मई में मानसूनी अंदाज़ से चौंकी दिल्ली, क्या है इसके पीछे की खास वजह?

दिल्ली- एनसीआर में बार बार मौसम का मिजाज क्यों उखड़ जा रहा है। तेज तूफान-बारिश के पीछे की वजह क्या है। क्या यह घटना सामान्य है या किसी बड़े खतरे की तरफ इशारा है।;

Update: 2025-05-25 08:00 GMT
मई के महीने में पिछले सात दिन में दो दफा हवाओं की रफ्तार 70 किमी प्रति घंटे से अधिक रही है।

शुक्रवार और शनिवार को दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में अचानक मौसम का मिज़ाज बदल गया। गर्मी से बेहाल राजधानी को तेज़ बारिश और तूफानी हवाओं ने राहत दी, लेकिन इसके साथ ही शहर के कई हिस्सों में पेड़ उखड़ गए, यातायात बाधित हुआ और कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई। मई के महीने में इस तरह की बारिश और आंधी लोगों के लिए अप्रत्याशित रही।

क्या है यह अचानक आया तूफान?

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यह मौसमीय घटना ‘कालबैसाखी’ हो सकती है, जिसे अंग्रेजी में Nor’wester कहा जाता है। आमतौर पर कालबैसाखी पूर्वी भारत के राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, झारखंड और बिहार  में अप्रैल और मई के दौरान आती है। यह एक प्री-मॉनसून तूफान होता है, जो उत्तर-पश्चिम दिशा से उठकर पूर्व की ओर बढ़ता है।

‘कालबैसाखी’ शब्द बंगाली भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है "बैसाख महीने (अप्रैल-मई) में आने वाली आपदा"। इसका प्रभाव तेज़ हवाओं, बिजली कड़कने और अचानक भारी बारिश के रूप में देखा जाता है। हालांकि, अब इसका असर देश के पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों तक भी पहुंचने लगा है।

दिल्ली-एनसीआर में बारिश के पीछे की वजहें

रविवार को दिल्ली-एनसीआर में गरज और तेज हवाओं के साथ हुई बारिश एक सामान्य मानसूनी झोंके की तरह नहीं थी, बल्कि इसके पीछे कई कारक थे। मौसमी गतिविधियों पर करीब से नजर रखने वाले स्काई मेट के महेश पलावत तीन खास वजहों को जिम्मेदार बताते हैं। 

पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance)

भूमध्य सागर से उत्पन्न होने वाले ये कम दबाव के सिस्टम अक्सर उत्तर भारत में अप्रत्याशित बारिश लेकर आते हैं। जब ये सिस्टम गर्मी और नमी से मिलते हैं, तो बिजली के साथ भारी बारिश और तूफानी हवाएं पैदा होती हैं।

अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी

इन समुद्री क्षेत्रों से आने वाली नमी जब पश्चिमी विक्षोभ से मिलती है, तो यह सिस्टम और ज़्यादा सक्रिय हो जाता है, जिससे दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में प्री-मॉनसून की तर्ज़ पर तेज बारिश देखने को मिलती है।

स्थानीय प्रभाव

मई के अंत तक गर्मी चरम पर होती है, जिससे ज़मीन की सतह गर्म होकर ऊपर की ओर हवा को धकेलती है। यह उष्मा जब नमी के साथ मिलती है, तो स्थानीय स्तर पर आंधी और बारिश को जन्म देती है।

मौसम में बदलाव का संकेत

इस तरह के बेमौसम तूफानों और बारिश को केवल एक बार की घटना न मानकर एक जलवायु संकेत के रूप में देखना ज़रूरी है। जिस तरह पूर्वी भारत की विशिष्ट घटना कालबैसाखी अब उत्तर-पश्चिम भारत में भी प्रभाव छोड़ रही है, वह यह बताता है कि मौसम की पारंपरिक सीमाएं बदल रही हैं।

दिल्ली में मई की भीषण गर्मी के बीच आई इस बारिश ने जहां एक ओर राहत दी, वहीं दूसरी ओर यह मौसमीय असंतुलन और बदलते जलवायु संकेतों की ओर भी इशारा करती है। वैज्ञानिकों और मौसम विभाग को अब ऐसे प्री-मॉनसून सिस्टमों पर और बारीकी से नज़र रखनी होगी ताकि समय पर चेतावनी दी जा सके और नुकसान से बचा जा सके।

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