धार भोजशाला विवाद क्या है, मुस्लिम धर्मगुरु क्यों भड़क गए
धार भोजशाला विवाद पर मुस्लिम धर्मगुरुओं का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइंस का एएसआई उल्लंघन कर रहा है.
Dhar Bhojshala Survey: एक मुस्लिम नेता ने शुक्रवार को दावा किया कि धार जिले में 11वीं सदी की भोजशाला/कमाल मौला मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक अध्ययन के दौरान उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के एक स्थानीय अधिकारी ने कहा कि वह इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।इस स्थल पर हिंदू और मुसलमान दोनों अपना दावा करते हैं, जिसके कारण इसकी प्रकृति को लेकर विवाद बना हुआ है।
क्या है मामला
उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार एएसआई द्वारा क्षेत्र का 98 दिवसीय वैज्ञानिक अध्ययन पूरा करने के एक दिन बाद शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय ने परिसर में नमाज अदा की।धार शहर के 'शहर काजी' या प्रमुख मौलवी वकार सादिक ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि एएसआई टीम द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का घोर उल्लंघन किया गया।नमाज में शामिल होने के बाद उन्होंने दावा किया कि उच्च न्यायालय ने कहा था कि कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए और कलेक्टर की अनुमति के बिना कोई खुदाई नहीं होनी चाहिए, लेकिन इन निर्देशों की अनदेखी की गई।संपर्क करने पर एएसआई के स्थानीय संरक्षण सहायक प्रशांत पाटनकर ने कहा कि वह इस मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
साइंटिफिक सर्वे का है आदेश
11 मार्च को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने एएसआई को धार जिले में मध्यकालीन भोजशाला संरचना का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया।1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन कहा था कि एएसआई अध्ययन के परिणाम पर उसकी अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।एएसआई के 7 अप्रैल, 2003 के आदेश के अनुसार, हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार को भोजशाला परिसर के अंदर पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमानों को शुक्रवार को वहां नमाज अदा करने की अनुमति है।हिंदू मानते हैं कि भोजशाला देवी वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर है, जबकि मुस्लिम समुदाय का दावा है कि यह हमेशा से एक मस्जिद रही है।