अजित पवार के बेटे पार्थ से जुड़े पुणे भूमि सौदे की होगी जांच, सीएम फडणवीस ने दिए आदेश

विवाद कोरेगांव पार्क इलाके में 40 एकड़ भूमि की बिक्री से जुड़ा है। विपक्ष का आरोप है कि 1,800 करोड़ रुपये की जमीन को पार्थ पवार की कंपनी को मात्र 300 करोड़ रुपये में बेचा गया।

Update: 2025-11-07 01:08 GMT
पार्थ पवार (दाएं) की साझेदारी वाली कंपनी के लिए 21 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी माफ की गई थी

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को पुणे में हुई एक भूमि बिक्री में अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित की है। यह सौदा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी एक कंपनी से संबंधित बताया जा रहा है।

हालांकि अजित पवार ने इस पूरे मामले में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया है।

जांच का दायित्व राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खर्गे को सौंपा गया है। इसी बीच पुणे जिला कलेक्टर ने भी कहा है कि इस जमीन की सेल डीड रद्द की जाएगी।

यह सौदा पुणे शहर के मुंधवा क्षेत्र में स्थित 40 एकड़ जमीन से जुड़ा है, जो कोरेगांव पार्क के पास का महंगा इलाका है। बताया जा रहा है कि यह जमीन लगभग 1,800 करोड़ रुपये की थी, लेकिन इसे अमेदीया एंटरप्राइजेज एलएलपी (Amedea Enterprises LLP) नामक कंपनी को मात्र 300 करोड़ रुपये में बेच दिया गया।

इस कंपनी में पार्थ पवार साझेदार हैं। इसके अलावा, 21 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी माफ की गई थी।

फडणवीस का बयान

नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा, “मैंने इस पूरे मामले की जानकारी मांगी है। राजस्व विभाग और पंजीकरण महानिरीक्षक (IGR) से रिकार्ड जमा करने को कहा गया है। मैंने उचित जांच के निर्देश भी दिए हैं। प्रारंभिक स्तर पर गंभीर बातें सामने आ रही हैं, इसलिए पूरी जानकारी मिलने के बाद ही बोलूंगा।”

उन्होंने कहा,“मुझे नहीं लगता कि उपमुख्यमंत्री भी ऐसे सौदे का समर्थन करेंगे। हमारी सरकार में यह एकमत है कि जहां भी अनियमितता होगी, कार्रवाई होगी। पहले हम जांच करेंगे कि अनियमितता हुई या नहीं, फिर उसी के अनुसार कदम उठाएंगे।”

भूमि सौदा रद्द करने की प्रक्रिया

पुणे जिला कलेक्टर जितेंद्र डूडी ने कहा कि जमीन का कब्जा नहीं हुआ है, लेकिन बिक्री रजिस्टर हो चुकी है।

“मैंने IGR को आदेश दिया है कि इस सौदे को रद्द किया जाए,” उन्होंने कहा और बताया कि तहसीलदार सूर्यकांत येवले को निलंबित कर दिया गया है।

कलेक्टर ने बताया कि संभव है कि खरीदारों को यह जानकारी नहीं थी कि जमीन ‘महार वतन’ भूमि है। “सेल डीड में इसे कृषि भूमि बताया गया है। जमीन अभी भी हमारे कब्जे में है,” उन्होंने कहा और जोड़ा कि इस सौदे को पंजीकृत करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

कलेक्टर के अनुसार,“सबसे पहली गलती सब-रजिस्ट्रार की लगती है। IGR ने भी माना है कि गलती हुई है। चाहे यह गलती जानबूझकर हुई हो या अनजाने में — अधिकारी जिम्मेदार हैं और कार्रवाई का सामना करेंगे।”

पार्थ पवार और अजित पवार का जवाब

पार्थ पवार ने एक समाचार चैनल से कहा, “मैंने कोई घोटाला नहीं किया है। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है।”

वहीं उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा,“मुझे इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है और मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है। महाराष्ट्र की जनता मुझे 35 साल से जानती है। मैंने कभी किसी अधिकारी से अपने किसी रिश्तेदार के लिए मदद करने को नहीं कहा। अगर कोई मेरा नाम लेकर गलत काम कर रहा है, तो उसे मेरा समर्थन नहीं मिलेगा। मैं कानून के दायरे में काम करने वाला कार्यकर्ता हूं।”

मुख्यमंत्री द्वारा जांच के आदेश का स्वागत करते हुए अजित पवार ने कहा, “मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं, यह सही किया गया कदम है।”

विवाद का मूल

आरोपों के अनुसार, पार्थ पवार और दिग्विजय पाटिल की कंपनी Amedea Enterprises LLP ने कोरेगांव पार्क इलाके की 40 एकड़ महार वतन भूमि खरीदी।

‘महार वतन भूमि’ ऐसी वंशानुगत भूमि होती है जो कभी महार समुदाय (अनुसूचित जाति) को गाँव प्रशासनिक कार्यों के बदले में दी जाती थी।

ऐसी जमीनें राज्य सरकार की अनुमति के बिना बेची नहीं जा सकतीं।

विपक्ष का आरोप है कि 1,800 करोड़ रुपये की जमीन को पार्थ पवार की कंपनी को मात्र 300 करोड़ रुपये में बेच दिया गया और उस पर स्टाम्प ड्यूटी भी माफ कर दी गई।

राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा,“हमें यह जांचना होगा कि स्टाम्प ड्यूटी की छूट कानून के अनुसार दी गई या नहीं। महार वतन भूमि पर एक विशेष कानून लागू होता है। मैंने यह जांच के आदेश दिए हैं कि क्या उस कानून का पालन किया गया या नहीं।”

विपक्ष की प्रतिक्रिया

शिवसेना (UBT) नेता अंबादास दानवे ने कहा, “एक कंपनी जिसकी पूंजी केवल 1 लाख रुपये है, उसने 1,800 करोड़ की जमीन सिर्फ 300 करोड़ रुपये में खरीदी है। कंपनी आईटी पार्क बनाना चाहती है और सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय ने स्टाम्प ड्यूटी माफ कर दी।”

बारामती सांसद सुप्रिया सुले (NCP–SP) ने कहा,“पहले कहा गया कि 21 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी माफ की गई, फिर कहा गया कि 6 करोड़ की माफी हुई। आखिर भुगतान हुआ या नहीं? सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि सौदा हुआ या नहीं।”

उन्होंने कहा,“सरकार विरोधाभासी बयान दे रही है। मैंने पार्थ पवार से बात की है, उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। मुख्यमंत्री को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। अगर तहसीलदार का कहना है कि उसने इस सौदे पर हस्ताक्षर नहीं किए, तो फिर सौदा हुआ कैसे? और बिना हस्ताक्षर के उन्हें निलंबित कैसे किया जा सकता है?”

महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख हर्षवर्धन सापकाल ने मांग की कि “अजित पवार को इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि उनके बेटे को हजारों करोड़ की संपत्ति औने-पौने दामों में खरीदने में मदद मिली।”

मामला क्या है?

ये मामला पुणे के मुंधवा क्षेत्र की 40 एकड़ ‘महार वतन भूमि’ खरीद से जुड़ा है। जिसका बाजार मूल्य ₹1,800 करोड़ रुपये आंका गया लेकिन उसकी बिक्री ₹300 करोड़ में हुई। खरीदने वाली कंपनी का नाम है Amedea Enterprises LLP जिसमें कि पार्थ पवार साझेदार हैं। इस सौदे में ₹21 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी छूट ली गई।

इस सौदे में तहसीलदार को निलंबित कर दिया गया है जबकि सेल डीड रद्द करने की प्रक्रिया जारी है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।

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