2028 तक कूड़े के पहाड़ों से आजादी,दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने दी जानकारी
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कूड़े का पहाड़ बड़ा मुद्दा था। इस विषय पर पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि 2028 तक इस बड़ी समस्या से आजादी मिल जाएगी।;
दिल्ली को स्वच्छ, स्वस्थ और रहने योग्य बनाने के अभियान के तहत दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने हाल ही में ओखला लैंडफिल साइट का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने वहां चल रही बायो-रिमेडिएशन और बायो-माइनिंग प्रक्रियाओं की समीक्षा की और दावा किया कि राजधानी में मौजूद कूड़े के विशाल पहाड़ों को साल 2028 तक पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।
निरीक्षण के दौरान सिरसा के साथ दिल्ली के मेयर राजा इकबाल सिंह, सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी और दिल्ली सरकार तथा नगर निगम के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
ओखला लैंडफिल: अब तक की प्रगति
मंत्री सिरसा ने बताया कि 62 एकड़ में फैले ओखला लैंडफिल की ऊंचाई पहले जहां 60 मीटर तक थी, अब घटकर 20 मीटर रह गई है। अब तक 30 एकड़ से अधिक क्षेत्र को कचरे से मुक्त कर समतल किया जा चुका है। दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि दिसंबर 2025 तक 30 लाख मीट्रिक टन कचरा हटाया जाए और 2028 तक राजधानी से सभी लैंडफिल साइटों को समाप्त कर दिया जाए।
अब तक 56 लाख मीट्रिक टन कचरे की साइंटिफिक बायो-माइनिंग और प्रोसेसिंग की जा चुकी है, जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि परियोजना तेज़ी से आगे बढ़ रही है।
दूसरे चरण में क्या हो रहा है?
प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में 6.55 लाख मीट्रिक टन कचरे की प्रोसेसिंग कुछ ही महीनों में पूरी की गई है। इस समय 20 लाख मीट्रिक टन कचरे की प्रोसेसिंग जारी है, जिसे आने वाले महीनों में 30 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ाया जाएगा। इस कार्य को दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है, हालांकि सरकार इसे अक्टूबर 2025 तक ही हासिल करने की कोशिश कर रही है।
कैसे होती है बायो-माइनिंग?
लैंडफिल साइट पर बायो-माइनिंग तकनीक के जरिए पुराने कचरे को अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया जाता है जैसे इनर्ट मैटेरियल, मिट्टी, रिसाइक्लेबल सामग्री और RDF (Refuse-Derived Fuel)। RDF का उपयोग सीमेंट और पेपर उद्योग में वैकल्पिक ईंधन के रूप में किया जा रहा है, जबकि अन्य सामग्री सड़क निर्माण और साइट लेवलिंग जैसे कार्यों में इस्तेमाल हो रही है।
सिरसा ने कहा कि दिल्ली सरकार की प्राथमिकता न केवल स्वच्छ हवा और जल उपलब्ध कराना है, बल्कि कचरे के इन पहाड़ों से राजधानी को मुक्त कराना भी है।
‘विकसित दिल्ली’ मिशन का अहम हिस्सा
पर्यावरण मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह पूरी परियोजना ‘विकसित दिल्ली’ मिशन का अहम स्तंभ है। इसका उद्देश्य केवल शहरी भूमि को दोबारा उपयोग योग्य बनाना ही नहीं, बल्कि लैंडफिल के कारण लगने वाली आग की घटनाओं और भूजल प्रदूषण को भी रोकना है। बरसात के दौरान कूड़े में रिसने वाला पानी ज़मीन में जाकर भूजल को दूषित करता है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। कूड़े के पहाड़ों को हटाने से इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
दिल्ली सरकार का यह प्रयास न केवल पर्यावरणीय संकट को हल करने की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, सुरक्षित और टिकाऊ राजधानी के निर्माण की दिशा में भी निर्णायक साबित हो सकता है।