्य रूट्स की तरह यहां भी निःशुल्क यात्रा की सुविधा मिलेगी।
कितनी बसें खरीदी गईं?
आखिरी मील तक कनेक्टिविटी को मजबूत करने के मकसद से दिल्ली परिवहन विभाग ने कुल 1,900 बारह मीटर लंबी ई-बसों और 1,040 नौ मीटर लंबी मिनी ई-बसों की खरीद के लिए टेंडर जारी किए थे।
इनमें से कई बसें दिल्ली पहुंच चुकी हैं; जहाँ 1,900 में से 400 बड़ी ई-बसें अब भी शामिल की जानी बाकी हैं, वहीं मिनी ई-बसों में से 280 अब मोहल्ला बसों के रूप में सेवा देने को तैयार हैं।
मेक इन इंडिया बसें
इन बसों की खास बात ये है कि ये मेक इन इंडिया बसें हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में परिवहन विभाग के अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि “निर्माताओं को नियमों के अनुसार स्वदेशी अनुपालन प्रमाणपत्र जमा करना होता है, जिससे यह सुनिश्चित हो कि बसों का निर्माण घरेलू या 'मेक इन इंडिया' उत्पादों से हुआ है। लेकिन शुरुआत में यह प्रमाणपत्र न मिलने के कारण सरकार ने बसों के संचालन की अनुमति नहीं दी थी।”
अब कुछ कंपनियों ने आवश्यक प्रमाणपत्र सौंप दिए हैं और शेष बसों के लिए अगले छह महीनों में प्रमाणपत्र देने का शपथ-पत्र भी जमा किया है।