दिल्ली की बसों में अंधेरे के बाद 77 फीसदी महिलाओं करती हैं असुरक्षित महसूस, रिपोर्ट में खुलासा

एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 77 फीसदी से अधिक महिलाएं अंधेरे के बाद दिल्ली की बसों में यात्रा करते समय असुरक्षित महसूस करती हैं.;

Update: 2024-10-31 02:27 GMT

DTC pink ticket: दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए काफी काम किया है. खासकर बसों के बेड़े में बढ़ोतरी की है और महिलाओं के बसों का सफर मुफ्त कर दिया है. आज दिल्ली की महिलाएं बसों में मुफ्त सफर का आनंद ले पा रही हैं. हालांकि, इसके बावजूद एक दूसरा पहलू भी है कि दिल्ली की अधिकतर महिलाएं रात को बसों में सफर करने में असुरक्षित महसूस करती हैं. इसको लेकर एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 77 फीसदी से अधिक महिलाएं अंधेरे के बाद दिल्ली की बसों में यात्रा करते समय असुरक्षित महसूस करती हैं. ये हालात तब हैं, जब दिल्ली सरकार की किराया-मुक्त बस यात्रा योजना ने महिलाओं को जारी किए गए 100 करोड़ 'पिंक' टिकटों के मील के पत्थर को पार कर लिया है.

गैर-सरकारी संगठन ग्रीनपीस इंडिया ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट 'राइडिंग द जस्टिस रूट' में कहा है कि सर्वेक्षण में शामिल 75 प्रतिशत महिलाओं को 'पिंक टिकट' योजना से महत्वपूर्ण बचत हुई है और कई महिलाओं ने इस धनराशि को घरेलू जरूरतों, आपात स्थितियों और स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च किया है. इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 25 प्रतिशत महिलाओं ने सार्वजनिक बसों का उपयोग बढ़ा दिया है और जो महिलाएं पहले बसों से बचती थीं, वे अक्टूबर 2019 में योजना के शुभारंभ के बाद से नियमित रूप से बसों में सफर करने लगी हैं.

हालांकि, सुरक्षा संबंधी समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं और 77 प्रतिशत महिलाएं खराब रोशनी और बसों के अनियमित टाइम- टेबल के कारण अंधेरे के बाद बसों में असुरक्षित महसूस करती हैं. इसमें कहा गया है कि कई महिलाओं ने उत्पीड़न की घटनाओं की भी रिपोर्ट की है. खासकर भीड़भाड़ वाली बसों में.

'पिंक टिकट' योजना के तहत किसी भी महिला को दिल्ली की सार्वजनिक बसों में यात्रा करने के लिए भुगतान नहीं करना पड़ता है. लेकिन अगर महिलाएं चाहें तो उनके पास टिकट खरीदने का विकल्प होता है. ग्रीनपीस इंडिया के अभियानकर्ता आकिज फारूक ने कहा कि इस योजना ने दिल्ली में महिलाओं के लिए सार्वजनिक परिवहन का रास्ता खोल दिया है.

उन्होंने कहा कि लेकिन इसे वास्तव में परिवर्तनकारी बनाने के लिए बेड़े का विस्तार करना होगा, सुरक्षा बढ़ानी होगी और सार्वजनिक परिवहन को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए अच्छी तरह से जुड़ी सेवाएं सुनिश्चित करनी होंगी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 100 करोड़ 'पिंक' टिकटों के मील के पत्थर के साथ, इस योजना ने न केवल महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता का समर्थन किया है, बल्कि निजी वाहनों की तुलना में सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहित करके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में भी योगदान दिया है.

ग्रीनपीस इंडिया ने देश भर में महिलाओं और ट्रांसजेंडर लोगों के लिए किराया-मुक्त सार्वजनिक परिवहन को अपनाने और बुनियादी ढांचे में सुधार करने का आह्वान किया, जिससे कि देश भर में सुरक्षित और अधिक टिकाऊ शहर बनाए जा सकें.

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